भारत अल्प और मध्यम उत्पन्न गुट के देशों की आवाज़ बनेगा – वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन की गवाही

नई दिल्ली – अगले साल भारत में आयोजित हो रहीं ‘जी-२०’ परिषद की तैयारी बड़े जोरों से शुरू हुई हैं और इसके लिए भारत ने अपनी प्राथमिकता भी तय की हैं। अल्प और मध्यम उत्पन्न गुट के देशों की आवाज़ बनकर भारत इस परिषद में काम करेगा, ऐसी गवाही केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने दी। अल्प और मध्यम उत्पन्न गुट के देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए भारत विभिन्न मार्ग और विकल्प इस परिषद में रखेगा, ऐसा दावा वित्तमंत्री सीतारामन ने किया। साथ ही संयुक्त राष्ट्रसंघ ने घोषित किए ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल’ (एसडीजी) का ध्येय प्राप्त करनेके लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश, वैश्विक बैंक में सुधार करना बड़ा आवश्यक होने की चेतावनी सीतारामन ने दी।

‘जी २०’ के ‘ऐन्युअल इंटरनैशनल कान्फरन्स सेशन’ में वित्तमंत्री सीतारामन बोल रही थी। विश्व के प्रगत देशों की संगठन, यह ‘जी २०’ की पहचान हैं। लेकिन, यहां पर गरीब देशों की समस्याओं का विचार संयोग से किया जाता है, ऐसी आलोचना लगातार होती है। खास तौर पर श्रीमंत देश अपने संकुचित स्वार्थ से आगे जाकर गरीब देशों का विचार नहीं करते, ऐसे दावे वैश्विक स्तर पर किए जाते हैं। अफ्रीका और एशियाई महाद्वीप के गरीब और अविकसित देशों के साथ ही विकसनशील देश भी यही शिकायत करते हैं। लेकिन, अगले साल भारत में आयोजित हो रही ‘जी २०’ परिषद अलग होगी, ऐसें स्पष्ट संकेत निर्मला सीतारामन ने दिए।

इस मुद्दे पर भारत की भूमिका बिल्कूल स्पष्ट हैं। उभरती अर्थव्यवस्था, अल्प और मध्य आय गुट के देशों की आवाज़ बनकर भारत इनकी समस्या इस ‘जी २०’ परिषद में रखेगा, यह दावा सीतारामन ने किया। साथ ही इन देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के विभिन्न मार्ग एवं विकल्प भारत देगा, ऐसा वित्त मंत्री ने कहा हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल २०१५ की आम सभा में ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल’ (एसडीडी) का ऐलान किया था। विश्व की शांति और समृद्धि के लिए कुछ ध्येय सामने रखकर साल २०३० तक यह ध्येय प्राप्त करने का अवधि अपने सामने रखा था। यह ध्येय प्राप्त करना हैं तो सभी देशों के विकास के लिए व्यापक नीति अपनानी होगी, इसका अहसास भारतीय वित्त मंत्री ने कराया हैं।

इसी बीच, क्रिप्टो करेंसी का नियमन भी भारत में आयोजित हो रही ‘जी २०’ परिषद का प्रमुख मुद्दा होगा, ऐसा सीतारामन ने कहा हैं। क्रिप्टोकरन्सी पर नियंत्रण पाने का काम कोई एक देश नहीं कर सकता। इसके लिए पूरे विश्व की सहायता आवश्यक है, यह कहकर सीतारामन ने भारत के लिए इसे सबसे अधिक प्राथमिकता होगी, यह साझा किया।

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