सेनाप्रमुख के लद्दाख दौरे द्वारा चीन को संदेश

लडाख – नए सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने लद्दाख के चीन से सटे सीमाभाग का दौरा करके यहाँ की सुरक्षा का जायज़ा लिया। कुछ ही दिन पहले सेना प्रमुख ने यह आरोप किया था कि चीन को सीमा विवाद का हल निकालने में दिलचस्पी नहीं है और सीमा विवाद को धधकता रखने की नीति चीन ने अपनाई है। उस पृष्ठभूमि पर, सेना प्रमुख की लद्दाख भेंट महत्वपूर्ण साबित होती है।

एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनाव कायम होने का निष्कर्ष अमरीका द्वारा लगातार दर्ज़ किया जा रहा है। इस तनाव का संघर्ष में रूपांतरण होने की संभावना नकारी नहीं जा सकती, ऐसी चेतावनी अमरीका के गुप्तचर विभाग से जुड़े अधिकारियों ने दी थी। लेकिन इन पर भरोसा न करते हुए लद्दाख तथा एलएसी के अन्य भागों में पूरी तरह सिद्धता रखी जा रही है, ऐसा यकीन भारतीय सेनाप्रमुख के साथ ही वायुसेना द्वारा भी दिलाया जा रहा है।

सेना प्रमुख पद की बागडोर संभालने के बाद माध्यमों से संवाद करते समय जनरल मनोज पांडे ने चीन के हितों पर हेतुओं पर शक ज़ाहिर किया था। चीन भारत के साथ बने सीमा विवाद का हल निकालना नहीं चाहता, बल्कि सीमा विवाद को धधकता ही रखने की चीन की योजना है, ऐसा जनरल पांडे ने कहा था। उस पर चीन की प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन इससे चीन का भरोसा नहीं किया जा सकता, यह संदेश जनरल पांडे ने देशवासियों को दिया था। युक्रेन का युद्ध भड़का है, ऐसे में भारत ने रशिया के संदर्भ में अपनाई नीतियों के कारण अमरीका भारत पर नाराज़ है। उसका फ़ायदा उठाने के लिए चीन के विदेश मंत्री भारत में दाखिल हुए थे। उन्होंने सीमा विवाद पर चर्चा जारी रखते हुए भारत को व्यापारी सहयोग का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव को भारत ने ठुकराया था।

इससे बेचैन हुआ चीन फिर एक बार भारत की एलएसी में घुसपैठ की कोशिश करने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। इसी कारण, लद्दाख तथा एलएसी के अन्य भागों में भारतीय सेना की युद्ध सिद्धता बहुत ही अहम साबित होती है। सेना प्रमुख की लद्दाख भेंट का महत्व इससे अधिक ही बढ़ा है। भारत किसी भी समय में चीन की घुसपैठ का करारा जवाब देने के लिए सिद्ध है, यह संदेश इसके द्वारा चीन को दिया जा रहा है। कुछ दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने भी यह चेतावनी दी थी कि देश की सार्वभौमिकता को चुनौती देने वाले किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा और उसे करारा जवाब दिया जाएगा।

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