भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता नही मिली तो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बिखर जायेगी – भारत से कडी चेतावनी

संयुक्त राष्ट्रसंघ – सुरक्षा परिषद का विस्तार करने के लिये संयुक्त राष्ट्र तैयार नही है| इस परिस्थिती में भारत ने संयुक्त राष्ट्र को कडी चेतावनी दी है| सुरक्षा परिषद का विस्तार नही हुआ तो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बिखरेगी, ऐसा संयुक्त राष्ट्रसंघ के भारत के राजदूत सईद अकबरूद्दीने कहा है| इसी के साथ यदी सुरक्षा परिषद की वैधता और उसका प्रभाव कायम रखना है तो सुरक्षा परिषद का विस्तार करने के अलावा दुसरा कोई विकल्प नही, इस का एहसास भी अकबरूद्दीन इन्होंने दिलाया है|

अमरिका, रशिया, ब्रिटेन, फ्रान्स और चीन यह देश संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य है| इन पांच देशों को सुरक्षा परिषद के सामने आने वाला कोई भी प्रस्ताव ठुकराने का विशेष अधिकार है| इस विशेष अधिकार का उपयोग करके यह पांचो देश अपनी हितसंबंधों की रक्षा करते रहे है| लेकिन, दुसरे विश्‍वयुद्ध के बाद की स्थिती और अब की स्थिती का विश्‍व इस में बहोत बडा अंतर है और इस दौर में भारत, जापान, जर्मनी इन देशों का भी उदय हुआ है| इन देशों की अहमियतता ठुकरा कर संयुक्त राष्ट्रसंघ का कारोबार चलना संगत नही हो सकता| खास तौर पर सव्वा अरब से अधिक जनसंख्या वाले भारत जैसे लोकतांत्रिक देश को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता देने से इन्कार करना उचित नही है, यह एहसास भारत ने कई बार दिलाया है|

रशिया, अमरिका, ब्रिटेन और फ्रान्स यह देश भारत की स्थायी सदस्यता के लिये समर्थन दे रहे है| यह होते हुए भी भारत की सदस्यता को लेकर संयुक्त राष्ट्रसंघ टालमटोल कर रहा है| बदलती आर्थिक परिस्थिती में भारत सबसे अधिक गति से विकसित होने वाला देश बना है| भारत का यह महत्त्व तय होते हुए भी सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता देने से इन्कार हो रहा है, इस पर भारत ने कडी नाराजगी जताई जा रही है| संयुक्त राष्ट्रसंघ में बोलते समय भारत के राजदूत सईद अकबरूद्दीन इन्होंने यही विसंगति सामने लाने के लिये जोर दिया है|

सुरक्षा परिषद को अपनी ताकत, वैधता और विश्‍वसनीयता कायम रखनी है तो, स्थायी सदस्य देशों की संख्या बढानी ही होगी, ऐसा अकबरूद्दीन ने स्पष्ट किया है| इतना ही नही, इसके आगे यदि सुरक्षा परिषद स्थायी सदस्य देशों की संख्या बढाने से दूर रहा तो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था तहेस नहेस हुए बिना नही रहेगी, ऐसी कडी चेतावनी अकबरूद्दीन इन्होंने दी है| केवल पांच देशों के पास नकाराधिकार मर्यादित रखने की गतिविधी पर भी अकबरूद्दीन इन्होंने सवाल किया|

इस के पहले भी भारतने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता मिलने के लिये आक्रामक कोशिश की है| लेकिन तकनीकी कारण आगे लाकर भारत से हो रही स्थायी सदस्यता प्राप्त करने की मांग शिघ्रता से विचार नही किया जा रहा है| लेकिन भारत की इस मांग का अधिक समय तक अनादर करना मुमकिन नही है, इस का एहसास विश्‍व की प्रमुख देशों को हुआ है, इस के संकेत मिल रहे है|

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