कोरोना के टीके के लिए भारत से आवश्यक सहयोग करने से इन्कार करनेवाले बायडेन प्रशासन पर दबाव बढ़ा

वॉशिंग्टन – कोरोना की महामारी चिंताजनक रूप में बढ़ रही है, ऐसे में भारत में बन रहे बन रहे कोरोनाप्रतिबंधक टीके के लिए आवश्यक रॉ मटेरियल की सप्लाई करने से अमरीका ने इन्कार किया था। रोड़े डालने की नीति अपनाकर अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष बायडेन का प्रशासन भारत को घेरने की कोशिश करने के संकेत मिल रहे हैं। एक तरफ भारत के साथ सभी मोरचों पर सहयोग दृढ़ करने के दावे करनेवाला बायडेन प्रशासन, दूसरी तरफ भारत के विरोध में इस प्रकार की गतिविधियाँ कर रहा है। लेकिन इसपर अमरीका में ही प्रतिक्रिया उठी होकर, अमरिकी उद्योग क्षेत्र और लोकप्रतिनिधि भी, बायडेन प्रशासन कोरोना की महामारी को रोकने के लिए भारत के साथ आवश्यक सहयोग करें, ऐसी माँग करने लगे हैं।

१८ साल से अधिक उम्र होनेवाले हर एक को कोरोना प्रतिबंधक टीका लगाकर, भारत इस महामारी को मात देने के लिए कदम उठा रहा है। इसके लिए टीकाकरण की मुहिम तेज़ बनाई जा रही है। इन टीकों के निर्माण के लिए आवश्यक रॉ मटेरियल की सप्लाई अमरीका द्वारा की जाती है। अमरीका ने यह सप्लाई रोकने का फैसला करके भारत के मार्ग में रोड़ा खड़ा किया है। बायडेन प्रशासन ने, देशांतर्गत माँग का कारण बताकर इस रॉ मटेरियल की निर्यात पर पाबंदी लगाई। इससे टीकों का निर्माण और परिणामस्वरूप टीकाकरण की मुहिम प्रभावित हो रही है। इसका झटका भारत को लग सकता है। अमरीका के उद्योग क्षेत्र को इसका एहसास हुआ होकर, उन्होंने बायडेन प्रशासन को समझाने की कोशिश की है।

युएस चेंबर्स ऑफ कॉमर्स के इंटरनॅशनल अफेअर्स के उपाध्यक्ष मायरॉन ब्रिलिआंटे ने बायडेन प्रशासन को खरी-खरी सुनाई। कोरोना की महामारी भीषण स्वरूप धारण कर रही है, ऐसे में बायडेन प्रशासन भारत और ब्राज़ील इन देशों को आवश्यक सहायता की आपूर्ति फौरन करने का निर्णय करें, ऐसी माँग ब्रिलिआंटे ने की। कुछ दिन पहले भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने, अमरीका के विदेश मंत्री ब्लिंकन के साथ हुई चर्चा में भी यह माँग की थी। लेकिन भारत के हालातों का हमें एहसास है, ऐसा कहकर अमरीका ने इस माँग को अनदेखा किया था। इससे यह शक अधिक ही गहरा बनता चला जा रहा है कि अमरीका का बायडेन प्रशासन जानबूझकर भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। ब्रिलिआंटे ने भी, भारत के लिए आवश्यक होनेवाली यह सप्लाई रोकने का कारण फिलहाल तो नहीं दिख रहा है, यह कहकर इस शक को अधिक ही मज़बूत बनाया है।

अमरीका के कुछ लोकप्रतिनिधी भी कोरोनाप्रतिबंधक टीकों के निर्माण के लिए आवश्यक रहनेवाली सप्लाई भारत को करने की माँग कर रहे हैं। वहीं, अमरिका स्थित अनिवासी भारतीय भी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन को इसके लिए आवाहन कर रहे हैं। उसका दबाव बायडेन प्रशासन पर बढ़ता चला जाने के संकेत मिल रहे हैं। लेकिन अभी भी बायडेन के प्रशासन ने इस संदर्भ में फैसला नहीं किया है।

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन तथा उनका प्रशासन लगातार यह बताते हैं कि वे भारत की ओर अहम साझेदार देश के रूप में देख रहे हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होने का दावा भी राष्ट्राध्यक्ष बायडेन द्वारा बार-बार किया जाता है। लेकिन भारत और अमरीका में विकसित हुए सहयोग में दरारें पड़ सकतीं हैं, ऐसे फैसले बायडेन द्वारा लगातार किये जा रहे हैं। करन्सी मॅनिपुलेटर यानी मुद्रा में गैरव्यवहार करनेवाले देशों की वॉचलिस्ट में बायडेन प्रशासन ने भारत का समावेश किया था। उसी समय, अमरिकी नौसेना का अभ्यास, भारत के विशेष सागरी क्षेत्र में आयोजित करके बायडेन प्रशासन ने भारत को उकसाया था। अब कोरोना की महामारी भारत में तेज़ी से फैल रही है, ऐसे में बायडेन ने उसके टीके के लिए आवश्यक रॉ मटेरियल की सप्लाई रोकी है। इससे यह शक अधिक ही दृढ़ हुआ है कि बायडेन चाहे भारत से मित्रता और सहयोग की कितनी भी बातें करें, वास्तव में वे चीन के लिए अनुकूल होनेवाले फैसले ही करेंगे।

लेकिन चाहे जो भी हो, वे भारत और अमरीका के सामरिक सहयोग के विरोध में खुलेआम नहीं जा सकते, यह बात राष्ट्राध्यक्ष बायडेन भली-भाँति जानते हैं। यदि वैसा किया, तो अमरीका का रक्षाबल, राजनयिक और राजनीतिक दायरे से उस पर प्रतिक्रिया आ सकती है, इसका एहसास बायडेन को है। इसी कारण अलग-अलग दाँवपेंचों का इस्तेमाल करके बायडेन प्रशासन भारत के मार्ग में रोड़े अटकाने की नीति अपना रहा हैं।

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