अमरीका के साथ परमाणु समझौते की चर्चा असफल होने के बाद ईरान का रशिया के साथ ईंधन सहयोग बढ़ाने का ऐलान

अश्‍घाबात – ईरान के परमाणु समझौते पर अमरीका और ईरान की कतार में अप्रत्यक्ष चर्चा असफल हुई। ईरान की आक्रामक भूमिका की वजह से यह बातचीत कामयाब नहीं हो सकी, ऐसा आरोप अमरीका ने लगाया है। ठीक इसी दौरान ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी की रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ तुर्कमेनिस्तान में मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों नेताओं ने रशिया-ईरान र्इंधन संबंधित सहयोग व्यापक करने का निर्णय किया। साथ ही रशिया और ईरान को जोड़नेवाले ‘इंटरनैशनल नॉर्थ-साऊथ ट्रान्सपोर्ट कॉरिडॉर’ बनाने पर काम करने का निर्धार दोनों नेताओं ने व्यक्त किया है।

तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्‍घाबात में कैस्पियन समुद्र से जुड़े देशों की बुधवार को बैठक हुई। इस अवसर पर रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन और ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी के बीच र्इंधन, र्इंधनवायु और व्यापार के मुद्दों पर स्वतंत्र चर्चा हुई।

‘दोनों देशों का व्यापार और ऊर्जा क्षेत्र के सहयोग को फिलहाल नई उंचाई प्राप्त हुई है। लेकिन, रशिया और ईरान ने प्राप्त की हुई क्षमता के मद्देनज़र इन दोनों क्षेत्रों का सहयोग अधिक व्यापक करना मुमकिन होगा’, ऐसा इस दौरान ईरान के राष्ट्राध्यक्ष रईसी ने कहा। इसके लिए आर्थिक कारोबार के लिए पश्‍चिमी देशों की यंत्रणा को विकल्प के तौर पर स्वतंत्र यंत्रणा का निर्माण किया जाएगा, ऐसा दावा ईरान के राष्ट्राध्यक्ष ने किया। सीधे ज़िक्र भले ही ना किया हो, फिर भी रशिया और ईरान बार्टर ट्रेड यानी सामान के बदले सामान का कारोबार करेंगे।

ईरान ने कुछ महीने पहले रशिया के सामने इससे संबंधित प्रस्ताव रखा था। ऐसे में रशिया ने पहले ही स्पष्ट किया है कि, पश्‍चिमी देशों की ‘स्विफ्ट’ नामक पेमेंट सिस्टम के विकल्प वाले रशियन संस्करण का इस्तेमाल अपने सहयोगी देशों के साथ कारोबार करने के लिए किया जाएगा।

र्इंधन संबंधित सहयोग के साथ ही दोनों देशों का व्यापारी सहयोग बढ़ाने की बात भी दोनों नेताओं ने स्वीकारी है। कैस्पियन समुद्र को पर्शियन खाड़ी से हिंद महासागर से जोड़नेवाले ‘इंटरनैशनल नॉर्थ-साऊथ ट्रान्सपोर्ट कॉरिडॉर’ को अधिक बल देना ज़रूरी होने की बात राष्ट्राध्यक्ष पुतिन और राष्ट्राध्यक्ष रईसी ने मान ली।

पर्शियन खाड़ी को रशिया के ज़रिये उत्तरी यूरोप से जोड़नेवाला यह मार्ग ‘रेड सी-सुएझ’ नहर के ज़रिये सामान की यातायात के लिए विकल्प साबित हो सकेगा। यूक्रेन युद्ध के कारण पश्‍चिमी देश रशिया पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और ऐसे में रशिया और ईरान का सहयोग होना काफी ध्यान आकर्षित कर रहा है। इस कॉरिडोर का भारत को काफी बड़ा लाभ प्राप्त होगा, ऐसा दावा अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषक कर रहे हैं। इस प्रकल्प के कारण ईरान को अपने भौगोलिक स्थान का बड़ा प्रभावी इस्तेमाल करना मुमकिन होगा। यह प्रकल्प पूरा होने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरान का स्थान अधिक मज़बूत होगा, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है।

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