विदेशी मुद्रा की कमी के कारण श्रीलंका में ‘फूड इमर्जन्सी’ का ऐलान

कोलंबो – अनाज के आयात के लिए विदेशी मुद्रा उपलब्ध ना होने से श्रीलंका की सरकार ने ‘फूड इमर्जन्सी’ का ऐलान किया है। विदेशी मुद्रा की किल्लत के लिए कोरोना की महामारी ज़िम्मेदार होने का बयान श्रीलंका की सरकार कर रही है। लेकिन, असल में चीन से प्राप्त किए कर्ज़ का भुगतान करने के लिए आवश्‍यक निधी पर विदेशी मुद्रा भारी मात्रा में खर्च हो रही है, यह दावा विश्‍लेषक एवं प्रसारमाध्यम कर रहे हैं।

‘फूड इमर्जन्सी’मंगलवार के दिन चीन के राष्ट्राध्यक्ष गोताबाया राजपक्षे ने ‘फूड इमर्जन्सी’ का ऐलान किया। इसके अनुसार अनाज का अतिरिक्त भंड़ारण करनेवाले ब्योपारियों पर कार्रवाई की जाएगी। अनाज़ का भंड़ारण किया हुआ पाया गया तो उसे जब्त किया जाएगा। साथ ही सरकार ने तय किए हुए दर से ही अनाज़ की बिक्री करने का बंधन लगाया गया है। अत्यावश्‍यक सामान की ज़िम्मेदारी संभालनेवाली यंत्रणा पर पूर्व लष्करी अफसर की नियुक्ति की गई है और उन्हें कार्रवाई करने के अधिकार भी प्रदान किए गए हैं।

इस वर्ष अमरिकी डॉलर्स की तुलना में श्रीलंका के चलन के मूल्य की ७.५ प्रतिशत गिरावट हुई है। विदेशी चलन का विनिमय मूल्य बढ़ा है और इसका असर आयात पर पड़ा है। श्रीलंका अनाज और अन्य जीवनावश्‍यक सामान के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर है। इस वजह से आयात का सभी सामान महंगा होने की बात कही जाती है। इसमें अनाज के साथ र्इंधन का भी समावेश है। आयात का खर्च लगातार बढ़ रहा है और इस वजह से श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंड़ार लगातार घट रहा है।

‘फूड इमर्जन्सी’दो वर्ष पहले श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंड़ार में सिर्फ ७.५ अरब डॉलर्स बचे थे। लेकिन, जुलाई के अन्त तक अब इसमें लगभग २.८ अरब डॉलर्स शेष हैं। इनमें से एक अरब डॉलर्स से भी अधिक निधी विदेशी कर्ज़ का भुगतान करने के लिए आवश्‍यक होने की बात कही जाती है। इस आर्थिक संकट को दूर करने के लिए श्रीलंका की सरकार ने भारत और चीन के साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से निधी प्राप्त करने की कोशिश शुरू की है।

सरकार विदेशी मुद्रा की इस किल्लत की वजह कोरोना की महामारी बता रही है। कोरोना की वजह से विदेशी मुद्रा का आधार बने विदेशी पर्यटकों की संख्या में हुई गिरावट सरकार ने सामने रखी है। श्रीलंका की सरकार के दावे के अनुसार पर्यटन क्षेत्र ‘जीडीपी’ में पांच प्रतिशत योगदान देता है। यह योगदान पूरी तरह से बंद होने से विदेशी मुद्रा भांड़ार में कमी निर्माण होने का संकट उभरा, यह जानकारी साझा की गई है। लेकिन, विश्‍लेषक और प्रसारमाध्यमों ने चीन से प्राप्त किए कर्ज की ओर भी निर्देश किया है।

श्रीलंका ने प्राप्त किए कुल विदेशी कर्ज़ में से १० प्रतिशत से अधिक कर्ज़ चीन का है। इससे पहले चीन के कर्ज़ का भुगतान करना मुमकिन ना होने से श्रीलंका को अपना बंदरगाह चीनी हुकूमत के हवाले करने की स्थिति का सामना करना पड़ा था, इस ओर भी विश्‍लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया। अब भी चीन के कर्ज़ का भुगतान करने में अरबों डॉलर्स खर्च होने से विदेशी मुद्रा भंड़ार में रिसाव होने के दावे माध्यमों द्वारा किए जा रहे हैं। चीन द्वारा दिए जा रहा कर्ज़ शिकारी अर्थनीति का हिस्सा होने की बात सामने आ रही है और ऐसे में भी श्रीलंका की राजपक्षे सरकार फिर से चीन के पक्ष में निर्णय कर रही है, ऐसा आरोप भी विश्‍लेषकों ने लगाया है।

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