अफ़गानिस्तान में पाकिस्तान के समर्थन से तालिबान की हुकूमत स्थापित हो रही है – अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

वॉशिंग्टन – पाकिस्तान ने तालिबान का वकालतनामा नहीं स्वीकारा है, ऐसा बयान पाकिस्तानी विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी ने किया था। लेकिन, पाकिस्तान सरकार, सेना और गुप्तचर यंत्रणा बीते कुछ दशकों से लगातार अफ़गान तालिबान से संपर्क बनाए हुए हैं। अफ़गानिस्तान में हुकूमत स्थापित करने के लिए पाकिस्तान तालिबान को पूरी सहायता प्रदान कर रहा है, यह आरोप अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने लगाया है। 

तालिबान ने अफ़गानिस्तान में काफी जोरदार बढ़त बनाई है और मात्र सात हफ्तों के दौरान तालिबान ने ५० जिलों पर कब्ज़ा किया है। इसके अलावा तालिबान के हमलों के सामने से अफ़गान सेना पीछे हट रही है, इसके अलावा कुछ ठिकानों पर अफ़गान सैनिकों ने तालिबानी आतंकियों के सामने घुटने भी टेके हैं। अफ़गानिस्तान में तालिबान की देखी गई इस आक्रामक बढ़त के लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार होने का आरोप अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोल्ट ने लगाया है।

पाकिस्तान तालिबान को सुरक्षित आश्रयस्थान उपलब्ध करा रहा है और पाकिस्तान के समर्थन की वजह से ही तालिबान अमरीका और अफ़गान सेना पर हमले कर रही है। पाकिस्तन से तालिबान को प्राप्त हो रहे इस समर्थन का अगले दिनों में भीषण परिणाम होगा, यह इशारा बोल्टन ने अमरिकी समाचार चैनल से बातचीत करते समय दिया। तालिबान ने अफ़गानिस्तान में अपनी हुकूमत स्थापित की तो इसके परिणाम सिर्फ अफ़गानिस्तान या अमरीका को ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान को भी भुगतने पड़ेंगे। पाकिस्तान सरकार पर तालिबान समर्थक चरमपंथियों का प्रभाव बढ़ेगा, यह इशारा भी बोल्टन ने दिया।

इसी बीच, हमारे देश की अस्थिरता के लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार होने का आरोप अफ़गान सुरक्षा यंत्रणा लगा रही है। लेकिन, पाकिस्तानी नेता अफ़गानिस्तान के इन आरोपों से इन्कार कर रहे हैं। लेकिन, अमरीका के पूर्व नेता एवं सुरक्षा अधिकारी पाकिस्तान और तालिबान के बीच सहयोग की लगातार पोल खोल रहे हैं।

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