रशिया या यूरोपिय महासंघ में से एक का चयन करें – सर्बिया से जर्मनी की माँग

बर्लिन/बेलग्रेड – अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर यूरोपिय महासंघ की नीति से सहमत हैं तो ही सर्बिया को महासंघ की सदस्यता प्राप्त होगी। ऐसा नहीं हैं तो सर्बिया को गंभीर परिणामों का सामना करना होगा, ऐसी चेतावनी जर्मनी ने सर्बिया को दी है। रशिया-यूक्रेन संघर्ष के मुद्दे पर रशिया विरोधी भूमिका अपनाने से सर्बिया ने इन्कार किया था। उल्टा सितंबर महीने में रशिया के साथ राजनीतिक और विदेश स्तर पर सहयोग  बढ़ाने के लिए समझौता भी किया था। इस वजह से यूरोपिय देशों में बेचैनी हैं और जर्मनी ने दी हुई यह चेतावनी इसी का हिस्सा दिखता है।

सर्बिया साल २००९ से यूरोपिय महासंघ की सदस्यता पाने की कोशिश कर रहा हैं। लेकिन, यूरोपिय महासंघ ने इसपर विशेष रिस्पान्स नहीं दिया। रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर यूक्रेन को महासंघ की सदस्यता बहाल करने की प्रक्रिया शुरू की गई हैं। इसी बीच यूक्रेन से पहले सदस्यता पाने की कोशिश करने वाले देशों का मुद्दा भी चर्चा का विषय बना है। पिछले महीने सर्बिया के वरिष्ठ मंत्री ने महासंघ के प्रमुख देशों से कोसोवो की मंजूरी के बदले में महासंघ का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव आने का दावा किया था।

सर्बिया यूरोप का हिस्सा हो के  बावजूद रशियन प्रभाव के देश के तौर पर जाना जाता है। ईंधन, रक्षा, जैसें क्षेत्र में दोनों देशों का घना सहयोग है। रशिया-यूक्रेन युद्ध  शुरू होने के बाद सर्बिया के नेताओं ने रशिया का दौरा भी किया था। यह बात यूरोपिय महासंघ को चुभ रही हैं और अब सीधे परिणामों का इशारा देने तक संबंध खराब हुए दिख रहे हैं। इसी बीच जर्मनी आगाह कर रही है और ऐसें में सर्बिया और कोसोवा का तनाव फिर से बढ़ने के संकेत प्राप्त हुए हैं। सर्बिया के राष्ट्राध्यक्ष अलेक्झांडर वुकिक ने अपने रक्षा बलों को अलर्ट पर रहने के आदेश जारी करने की बात भी सामने आयी है।

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