यूक्रेन के प्रांतों के विलिनीकरण की पृष्ठभूमि पर अमरिकी डॉलर और युरो की तुलना में रशियन रुबल मज़बूत स्थिति में

मास्को – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष यूक्रेन के प्रांतों के विलिनीकरण का ऐलान कर रहे थे तभी पश्चिमी देशों ने रशिया के खिलाफ नए प्रतिबंधों के संकेत दिए। पश्चिमी देशों के इन इशारों के बावजूद भी रशियन मुद्रा रुबल अमरिकी और युरोपीय मुद्राओं के सामने अधिक मज़बूत होती हुई देखी गयी है। पिछले कुछ दिनों से अमरिकी डॉलर सर्वोच्च स्तर पर छलांग लगा रहा है और ऐसे में विश्व के अन्य प्रमुख मुद्राओं की गिरावट हुई है। इस पृष्ठभूमि पर रशियन मुद्रा को मज़बूती प्राप्त होना ध्यान आकर्षित करता है।

शुरूवार को रशिया के ‘मास्को एक्सेंज’ में कारोबार के दौरान एक अमरिकी डॉलर के लिए ५१.१ रुबल अदा करने पड़ रहे थे। जुलाई के बाद एक डॉलर के लिए ५४ से भी कम रुबल देने पड़ने का यह पहला अवसर है। इसी दौरान युरो के कारोबार में युरो के मूल्य की ५१ रुबल से भी निचले स्तर तक गिरावट देखी गई। अक्तुबर २०१४ में एक युरो की कीमत ५१ रुबल थी। इसके बाद रुबल की स्थिति काफी अच्छी हुई हैं। रशिया में डॉलर और युरो की माँग कम होने से इसकी बड़ी मात्रा में बिक्री हुई और इसी कारण रुबल मज़बूत हुआ, ऐसा दावा विश्लेषकों ने किया है।

फ़रवरी के अन्त में रशिया ने यूक्रेन पर हमला करने के बाद रुबल की भारी मात्रा में गिरावट हुई थी। मार्च में एक अमरिकी डॉलर के लिए १५० युरो देने पड़ रहे थे। इसके बाद रशियन मुद्रा में गिरावट आएगी, ऐसा अनुमान कई पश्चिमी विशेषज्ञ और  माध्यमों ने व्यक्त किया था। लेकिन, रशिया की सेंट्रल बैंक के प्रावधानों के बाद रुबल की स्थिति मज़बूत हुई।

इसके पीछे रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन द्वारा शुरू की गई ‘डी-डॉलराइजेशन’ की प्रक्रिया ही प्रमुख कारण माना जा रहा है। अमरिका के प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि पर रशिया ने पिछले दशक से अमरिकी डॉलर का इस्तेमाल कम करने की नीति अपनाई थी। इसके बाद पश्चिमी देशों ने लगाए प्रतिबंधों को चुनौती देने के लिए रशिया नए-नए विकल्प आजमा रही थी। इसमें सोने की बढ़ती खरीदारी, अन्य देशों के साथ जारी व्यापार में रुबल समेत स्थानीय मुद्रा को प्राथमिकता देने के अलावा आरक्षित मुद्रा के लिए नया विकल्प और पेमेंट सिस्टम की योजनाओं को भी गति प्रदान की थी।

दो महीने पहले ब्रिक्स देशों की बैठक में राष्ट्रध्यक्ष ने यह भी ऐलान किया कि, रशियन गुट अंतरराष्ट्रीय आरक्षित मुद्रा और पेमेंट सिस्टम के विकल्प पर काम कर रहे हैं। इसके बाद रशियन यंत्रणाओं ने भारत, ईरान और तुर्की जैसे देशों के साथ अपनी मुद्रा का इस्तेमाल करने के अलावा व्यापारी कारोबार से संबंधित समझौता होगा, ऐसे संकेत दिए थे। पिछले महीने आयोजित ‘यूरेशियन इकॉनॉमिक युनियन’ की बैठक के दौरान व्यापारी कारोबार में एक-दूसरे की राष्ट्रीय मुद्राएं इस्तेमाल करने का प्रस्ताव पेश हुआ है। इसकी वजह से डॉलर की तुलना में पूरे विश्व के अन्य प्रमुख देशों की मुद्राओं की गिरावट के दौरान रशियन रुबल अब भी मज़बूत स्थिति में दिख रहा है।

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