‘आयएस’ ने काबुल के गुरुद्वारे पर हुए हमले का ज़िम्मा स्वीकारा

काबुल – काबुल में शनिवार को सिखों के गुरद्वारे पर आतंकी हमला हुआ था। दो लोगों की मौत का कारण बने इस आतंकी हमले का ज़िम्मा आतंकी संगठन ‘आयएस’ ने स्वीकारा है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इसका गंभीर संज्ञान लेकर सख्त शब्दों में निषेध किया था। इसके बाद अफ़गानिस्तान में असुरक्षित सौ से अधिक हिंदुओं और सिखों के लिए ई-वीजा जारी किया गया है।

भारत का शिष्टमंड़ल अफ़गानिस्तान पहुंचा है और इसी बीच काबुल के गुरुद्वारे पर आतंकी हमला हुआ। इसमें दो लोग मारे गए हैं। विस्फोटकों से भरे वाहन को टकराकर वहां पर बड़ा नुकसान पहुँचाने की साज़िश की गयी थी। लेकिन, तालिबान ने नियुक्त किए सुरक्षा रक्षकों ने इस साज़िश को नाकाम किया। इससे बड़ी अनहोनी टली, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। ‘आयएस’ ने इस हमले का ज़िम्मा स्वीकारा है।

पिछले कुछ हफ्तों से तालिबान ने भारत के साथ ताल्लुकात सुधारने के कदम उठाकर ध्यान आकर्षित किया था। तालिबान सैन्य प्रशिक्षण के लिए अपने कैडेटस्‌‍ भारत भेजने के लिए तैयार है, ऐसा तालिबान के नेता ने घोषित किया था। साथ ही भारत अफ़गान जनता को प्रदान कर रहे अनाज़, दवाईयां और कोरोना की वैक्सीन के लिए तालिबान ने भारत के प्रति आभार व्यक्त किया है। अफ़गानिस्तान में भारत दूतावास शुरू करे और पहले की तरह विकास प्रकल्प भी शुरू करे, ऐसी माँग तालिबान कर रही है।

अफ़गानिस्तान में अल्पसंख्या हिंदू और सिखों को सुरक्षा मिलेगी, ऐसी गवाही भी तालिबान ने दी थी। भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए तालिबान उठा रहे इन कदमों पर पाकिस्तान गंभीर चिंता व्यक्त कर रहा है। अफ़गानिस्तान में तालिबान की हुकूमत स्थापित होने के बाद पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान के संबंध मज़बूत होंगे और उसी मात्रा में अफ़गानिस्तान पर भारत का प्रभाव कम होगा, इस सोच में पाकिस्तान था। लेकिन, अफ़गानिस्तान में तालिबान की हुकूमत स्थापित होने के बाद इसके बिल्कुल विपरीत होता दिख रहा है, ऐसा पाकिस्तान के विश्लेषक कह रहे हैं।

तालिबान ने पाकिस्तान को दरकिनार करके भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए आवश्यक गतिविधियाँ शुरू की हैं। तालिबान को भारत से स्वीकृति और सहायता की उम्मीद है। साथ ही पाकिस्तान की परवाह करने की ज़रूरत तालिबान को अब नहीं लगती, यह काफी बड़ी चिंता की बात होने की चेतावनी यही विश्लेषक पाकिस्तान की सेना और सरकार को दे रहे हैं।

ऐसी स्थिति में काबुल के गुरुद्वारे पर हुआ हमला भारत की अफ़गानिस्तान संबंधित चिंता बढ़ा रहा है। तालिबान के आश्वासन के अनुसार यकीनन अफ़गानिस्तान में अल्पसंख्यांक हिंदू और सिख सुरक्षित रह सकेंगे क्या, ऐसा सवाल इस हमले के बाद खड़ा हुआ है।

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