‘एलएसी’ पर मिसाइल तैनात करेन के लिए भारत बनाएगा ‘टनेल्स’

नई दिल्ली – चीन ने ‘एलएसी’ के करीबी क्षेत्र में भारी मात्रा में सैन्य गतिविधियां शुरू करने की खबरें प्राप्त हो रही हैं और इसी बीच भारत ने जवाब देने की तैयारी शुरू की है। एलएसी के करीब हाल ही में परीक्षण किए गए बैलेस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ की तैनाती करने के लिए भारत ने बहुउद्देशीय टनेल्स निर्माण करने की गतिविधियां शुरू की हैं। तकरीबन 150 से 500 किलोमीटर दूरी तक हमला करने की क्षमता के प्रयल मिसाइलों की एलएसी के करीबी क्षेत्र में तैनाती करने की तैयारी यानी भारत द्वारा चीन को दी जा रही कड़ी चेतावनी होने की चर्चा शुरू हुई है।

लद्दाख के एलएसी पर उकसाने वाली हरकतों के ज़रिये भारत की सुरक्षा को चुनौती देने वाले चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश की थी। भारतीय सेना द्वारा सबक सिखाए जाने के बाद चीन के सैनिक वहां से पीछे हटने के लिए मज़बूर हुए थे। लेकिन, चीन की घुसपैठ की यह समस्या इतनी जल्द दूर नहीं होगी, बल्कि आने वाले दिनों में चीन की सेना घुसपैठ की तीव्रता अधिक बढ़ाती रहेगी, ऐसा विश्लेषक कह रहे हैं क्योंकि, एलएसी पर लगातार घुसपैठ करके चीन इस क्षेत्र पर अपना दावा अधिक मज़बूत करने की साज़िश पर काम कर रहा है। इसकी वजह से भारतीय सैनिकों द्वारा रोके जाने के बाद चीन की सेना पीछे हटी है, फिर भी यह वापसी अस्थायि होगी। चीन बार-बार ऐसी घुसपैठ करता रहेगा, ऐसा इशारा भारत के पूर्व सेना अधिकारी दे रहे हैं।

घुसपैठ करने की हमे बड़ी कीमत चुकानी पडेगी, यह समझ आए बिना चीन ऐसी कोशिशें करना बंद नहीं करेगा, ऐसा इन सेना अधिकारियों का कहना है। इस लिए भारत ने चीन की सैन्य घुसपैठ रोकने की कोशिश सिर्फ कोशिश करना पर्याप्त नहीं होगा। बल्कि चीनी सेना की घुसपैठ को रोकने केलिए हथियारों का इस्तेमाल करने की तैयारी भारत करे। चीन एलएसी का सम्मान नहीं करता है तो भारत भी चीन के साथ किए गए सीमा समझौते का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध नहीं रहेगा, इसका अहसास अब चीन को कराने की ज़रूरत है। यह हुए बिना चीन घुसपैठ बंद नहीं करेगा, ऐसा इन पूर्व सेना अधिकारियों का कहना हैं।

अपनी घुसपैठ की वजह से भारत के साथ रक्तरंजीत संघर्ष हो सकता है, यह समझने के बाद चीन निश्चितरूप से घुसपैठ नहीं करेगा। क्योंकि, वर्तमान में चीन को भारत से संघर्ष नहीं करना है। चीन की अर्थव्यवस्था के सामने फिलहाल काफी बड़ा संकट खड़ा हैं और ताइवान ने अमरीका एवं अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने से चीन बेचैन हुआ है। ऐसी स्थिति में हम कभी भी ताइवान पर हमला कर सकते हैं, ऐसे संकेत चीन दे रहा है। अमरीका और यूरोपिय देश फिलहाल चीन को साथ देने का साहस नहीं करेंगे। ऐसी स्थिति में चीन भारत के साथ संघर्ष करने की भूल नहीं करेगा, ऐसा भारत के पूर्व सेना अधिकारी एवं विश्लेषक कह रहे हैं।

इसी वजह से भारत ने चीन को जोरदार जवाब देने की तैयारी करनी होगी, यह मांग की जा रही है और भारत ने इसी दिशा में कदम उठाने के स्पष्ट संकेत प्राप्त हो रहे हैं। हाल ही में किए गए परीक्षण में ‘प्रयल’ मिसाइल की बैटरीज्‌‍ एलएसी के करीब तैनात करने की गतिविधियां भारत ने शुरू की हैं और इसके लिए बहुउद्देशीय सुरंग बनाने का काम जल्द ही शुरू होगा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। इन टनेल्स में प्रयल एवं अन्य मिसाइल सुरक्षित रखे जा सकते हैं। इसके ज़रिये तिब्बत में भारत के करीबी क्षेत्र में मिसाइल और लड़ाकू विमान तैनात कर रहे चीन को भारत करारा जवाब दे सकता है। इससे पहले भारतीय वायु सेना ने एलएसी पर अपनी तैनाती बढ़ाई है और यहां के क्षेत्र पर हमारी नज़र होने का ऐलान किया था। ऐसी स्थिति में अत्याधुनिक मिसाइलों की तैनाती की तैयारी करके भारत द्वारा चीन को उचित संदेश दिया हुआ दिख रहा है।

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