‘जी २०’ देश वैश्विक चुनौतियों के विरोध में सहयोग करें – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली – अपने मतभेदों से अधिक हमें साथ लाने वाले मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें, ऐसा संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जी २०’ परिषद को दिया। नई दिल्ली में आयोजित इस परिषद में अमरीका और पश्चिमी देशों का गुट यूक्रेन पर हमला करनेवाली रशिया का निषेध करने की मांग कर रहा हैं। संयुक्त निवेदन में रशिया के निषेध का मुद्दा होना ही चाहिये, ऐसा अमरीका और पश्चिमी देशों का कहना हैं। वही, रशिया और चीन इसे बड़ी तीव्रता से विरोध कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत के प्रधानमंत्री ने ‘जी २०’ देश अपनी ज़िम्मेदारी को पहचान कर वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एकजूट करें, ऐसा आवाहन किया हैं।

महात्मा गांधी और बुद्ध के देश होनेवाले भारत की सभ्यता और विरासत हमें मतभेद भूलकर साथ लाने वाले मुद्दों पर ध्यान केंद्रीत करने का संदेश देते हैं। पूरे विश्व में तेढ़ हैं और ऐसे में हम सभी मिल रहे हैं, इस वजह से ‘जी २०’ देशों के विदेश मंत्रियों की यह बैठक बड़ी अहमियत रखती है। दुनिया भर में जारी तनाव पर हर एक देश की अपनी स्वतंत्र नीति हो सकती हैं। लेकिन, दुनिया के पहले २० क्रमांक की अर्थव्यवस्था के तौर पर यहा ना होनेवाले देशों के लिए कुछ तो करने की ज़िम्मेदारी हमने स्वीकारनी होगी, ऐसा इशारा प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान दिया।

आर्थिक उन्नती और विकास, संकट का सफल मुकाबला करने के लिए आर्थिक स्थिरता, अन्न और ऊर्जा सुरक्षा जैसी सबके सामने खड़ी चुनौतियों का दाखिला भी प्रधानमंत्री ने इस दौरान दिया। साथ ही देशों की सीमाओं की परवाह किए बिना गुनाह कर रहे गिरोह, भ्रष्टाचार, आतंकवाद से बन रहे खतरों का भी प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ज़िक्र किया। लेकिन, यूक्रेन का युद्ध या अन्य विवादित मुद्दों का सीधे ज़िक्र करने से प्रधानमंत्री दूर रहे। लेकिन, अमरीका, ब्रिटेन, यूरोपिय महासंघ यूक्रेन पर हमला करनेवाली रशिया का इस परिषद में निषेध करने के मुद्दे पर अड़े रहे हैं।

वही, दूसरी ओर रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैव्हरोव्ह ने अमरीका और पश्चिमी देशों के साथ रशिया संबंधित पूर्वग्रह की भूमिका अपनाने वाले माध्यमों की कड़ी आलोचना की। चीन को ‘जी २०’ के संयुक्त निवेदन में यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए उसने पेश किए प्रस्ताव का समावेश करना है। ऐसे सभी मतभेद दूर करके ‘जी २०’ बैठक में संयुक्त निवेदन के लिए सहमति बनाने की जोरदार राजनीतिक कोशिश भारत कर रहा हैं। लेकिन, फिलहाल इसे सफलता हासिल होने की संभावना नहीं हैं।

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