जापान-दक्षिण कोरिया सहयोग का नया अध्याय शुरू हुआ है – जापान के प्रधानमंत्री का ऐलान

टोकियो – ‘समय से पहले ही बसंत ऋतु का आगमन हुआ है, टोकियो में पेड़-पौधों पर बहार छाई है। जापान और दक्षिण कोरिया के सहयोग का नया अध्याय शुरू हुआ है’, ऐसा ऐलान जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा की बैठक में किया गया। इस बैठक की वजह से दोनों देशों के ताल्लुकात फिर से शुरू हो रहे हैं, ऐसा विश्वास दक्षिण कोरिया के राष्ट्राध्यक्ष युन सूक येओल ने व्यक्त किया। साथ ही क्षेत्रीय सुरक्षा से जुडी चुनौतियों का सामना करने का ऐलान दोनों नेताओं ने किया। इसी बीच, जापान और दक्षिण कोरिया के इस सहयोग का चीन ने कड़े शब्दों में निषेध किया है।

साल १९१० से १९४५ के दौरान जापान की हुकूमत ने कोरियन एवं चीनी जनता पर अमानुष अत्याचार किए थे। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान की नीति वास्तव में पूरी तरह से बदली। लेकिन, कोरियन जनता में आज भी जापान के खिलाफ तीव्र भावना है। इसका बड़ा असर दोनों देशों के संबंधों पर पडा। साल २०११ से इन संबंधों में कटूता बढ़ी थी। ऐसे में साल २०१८ से दोनों देशों की सुरक्षा संबंधी चर्चा भी ठप हो गई थी।

लेकिन, पिछले साल दक्षिण कोरिया की बागड़ोर संभालने के बाद राष्ट्राध्यक्ष युन सूक येओल ने १२ साल बाद जापान के साथ नए से संबंध स्थापित करने की ओर कदम बढ़ाए हैं। इस पृष्ठभूमि पर राष्ट्राध्यक्ष येओल ने गुरुवार को जापान का दौरा करके आर्थिक, व्यापारी एवं सैन्य स्तर के सहयोग विकसित करने का ऐलान किया। दक्षिण कोरिया के राष्ट्राध्यक्ष ने उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों का स्पष्ट जीक्र करते हुए अपने पड़ोसी कम्युनिस्ट हुकूमत से अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा होने की चेतावनी दी।

जापान के प्रधानमंत्री ने भी उत्तर कोरिया से खतरे पर ध्यान आकर्षित किया। लेकिन, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के खतरे का सीधा ज़िक्र करने से वे दूर रहे। मौजूदा स्थिति में इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए जापान और दक्षिण कोरिया का सैन्य सहयोग ज़रूरी है, ऐसा प्रधानमंत्री किशिदा ने स्पष्ट किया। इस बीच घोषित किया न हो, फिर भी प्रधानमंत्री किशिदा दक्षिण कोरिया के राष्ट्राध्यक्ष को मई में आयोजित हो रही ‘जी ७’ की बैठक में आमंत्रित करने की कड़ी संभावना जापानी माध्यम व्यक्त कर रहे हैं।

इसी बीच, अमरीका ने भी जापान और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रप्रमुखों की इस मुलाकात का स्वागत किया। इसकी वजह से स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से जुड़ी नीति आगे बढ़ाने के लिए अमरीका को सहायता होगी, ऐसा अमरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है।

प्रधानमंत्री किशिदा और राष्ट्राध्यक्ष येओल की मुलाकात की वजह से चीन में बेचैनी बढ़ी है। इस बैठक के माध्यम से जापान और दक्षिण कोरिया इस क्षेत्र में विशेष सैन्य गुट स्थापित करने की कोशिश में होने का आरोप चीन ने लगाया है। इसकी वजह से चीन ऐसे गुट बनाने का कडे शब्दों में निषेध करता है, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा। 

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