भारतीय सैनिकों ने चीन की घुसपैठ नाकाम कर दी – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

नई दिल्ली/बीजिंग – भारतीय सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सेना की घुसपैठ की कोशिश नाकाम कर दी है, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह जानकारी संसद में साझा की। इसी बीच चीन ने अब ‘एलएसी’ पर स्थिति सामान्य और स्थिर होने का बयान करके भारतीय सेना के साथ अपने सैनिकों की मुठभेड़ पर अधिक बयान करना टाल दिया है। ऐसे में चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने दावा किया कि, भारतीय सैनिकों ने ही हमारी सीमा में घुसपैठ की। तवांग पर चीनी सेना ने ड्रोन्स की गतिविधियां शुरू करने के बाद भारतीय वायुसेना के विमानों ने यहां के ‘एलएसी’ पर हवाई गश्त शुरू की है, ऐसी भी खबरें प्राप्त हो रही हैं। साथ ही वहां की स्थिति पर भारतीय सेना के साथ वायुसेना भी नज़र रखे हुए है, यह कहा जा रहा है।

मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में तवांग में भारत-चीन सैनिकों के टकराव को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने निवेदन किया। चीनी सेना की घुसपैठ की कोशिश को भारत के वीर सैनिकों ने नाकाम कर दिया। इस संघर्ष में भारतीय सैनिक घायल हुए, लेकिन उनकी चोटें गंभीर नहीं हैं, ऐसी जानकारी रक्षा मंत्री ने दी। भारतीय माध्यमों ने दावे किए हैं कि, चीन इस संघर्ष की तैयारी काफी पहले से कर रहा था। फिलहाल चीन में राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के खिलाफ जनता सड़कों पर उतरकर असंतोष व्यक्त कर रही है। इसे मिटाने के लिए चीन अपने पड़ोसी देशों के साथ जानबूझकर सीमा विवाद निर्माण कर रहा है और तवांग के एलएसी पर चीनी सेना की उकसानेवाली हरकत के पीछे यह पृष्ठभूमि होने का दावा भारतीय विश्लेषक कर रहे हैं।

इतना ही नहीं, बल्कि भारत को ‘जी २०’ की अध्यक्षता प्राप्त हो रही है और इस बीच भारत की अहमियत आर्थिक, राजनीतिक एवं अन्य सभी स्तरों पर बढ़ रही है, यह चीन को बेचैनी का कारण है। इसके अलावा अपनी अर्थव्यवस्था के सामने बड़े संकट खड़े होने की स्थिति में भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक आश्वासक गति से प्रगति कर रही है। इसी बीच चीन से बाहर निकल रही कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में बस रही हैं। सन २०२० के गलवान संघर्ष में भारतीय सेना ने अपना सामर्थ्य साबित करके चीन को बडा सबक सिखाया था। इसलिए अपनी सेना में भारत पर हावी होने की क्षमता है, यह साबित करने के लिए चीन ने तवांग के एलएसी पर घुसपैठ करने की साजिश रची थी, विश्लेषक ऐसे दावे कर रहे हैं।

दिसंबर में इस क्षेत्र में होनेवाली बर्फबारी की वजह से तवांग के एलएसी पर गश्त नहीं लगायी जाती। इसका लाभ उठाकर यहां घुसपैठ करके डेरा जमाकर भारतीय सेना पर दबाव बढ़ाने की योजना चीन ने बनायी थी। इसके लिए चीन की सेना ने अपने ३०० सैनिक भेजे थे। लेकिन, चौकन्ना भारतीय सैनिकों ने चीन के सैनिकों को रोका और यह संघर्ष शुरू हुआ। इस टकराव में भारतीय सैनिकों ने चीन के सैनिकों को बडा सबक सिखाया, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। इसकी वजह से चीन के सैनिकों को वहां से पीछे हटना पड़ा। वे घुसपैठ कर रहे थे तब भारत के सैनिक यहां तैयार रहेंगे, चीनी सैनिकों यह सोचा भी था। इसकी वजह से अपनी इतनी ही संख्या में भारतीय सैनिक यहां तैनात होने की बात चीन के सैनिकों को दहला दिया, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

इसी बीच भारतीय सेना के लेफ्टनंट जनरल सी.बी.पोनाप्पा ने तवांग के ‘एलएसी’ की स्थिति भारतीय सेना के नियंत्रण में होने की बात स्पष्ट की। साथ ही इस क्षेत्र में चीन के ड्रोन्स मंड़राने की बात सामने आने पर वायुसेना के ‘सुखोई-३०एमकेआई’ विमानों की हवाई गश्त इस क्षेत्र में शुरू होने की जानकारी सामने आयी है। भारतीय सेना के साथ वायुसेना भी यहां के एलएसी पर चीन की गतिविधियों पर कड़ी नज़र बनाए हुए है, यह बात कही जा रही है।

इस बार भारतीय सेना ने चीनी सेना की साज़िश नाकाम की है, फिर भी चीन की घुसपैठ पर अब गंभीरता से सोचने का समय है। चीन की घुसपैठ पर भारतीय सेना द्वारा सिर्फ बयान दर्ज़ करना काफी नहीं होगा, बल्कि चीन फिर से घुसपैठ करने का साहस ही ना कर सके, ऐसी कार्रवाई करनी पडेगी, ऐसा निवृत्त सेना अधिकारी एवं सामरिक विश्लेषकों का कहना है। चीन दोनों देशों के सीमा समझौतों का पालन नहीं करता है तो भारतीय सेना द्वारा ‘एलएसी’ पर हथियार न इस्तेमाल करने की परंपरा को त्याग दे और इसके लिए सरकार सेना को अनुमति दे, इसके बिना चीन जैसा मतलबी एवं विश्वासघातकी देश का दिमाग ठिकाने पर नहीं आएगा, ऐसा इन पूर्व अधिकारी एवं सामरिक विश्लेषकों का कहना है।

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