भारत एवं उज़्बेकिस्तान में १७ सहयोगी करार

नई दिल्ली – उज़्बेकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष शावकत मिर्झियोयेव्ह भारत के दौरे पर आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनके साथ द्विपक्षीय चर्चा के बाद राष्ट्राध्यक्ष मिर्झियोयेव्ह की उपस्थिति में भारत और उज्बेकिस्तान में १७ सहयोगी करार हुए हैं। उनमें से एक दूसरों के राजनैतिक अधिकारियों को व्हिसा के सिवाय प्रवेश देने के के साथ ही सुरक्षा, लष्करी प्रशिक्षण, विज्ञान और तंत्रज्ञान तथा कृषि विषयक सहयोग के लिये किये करारों का समावेश है। भारत के साथ यह सहयोग ऐतिहासिक होने की बात राष्ट्राध्यक्ष शावकत मिर्झियोयेव्ह ने कही है।

राष्ट्राध्यक्ष शावकत मिर्झियोयेव्ह इनसे अपनी सन २०१५ वर्ष के उज्बेकिस्तान दौरे में भेंट हुई थी। भारत के बारे में उन्हें लगने वाली सद्भावना से मै प्रभावित हुआ था, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज़्बेकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष की प्रशंसा की है। उस समय दोनों देशों में सभी स्तर पर सहयोग बढ़ाने के लिए भारत वचनबद्ध होने की बात प्रधानमंत्री मोदी ने कही है। भारत और उज़्बेकिस्तान में धारणात्मक साझेदारी विकसित करने के लिए विशेष प्रयत्न किए जा रहे हैं और दोनों देश उसके लिए उत्सुक होने का दावा प्रधानमंत्री मोदी ने किया है।

भारत के साथ धारणात्मक साझेदारी विकसित करना यह उज़्बेकिस्तान के प्राधान्य क्रम में सबसे ऊपर होने वाला मुद्दा है, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष मिर्झियोयेव्ह ने संयुक्त पत्रकार परिषद में स्पष्ट किया है। तथा दोनों देशों के संबंधों में रक्षा विशेष सहयोग को बहुत बड़ा स्थान होगा, ऐसा भी उन्होंने कहा है। आतंकवाद विरोधी कार्रवाईयाँ, लष्करी प्रशिक्षण एवं संयुक्त युद्धाभ्यास के लिए आनेवाले समय में भारत एवं उज़्बेकिस्तान पहल करने वाले हैं।

साथ ही दोनों देश, रक्षा उद्योग विषयक सहयोग में बढ़ोतरी करने के लिए आग्रही है, ऐसी जानकारी राष्ट्राध्यक्ष मिर्झियोयेव्ह ने दी है। उज्बेकिस्तान द्वारा रक्षा विभाग का दूतावास भारत में शुरू करने की बात इस निमित्त से घोषित की जा रही है। यह बात दोनों देशों के संबंध अलग उचाई पर पहुचेंगे ऐसा स्पष्ट हो रहा हैं। दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष मिर्झियोयेव्ह के चर्चा में अफगानिस्तान का मुद्दा भी रहा। पिछले कई महीनों से तालिबान की आक्रामकता की वजह से अफगानिस्तान में अस्थिरता फैली है। ऐसी परिस्थिति में अफगानिस्तान के पड़ोसी देश होनेवाले भारत एवं उज्बेकिस्तान चिंता में दिखाई दिए हैं। इस पृष्ठभूमि पर अफगानिस्तान के बारे में दोनों देशों के नेताओं में हुई चर्चा महत्वपूर्ण है।

दौरान भारत और उज्बेकिस्तान में व्यापारी परिवहन, ईरान के छाबहार बंदरगाह विकसित होने से सुलभ हुआ है। इसकी वजह से आने वाले समय में भारत एवं उज्बेकिस्तान में शुरु व्यापार बढ़ने के संकेत प्रधानमंत्री मोदी ने दिए हैं।

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