चीन और उत्तर कोरिया के बढ़ते खतरे की पृष्ठभूमि पर जापान ने रक्षा तैयारी के लिए ३२० अरब डॉलर्स का प्रावधान करने का ऐलान किया – अमरीका से खरीदेगा ‘टॉमाहॉक मिसाइल’

टोकियो – चीन द्वारा ताइवान पर हमला होने की बढ़ती संभावना और उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों की वजह से पैसिफिक क्षेत्र में खतरा बढ़ रहा है। इसके मद्देनज़र जापान ने अपने रक्षा खर्च में काफी वृद्धि का ऐलान किया है। जापान ने शुक्रवार को नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति घोषित की। इसमें चीन को जापान की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताकर रक्षा खर्च अभूतपूर्व बढ़ाना आवश्यक होने का मुद्दा रेखांकित किया गया है। नई नीति के अनुसार जापान अगले पांच सालों में अपनी रक्षा तैयारी के लिए कुल ३२० अरब डॉलर्स खर्च करेगा। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान ने रक्षा खर्च मे की हुई यह सबसे बढ़ोतरी है। जापान की नई नीति का अमरीका ने स्वागत किया है और चीन ने इसपर आलोचना करते हुए यह कहा है कि, जापान तनाव बढ़ा रहा है।

जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने शुक्रवार को जापान के नए ‘नैशनल सिक्युरिटी स्ट्रैटेजी’ का ऐलान किया। इसमें रशिया-यूक्रेन युद्ध का भी ज़िक्र है और इस युद्ध ने लंबे संघर्ष के लिए हथियारों की तैयारी अहम होने की बात दर्शायी है, यह मुद्दा भी उन्होंने रखा। साथ ही  इस संघर्ष की वजह से चीन जैसे देश की आक्रामकता बढ़ने की संभावना भी जताई गई हैं। चीन ने ताइवान पर हमला किया तो जापान के द्विपों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता है और जापान की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुँचेगा, ऐसा इशारा नई नीति में दिया गया है। उत्तर कोरिया द्वारा लगातार किए जा रहे मिसाइल परीक्षणों ने जापान की चिंता बढ़ाई है, इस मुद्दे पर भी ‘नैशनल सिक्युरिटी स्ट्रैटेजी’ ने ध्यान आकर्षित किया है। इस पृष्ठभूमि पर अगले पांच सालों में जापान अपना रक्षा खर्च बढ़ाकर जीडीपी के २ प्रतिशत करने का लक्ष्य तय कर रहा हैं, ऐसा जापान के प्रधानमंत्री ने कहा।

नई ‘नैशनल सिक्युरिटी स्ट्रैटेजी’ में प्रस्तावित रक्षा खर्च का बड़ा हिस्सा नए मिसाइल, लड़ाकू विमान, ड्रोन्स और युद्धपोतों के लिए खर्च होगा, ऐसे संकेत दिए गए हैं। जापान अमरीका से ५०० से भी अधिक ‘टॉमाहॉक’ मिसाइलों की खरीद करेगा। साथ ही इटली और ब्रिटेन की सहायता से विकसित किए जा रहे प्रगत लड़ाकू विमान के लिए ५.५ अरब डॉलर्स का प्रावधान किया गया हैं। इसके अलावा एक हज़ार किलोमीटर से अधिक मारक क्षमता के एवं हायपरसोनिक मिसाइल का भी जापान निर्माण कर रहा हैं और इसके लिए भी बड़ा प्रावधान किया गया है। जापान के रक्षा बल के बेड़े में मौजूद जमीन से जमीन पर हमला करनेवाले मिसाइलों को हायपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल मे तब्दिल करने का विचार जापान की सरकार और रक्षा बल कर रहे हैं। साल २०२९ तक जापान इस मिसाइल का निर्माण पूरा करेगा, यह दावा है। साथ ही जापान आत्मघाती ड्रोन्स बनाने की भी कोशिश मे जुटा है।

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