ईरान-रशिया के बीच हुआ ‘सुखोई-३५’ विमान खरीद का समझौता – रशियन वृत्तसंस्था की जानकारी

तेहरान – अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का लक्ष्य बने ईरान ने रशिया के साथ प्रगत ‘सुखोई-३५’ लड़ाकू विमान खरीदने के लिए समझौता किया है। ईरान ने इस खरीद की सारी प्रक्रिया पूरी की है, ऐसी जानकारी रशियन वृत्तसंस्था ने प्रसिद्ध की है। इस समझौते को लेकर ईरानी अखबार ने दावा किया है कि, अब पूराने वर्ग के विमानों का इस्तेमाल करने वाले ईरान की वायु सेना के सामर्थ्य में जल्द ही वृद्धि होगी। ईरानी परमाणु प्रकल्प पर हमले करने की योजना बनाने वाले इस्रायल के लिए ईरान-रशिया का यह सहयोग चुनौती साबित हो सकता है।

साल १९८०-८८ के दौरान इराक के ‘फर्स्ट गल्फ वॉर’ लड़ने के बाद ईरान ने अपने वायु सेना की तैयारी बढ़ाना तय किया था। इसके अनुसार ईरान ने लड़ाकू विमान खरीदने के मुद्दे पर अपने मित्र और सहयोगी देशों से गुहार लगाई थी। लेकिन, अमरीका, यूरोपिय देश और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा परमाणु कार्यक्रम पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद ईरान की वायु सेना के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया थम गई थी। इस दौरान ईरान ने स्वदेशी विमान और अन्य हथियारों का निर्माण करके इन प्रतिबंधों का जवाब दिया था। लेकिन, प्रतिबंधों के चलते पूराने वर्ग के विमानों के पूर्जे पाने में भी कठिनाई होने से ईरान की वायु सेना की क्षमता काफी घट गई थी।

लेकिन, संयुक्त राष्ट्र संघ के ‘रिज़ोल्युशन २२३१’ के अनुसार साल २०२० में विदेशी हथियार खरीदने के लिए ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध हटाए जाने के बाद रशिया ने प्रगत लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव ईरान के सामने रखा था। इसकी सारी प्रक्रिया गुप्त रखी गई थी। लेकिन, अब ईरान ने रशिया से सुखोई-३५ लड़ाकू विमान खरीदने का कारोबार पूरा किया है, ऐसी जानकारी रशियन वृत्तसंस्था ने प्रदान की। तकनीक के मोर्चे पर ‘सुखोई-३५’ लड़ाकू विमान ईरान की वायु सेना के लिए सहायक साबित होगी, ऐसा रशियन वृत्तसंस्था ने कहा है।

ईरान रशिया से कितने विमान खरीदेगा और यह विमान ईरानी वायु सेना के बेड़े में कब शामिल होंगे, इसकी जानकारी रशिया या ईरान में से किसी ने सार्वजनिक नहीं की है। लेकिन, रशिया से ‘सुखोई-३५’ खरीदने की तैयारी में ईरान के होने के संकेत कुछ दिन पहले ही प्राप्त हुए थे। पिछले महीने ईरान ने ‘ईगल ४४’ नामक अपने पहले ‘अंडरग्राउंड’ हवाई अड्डे की जानकारी सार्वजनिक की थी। पहाड़ के नीचे छुपे हुए इस हवाई अड्डे पर लड़ाकू विमानों की तैनाती की गई है और ज़रूरत पडते ही यह विमान उड़ान भरकर शत्रु पर धावा बोल सकते हैं, ऐसी चेतावनी ईरान ने दी थी।

इसी बीच, ईरान ने इस हवाई अड्डे का निर्माण ‘सुखोई-३५’ विमानों की तैनाती के लिए करने का दावा अमरीका के सैन्य विश्लेषकों ने किया था। आने वाले दिनों में ईरान के परमाणु प्रकल्प एवं सैन्य ठिकानों पर इस्रायल हमले कर सकता है। हमले करके वापस लौटने वाले इस्रायली विमानों को जवाब देने के लिए ईरान ‘सुखोई ३५’ का इस्तेमाल करेगा, ऐसे संकेत अमरिकी विश्लेषकों ने दिए थे। इसकी वजह से ईरान-रशिया ने ‘सुखोई-३५’ खरीदने का समझौता इस्रायल के लिए चेतावनी साबित हो रहा है।

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