युरोप में घुसपैठ कर रहें अवैध शरणार्थियों की संख्या बढ़ी

ब्रुसेल्स – युरोप में अवैध प्रवेश कर रहें शरणार्थियों की संख्या काफी बढ़ी है। साल २०२२ के पहले नौ महिनों में युरोपीय देशों में कुल सवा दो लाख शरणार्थियों ने घुसपैठ की, ऐसी जानकारी ‘फ्रंटेक्स’ नामक युरोपीय यंत्रणा ने प्रदान की। यह साल २०१६ के बाद हुई सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। रशिया-युक्रेन युद्ध और एशिया एवं अफ्रीकी महाद्वीप की अस्थिरता के कारण शरणार्थियों के घुसपैठ की मात्रा में रिकार्ड बढ़ोतरी होने की बात सामने आयी है। साल २०१५ में युरोप में १० लाख से भी अधिक शरणार्थियों ने अवैध घुसपैठ की थी।

साल २०२२ के पहले नौ महीनों में, २ लाख २८ हज़ार २४० से भी अधिक अवैध शरणार्थियों ने युरोपियन देशों में घुसपैठ की है। पिछले साल की तुलना में इस साल अवैध प्रवेश करनेवालों की संख्या ७० प्रतिशत से भी अधिक है। प्राप्त जानकारी के अनुसार साल २०१६ में हुई घुसपैठ के बाद इस वर्ष सबसे अधिक घुसपैठ हुई है’, ऐसा फ्रंटेक्स ने कहा है। इस साल सबसे ज्यादा घुसपैठ बाल्कन क्षेत्र के देशों से होने की चेतावनी फ्रंटेक्स ने अपनी रपट से दी।

युरोप में प्रवेश कर रहें अवैध शरणार्थियों में सिरिया, अफ़गानिस्तान, तुर्की, ट्युनिशिया, इजिप्ट और बांगलादेश से आनेवाले नागरिकों का समावेश है। बाल्कन क्षेत्र से १ लाख से भी अधिक और भूमध्य सागर से ६५ हज़ार से भी अधिक शरणार्थियों ने अवैध प्रवेश किया, ऐसी जानकारी ‘फ्रंटेक्स’ ने अपनी रपट मे साझा की। इनमे युक्रेन से पहुँचे शरणार्थियों का समावेश नहीं हुआ है।

पिछले दशक में जर्मनी की चान्सलर एंजेला मर्केल के नेतृत्व में अपनाई ‘ओपन डोअर पॉलिसी’ की वजह से, युरोप में शरणार्थियों के झुंड़ों का प्रवेश भारी मात्रा में होना शुरू हुआ। इसके विरोध में असंतोष तीव्र होने से, पिछले दो सालों में यह घुसपैठ रोकने के लिए कुछ आक्रामक निर्णय किए गए थे। लेकिन, कोरोनो की महामारी और रशिया-युक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर युरोपियन महासंघ ने शरणार्थियों के लिए फिर से अपने द्वार खोलने की कोशिश शुरू की है। शरणार्थियों की बढ़ती संख्या इसी के संकेत देती है।

युरोप में घुसपैठ कर रहें अफ्रीकी और खाड़ी देशों के शरणार्थियों की वजह से युरोपीय समाज, मूल्य और संस्कृति के लिए खतरा बना है। इसी कारण से युरोपीय जनता में असंतोष बढ़ रहा है और इसके राजनीतिक और सामाजिक परिणाम भी कुछ देशों में दिखाई दे रहे हैं। शरणार्थियों के विरोध में सख्त भूमिका अपना रहीं दक्षिणपंथी विचारधारा की पार्टियों को प्राप्त समर्थन बढ़ रहा है और कुछ देशों में शरणार्थियों को रोकने के लिए कानून भी बनाए जा रहे हैं।

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