प्रतिबंधों की कार्रवाई से अमरिकी डॉलर का वर्चस्व खतरे में है – अमरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन का दावा

वॉशिंग्टन – अमरीका जब कभी डॉलर का इस्तेमाल करके आर्थिक प्रतिबंधों की कार्रवाई करती है तब अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में डॉलर के वर्चस्व को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है, ऐसा दावा अमरीका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने किया। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि, चीन, रशिया और ईरान जैसे देश अमरिकी डॉलर के विकल्प तलाश रहे हैं। अमरीका ने पिछले कुछ दशकों में ईरान, रशिया, चीन, उत्तर कोरिया के साथ कई देशों के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों का इस्तेमाल किया था। अमरीका की इस नीति की गूंज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनाई देने लगी है। कई प्रमुख आर्थिक विशेषज्ञ एवं विश्लेषकों ने यह अनुमान जताया है कि, आरक्षित मुद्रा के तौर पर डॉलर का स्थान जल्द ही खत्म हो जाएगा।

पिछले हफ्ते अमरीका के प्रमुख समाचार चैनल ‘सीएनएन’ को दिए गए साक्षात्कार के दौरान वित्त मंत्री येलेन ने अमरिकी अर्थव्यवस्था के साथ डॉलर की स्थिति पर भी अपनी भूमिका रखी। अमरीका द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों के मुद्दे पर पूछे हुए सवाल के जवाब में येलेन ने डॉलर के लिए निर्माण होनेवाले खतरों पर बयान किया। लेकिन, साथ ही अमरिकी डॉलर को आरक्षित मुद्रा के तौर पर प्राप्त हुए स्थान के पीछे और कई अहम मुद्दे हैं और इनकी अन्य देशों के पास कमी होने का दावा भी उन्होंने किया।

‘अमरीका का तगड़ा पूंजी बाज़ार और कानून का कार्यान्वयन डॉलर को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में बने रहने के लिए अहम साबित हुए हैं। अमरीका की यह सुविधा और रचना अन्य किसी भी देश में नहीं पाए जाती’, ऐसा वित्त मंत्री येलेन ने स्पष्ट किया। साथ ही अमरिकी प्रशासन द्वारा थोंपे जा रहे आर्थिक प्रतिबंध कार्रवाई के लिए एक अहम साधन होने की बात भी येलेन ने रेखांकित की। अमरीका ने आर्थिक और व्यापारी युद्ध में डॉलर का हथियार की तरह इस्तेमाल किया और अमरिकी प्रशासन ने डॉलर को लेकर लिए गलत निर्णयों के कारण कई देश धीरे-धीरे डॉलर से दूर पीछा छुडाना चाहते हैं, इसका अहसास आर्थिक विशेषज्ञ एवं विश्लेषक लगातार करा रहे हैं। वर्ष २००८-०९ की आर्थिक मंदी के बाद अपनाई गई नीति एवं २०२० में कोरोना महामारी के बाद लिए गए निर्णयों के कारण डॉलर से भरोसा उठता गया, ऐसा दावा शीर्ष अमरिकी आर्थिक विशेषज्ञों ने हाल ही में किया था। डॉलर जैसी मुद्रा की आसानी से उपलब्धता बड़ी अहम बात होने के बावजूद इसकी गिरावट को रोकना मुमकिन नहीं होगा और यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, ऐसा इशारा अमरिकी आर्थिक विशेषज्ञ पीटर सी.अर्ल ने पिछले हफ्ते ही दिया था।

दूसरी ओर ब्राज़ील, रशिया, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के ‘ब्रिक्स’ गुट द्वारा स्वतंत्र मुद्रा पेश करने की प्रक्रिया शुरू होने के संकेत प्राप्त हुए हैं। कुछ हफ्ते पहले रशिया के वरिष्ठ नेताओं ने इसके संकेत दिए थे। इसके बाद पिछले हफ्ते ब्राज़ील के राष्ट्राध्यक्ष लुला दा सिल्वा ने यह दावा किया था कि, ब्रिक्स की अगली बैठक में स्वतंत्र मुद्रा को लेकर अहम बैठक हो सकती है। ब्रिक्स का हिस्सा होने वाले चीन ने अपनी युआन मुद्रा का इस्तेमाल बढ़ाने की जोरदार गतिविधियां शुरू की हैं। फ्रान्स-यूएई के साथ किए गए ईंधन समझौते में युआन का इस्तेमाल और ब्राज़िल के साथ युआन संबंधित किया गया समझौता इसकी पुष्टि करते हैं।

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