भारत-अमरीका सहयोग अगले साल नई ऊंचाई प्राप्त करेगा – अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा उप-सलाहकार का दावा

वॉशिंग्टन – ‘अमरीका और अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन जब विश्व को आगे बढ़ाने का भार उठाने के लिए भरोसेमंद साथिदार देशों के लिए विश्व की ओर देखते हैं, उसमें भारत और भारत के प्रधानमंत्री का स्थान सबसे उंचा होता है। राष्ट्राध्यक्ष बायडेन भारत से हो रहा अमरीका का सहयोग सबसे ज्यादा प्रभावी समझते है’, ऐसा दावा अमरीका के राष्ट्रीय उप-सुरक्षा सलाहकार जॉन फिनर ने किया। वॉशिंग्टन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए फिनर बोल रहे थे। इस दौरान अमरीका में नियुक्त भारत के राजदूत तरणजित सिंह संधू ने दोनों देशों का सहयोग यानी ‘टू वे स्ट्रीट’ यानी ‘दोहरा रास्ता’ होने का सूचक बयान किया।

भारत-अमरीका सहयोगयह वर्ष भारत और अमरीका के संबंधों के नज़रिये से बड़ा अहम समझा। लेकिन, साल २०२३ में भारत और अमरीका के संबंध इससे अधिक उंचाई प्राप्त करेंगे, यह दावा अमरीका के उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फिनर ने किया। अगले साल क्वाड की बैठक होगी। साथ ही अगले साल भारत के हाथों में ‘जी-२०’ की अध्यक्षता की बागड़ोर होगी। हम सभी इसे बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं। साथ ही अगले वर्ष भारत-अमरीका के ‘सीईओ डायलॉग’ की नए से शुरूआत हो रही है। साथ ही बड़ी संवेदनशील और आधुनिक तकनीक से संबंधित बैठक भी २०२३ में होगी। लेकिन, यह सभी हिमनग की नोक होगी, इतनी छोटी बाते हैं। भारत और अमरीका का सहयोग २०२३ में उससे भी आगे जानेवाला होगा, यह दावा फिनर ने किया।

भारत और अमरीका का अगले दशकों का सहयोग कैसें आगे बढ़ता रहेगा, इसका निर्णय २०२२ और २३ में होगा, ऐसा ध्यान आकर्षित करने वाला बयान जॉन फिनर ने किया। दोनों देशों के संबंध बड़े प्रभावी है और अभी तक यह सहयोग विस्तार ने के लिए बड़े अवसर हैं, यह विश्वास फिनर ने व्यक्त किया। साथ ही हाल ही में बाली में आयोजित हुई ‘जी-२०’ परिषद का दाखिला देकर इसमें भारत के प्रदर्शन की अमरिकी राष्ट्रीय उप-सुरक्षा सलाहकार ने सराहना की। इसी बीच इस परिषद में बोलते हुए भारत ने यह दौर युद्ध का ना होने का बयान करके राजनीतिक बातचीत से ही यूक्रेन समस्या का हल निकलेगा, यह चेतावनी दी थी। इसका मतलब प्रधानमंत्री मोदी ने रशिया को युद्ध रोकने की सूचना की, यह होता है, ऐसा दावा अमरीका और यूरोपिय देश कर रहे हैं।

भारत की लगातार आलोचना कर रहें अमरिकी माध्यमों ने भी प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान को बड़ी अहमियत देकर ‘जी २०’ पर उनका प्रभाव होने का दावा किया था। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी ने उझबेकिस्तान के समरकंद में आयोजित ‘एससीओ’ की बैठक में भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष से यह युद्ध का दौर ना होने की बात कहकर राजनीतिक बातचीत से मसले का हल निकालने का आवाहन किया था। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के साथ ही भारत ने यह भूमिका काम रखी है। रशिया ने भी भारत की भूमिका हमारे विरोधी ना होने की बात कहकर रशिया उसका सम्मान करती है, ऐसे स्पष्ट संकेत दिए थे। लेकिन, अमरीका और अन्य पश्चिमी देश प्रधानमंत्री मोदी के बयान का दाखिला देकर रशिया विरोधी भूमिका अपनाने के दावे ठोक रहे हैं। जॉन फिनर के बयान से भी इसी तरह के संकेत दिए जा रहे हैं।

इसी बीच, भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने भारत-अमरीका के संबंध दोहरे रास्ते की तरह होने की बात कहकर यह संबंध एक-दूसरे के लिए पूरक होने का दावा किया। वैश्विक स्तर के अनिश्चितता के दौर में भारत स्थिरता का प्रतीक बना हैं और भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का विकास सुनिश्चित कर रहा हैं, ऐसा राजदूत संधू ने आगे कहा।

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