पाकिस्तान की गुप्तचर यंत्रणा ने ‘आयएस-खोरासन’ का निर्माण किया – अर्मेनियन अभ्यासगुट का आरोप

येरेवान – अफगानिस्तान में चल रहे हत्याकांड के आरोप और जिम्मेदारी तालिबान पर ना आए, इसके लिए पाकिस्तान के ‘आईएसआई’ ने ही चालाकी से ‘आयएस-खोरासन’ का निर्माण किया। इस संगठन में तालिबान तथा लश्कर-ए-तोयबा इस पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन की ही आतंकी है, ऐसा दावा अर्मेनिया के एक अभ्यास गुट ने किया। कुछ घंटे पहले अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्राध्यक्ष अमरूल्ला सालेह ने भी, आयएस-खोरासन के तालिबान के साथ ताल्लुक होने का आरोप किया था। इससे यही सामने आ रहा है कि दुनिया भर में आतंकवादी कारनामों के लिए कुख्यात होनेवाला पाकिस्तान का गुप्तचर संगठन ‘आयएसआय’ इन सब के पीछे है।

दो दिन पहले अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुए आत्मघाती हमलों के पीछे ‘आयएस-खोरासन’ होने का आरोप अमरीका और तालिबान कर रहे हैं। कुछ साल पहले इराक और सीरिया में अमानवीय कारनामे करनेवाले ‘इस्लामिक स्टेट इन इराक अँड सिरिया-आयएसआयएस’ इस खूंखार आतंकवादी संगठन से आयएस-खोरासन जुड़ा होने का दावा किया जाता है। लेकिन अर्मेनिया के अभ्यास गुट ने स्थानीय अखबार में लिखे लेख में, ‘आयएस-खोरासन’ यह पाकिस्तानी गुप्तचर यंत्रणा का ही निर्माण है ऐसा कहा है।

पाकिस्तान की कुख्यात गुप्तचर यंत्रणा ‘आईएसआई’ ने चालाकी से आयएस-खोरासन का निर्माण करके तालिबान को आरोप मुक्त करने की साज़िश रची, ऐसा इस अभ्यास गुट ने कहा है। अफगानिस्तान में हुए किसी भी आतंकवादी हमलों के लिए ठेंठ तालिबान पर और उनकी सहायता करने वाले पाकिस्तान पर आरोप किए जाते हैं। अफगानिस्तान में बनी अस्थिरता के लिए दुनिया भर से पाकिस्तान को ही दोषी ठहराया जाता है। इस कारण अफगानिस्तान में होनेवाले आतंकवादी हमलों से तालिबान और खुद को आरोपमुक्त रखने के लिए ‘ आईएसआई’ ने ही आयएस-खोरासन का निर्माण किया होने का दावा अर्मेनियन अभ्यास गुट ने किया।

इतना ही नहीं, बल्कि आयएस-खोरासन के संस्थापक से लेकर उसके बाद के सभी नेता पाकिस्तानी और तालिबान के साथ संबंधित थे, इसकी मिसाल इस अभ्यास गुट ने दी। हाफिझ सईद खान, अब्दुल हासिब लोगारी ये दोनों भी तालिबान के सदस्य थे और उन्हें पाकिस्तान में प्रशिक्षण मिला था। वहीं, अफगानिस्तान स्थित गुरुद्वारा पर आतंकवादी हमला करवानेवाला ‘आयएस-खोरासन’ का प्रमुख मौलावी अब्दुल्ला और अस्लम फारूकी ये दोनों भी पाकिस्तान के ‘लश्कर-ए-तोयबा’ इस आतंकवादी संगठन के सदस्य थे। फारूकी के बाद इस संगठन की बागडोर संभालनेवाला भी लश्कर का ही आतंकी था।

इनमें से अस्लम फारूकी को पाकिस्तान के लष्कर ने गिरफ्तार किया था। अमरिकी गुप्तचर यंत्रणा ‘सीआयएस’ की सूचना के बाद फारूकी को अफगानिस्तान की सुरक्षा यंत्रणा के हवाले करना पाकिस्तान के लिए जरूरी था। लेकिन पाकिस्तान के लष्कर ने फारूकी को अफगानी सुरक्षा यंत्रणा के हवाले नहीं किया, इस पर पाकिस्तान के विश्लेषक ही गौर फरमा रहे हैं। वहीं, तालिबान का दूसरे नंबर का नेता मुल्ला बरादर भी पाकिस्तान की ही जेल में था। इससे यही सामने आ रहा है कि अफगानिस्तान में फिलहाल आतंक फैलानेवाला तालिबान और आयएस-खोरासन के नेता, पाकिस्तान के ‘आईएसआई’ की ही एक और आतंकवादी संतान है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.