प्रधानमंत्री की अमरीका यात्रा से पाकिस्तान और चीन की चिंता बढ़ी

नई दिल्ली – अफ़गानिस्तान में हो रही उथल-पुथल और इंडो-पैसिफिर क्षेत्र की गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमरीका के दौरे पर जा रहे है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के साथ प्रधानमंत्री मोदी होनेवाली द्विपक्षीय वार्ता की ओर विश्‍वभर के प्रमुख देशों की नज़रें बनी हुई हैं। इसके बाद ‘क्वाड’ की बैठक होगी और इसपर चीन ने आपत्ति जताई हैं। इसी दौरान, पाकिस्तानी माध्यम यह चिंता जता रहे हैं कि, भारतीय प्रधानमंत्री की इस अमरीका यात्रा के भयंकर परिणाम पाकिस्तान को भुगतने पड़ेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के बीच २४ सितंबर के दिन द्विपक्षीय बातचीत होगी। इस दौरान आतंकवाद की चुनौतियों को पस्त करने पर दोनों नेता विचार करेंगे, यह जानकारी भारत के विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने प्रदान की। इस कारण पाकिस्तान ड़र के साए में जा पहुँचा हैं। क्यों कि, अमरीका ने अफ़गानिस्तान से सेना वापसी करने के बाद आतंकवाद का खतरा अधिक बढ़ा हैं, यह चिंता अब विश्‍व के प्रमुख देश व्यक्त करने लगे हैं। अमरीका के मौजूदाएवं पूर्व सेना अधिकारी, कुटनीतिज्ञ एवं विश्‍लेषक भी तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद यह देश आतंकवाद का केंद्र बनने का इशारा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष बायडेन की होनेवाली चर्चा में आतंकवाद प्रमुख मुद्दा होने का ऐलान करके भारत के विदेश सचिव ने पाकिस्तान की धड़कने बढ़ाई हैं।

अफ़गानिस्तान में मौजूद आतंकियों पर हमलें करने के लिए अमरीका भारत की हवाई सीमा का इस्तेमाल कर सकती हैं, यह संकेत देकर अमरीका के विदेशमंत्री ब्लिंकन ने इस मुद्दे पर भारत के साथ बातचीत जारी होने का ऐलान किया था। अफ़गानिस्तान में तालिबान की हुकूमत स्थापीत हो और इसके लिए अपना प्रभाव इस्तेमाल करनेवाले पाकिस्तान को इससे बड़ा झटका लगा है। अफ़गानिस्तान के आतंकियों के साथ ही अमरीका और भारत पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों को भी लक्ष्य करेंगे, यह चिंता पाकिस्तान के विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं। पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए अमरीका अब भारत का इस्तेमाल करेगी और भारत के ज़रिये अमरीका पाकिस्तान पर हमले करेगी, यह ड़र कुछ पाकिस्तानी पत्रकार जता रहे हैं।

सीर्फ इतना ही नहीं बल्कि, भारत और अमरीका मिलकर अफ़गानिस्तान की स्थिति का ठिकारा पाकिस्तान पर फोड़कर आर्थिक स्तर पर पाकिस्तान की घेराबंदी करने के निर्णय भी कर सकते हैं, इस बात की चर्चा पाकिस्तान के माध्यमों में हो रही है। चीन जैसा देश भी भारतीय प्रधानमंत्री की अमरीका यात्रा से बेचैन होने से पाकिस्तान पर अधिक दबाव बनता दिख रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष बायडेन की द्विपक्षीय वार्ता और उसके बाद हो रही ‘क्वाड’ की बैठक का चीन ने गंभीर संज्ञान लिया हैं। किसी समय ‘क्वाड’ का सहयोग कभी भी सच्चाई में उतर नही सकता, ऐसें दावे करके उसका मज़ाक उड़ानेवाले चीन को अब ‘क्वाड’ के सहयोग का ड़र महसूस होने लगा है।

‘क्वाड’ यानी एशियाई ‘नाटो’ हैं और इसका जन्म शीतयुद्ध के समय की मानसिकता से हुआ हैं, ऐसी आलोचना करना चीन ने शुरू किया हैं। इसके अलावा रशिया के ज़रिये दबाव बनाकर भारत ‘क्वाड’ से सहयोग ना करें, इस उद्देश्‍य से चीन ने अपनी कोशिश शुरू की थी, यह बात पहले ही सामने आयी थी।

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