इस्रायल परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करे – संयुक्त राष्ट्रसंघ का इस्रायल पर दबाव

न्यूयॉर्क – इस्रायल अपने परमाणु अस्त्रों का त्याग करे और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करे, ऐसी मांग संयुक्त राष्ट्रसंघ ने की है। राष्ट्रसंघ की आम सभा में इससे संबंधित प्रस्ताव बहुमत से पारित किया गया है। सीर्फ छह देशों ने इस प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया और २६ देश इस दौरान तटस्थ रहे। राष्ट्र संघ का यह प्रस्ताव एकतरफा है, ऐसी आलोचना इस्रायल ने पहले ही की थी। इस्रायल में बेंजामिन नेत्यान्याहू की सरकार गठित हो रही हैं और इसी बीच संयुक्त राष्ट्रसंघ में यह प्रस्ताव पारित हुआ है, यह ध्यान आकर्षित करने वाली घटना बनती है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने जारी की हुई जानकारी के अनुसार विश्व के कुल नौ देश परमाणु हथियारों से सज्जित हैं। इनमें इस्रायल का भी समावेश है, ऐसा आरोप ईरान और पैलेस्टिन लगा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ इस्रायल विरोधी कार्रवाई करे, ऐसी मांग पिछले कई सालों से हो रही थी। लेकिन, अब तक संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में इससे संबंधित प्रस्ताव पारित नहीं हुआ था। हर बार अमरीका और यूरोपिय मित्र देशों ने इस प्रस्ताव के विरोध में नकाराधिकार का इस्तेमाल किया था।

लेकिन, दो महीने पहले अक्तुबर महीने में संयुक्त राष्ट्र संघ की आमसभा की फिफ्थ कमेटी के सामने इस्रायल विरोधी प्रस्ताव पेश किया गया। यह प्रस्ताव इस्रायल के खिलाफ १५२-५ ऐसे फरक से पारित हुआ था। ऐसे में दो दिन पहले संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में इस्रायल विरोधी प्रस्ताव पर मतदान हुआ। इसमें १४९ देशों ने इस्रायल के विरोध में और छह देशों ने समर्थन में वोट किया। इस्रायल समेत अमरीका, कनाड़ा, माइक्रोनेशिया, पलाऊ और लिबेरिया इन देशों का इसमे समावेश था। इसी बीच भारत समेत २६ देश इस प्रस्ताव पर तटस्थ रहे।

राष्ट्रसंघ ने यह प्रस्ताव पारित करते हुए इस्रायल से परमाणु अस्त्र त्याग ने को कहा। इसके आगे इस्रायल परमाणु अस्त्रों की प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान या इसका परीक्षण एवं निर्माण ना करे। साथ ही परमाणु अस्त्र धारी देशों की तरह इस्रायल भी परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करें, इसके लिए राष्ट्र संघ ने दबाव बनाया है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग होने वाले अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के निरीक्षकों के लिए इस्रायल ने अपना परमाणु प्रकल्प और संबंधित ठिकाने खुली कर दे, ऐसी गुहार भी राष्ट्र संघ ने लगायी है। दो दिन होने के बावजूद भी इस्रायल ने इसपर बयान नहीं किया है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ का यह प्रस्ताव एकतरफा होने का आरोप इस्रायल ने पहले ही लगाया था। अंतरराष्ट्रीय व्यासपीठ का इस्तेमाल करके ऐसे आरोप लगा रहे देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अनदेखा कर रहे हैं, ऐसी आलोचना इस्रायल ने की थी। ईरान का परमाणु कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होने का आरोप इस्रायल ने लगाया था।

इसी बीच इस्रायल में जल्द ही बेंजामिन नेत्यान्याहू की सरकार गठित हो रही हैं। नेत्यान्याहू की भावी सरकार प्रखर विचारधारा की होगी, यह दावा किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में अमरीका और यूरोपिय देशों की मौजूदगी में राष्ट्र संघ में इस्रायल विरोधी यह प्रस्ताव पारित होना ध्यान आकर्षित करता हैं।

मराठी

Leave a Reply

Your email address will not be published.