पूर्व जासूस रहे जर्मन विश्‍लेषक की चीन के लिए जासूसी

बर्लिन – जर्मनी के गुप्तचर विभाग में जासूसी का काम करने के बाद सेवानिवृत्त हुए नामांकित विश्‍लेषक क्लॉस लैंज ने चीन के लिए जासूसी करने की बात स्पष्ट हुई है। जर्मन यंत्रणाओं ने लैंज पर यह गंभीर आरोप लगाया है। जर्मनी की काफी संवेदनशील जानकारी चीन को प्रदान करके क्लॉस लैंज ने देश की सुरक्षा को खतरे में ड़ाला है, यह आरोप जर्मन यंत्रणाओं ने लगाया है। चीन के लिए जासूसी कर रहे लोगों को इससे पहले अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और भारत में भी गिरफ्तार किया गया था। इस वजह से चीन अन्य देशों में कर रही हरकतें और हस्तक्षेप का मुद्दा सामने आया है।

जर्मन वृत्तसंस्था ने जारी की हुई जानकारी के अनुसार क्लॉस लैंज ने जर्मनी की ‘फेडरल इंटेलिजन्स सर्विस-बीएनडी’ के लिए करीबन ५० वर्षों तक जासूसी की थी। जर्मन एजन्सी से सेवानिवृत्त होने के बाद लैंज ने वर्ष २०१० में अभ्यासगुट में बतौर विश्‍लेषक काम करना शुरू किया था। जर्मनी की चान्सलर एंजेला मर्केल के ‘क्रिश्‍चन सोशल युनियन’ नामक पार्टी से यह अभ्यासगुट जुड़ा होने का दावा किया जा रहा है। 

जर्मन अभ्यासगुट के लिए विश्‍लेषक के तौर पर काम करने के साथ ही लैंज ने ‘डबल एजंट’ के तौर पर चीनी गुप्तचर यंत्रणा के लिए जासूसी शुरू की, यह आरोप जर्मन यंत्रणाओं ने लगाया है। वर्ष २०१० में चीन के शांघाय स्थित ‘तौंग्जी युनिवर्सिटी’ में व्याख्यान देने पहुँचने के बाद चीनी गुप्तचर यंत्रणा ने लैंज को ‘डबल एजंट’ के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू किया था। इसके बाद लैंज ने सितंबर २०१९ तक ‘डबल एजंट’ के तौर पर चीनी गुप्तचर यंत्रणा के लिए काम किया था।

लैंज ने लगभग दस वर्षों की अवधि में जर्मनी की सुरक्षा से संबंधित गोपनीय जानकारी चीनी गुप्तचर यंत्रणा को प्रदान की। यह जानकारी प्राप्त करने के लिए जर्मन राजनीति में अपने कॉन्टैक्टस्‌ का इस्तेमाल करने की बात लैंज ने कबूली है। साथ ही लैंज ने चीनी गुप्तचर यंत्रणा से संबंधित अफसरों की जानकारी जर्मन गुप्तचर यंत्रणा को प्रदान की थी। लैंज से प्राप्त हुई जानकारी ने जर्मनी को कितना नुकसान पहुँचाया, चीन ने इस जानकारी का इस्तेमाल कहां पर किया, यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है। लेकिन, लैंज के कबूलनामे की वजह से जर्मन व्यवस्था में चीनी गुप्तचर यंत्रणाओं की घुसपैठ स्पष्ट हुई है। 

चीन की गुप्तचर यंत्रणा, सेना ने अन्य देशों की सियासी, लष्करी एवं शिक्षा व्यवस्था में की हुई घुसपैठ की खबरें बीते कुछ महीनों से सामने आ रही हैं। जर्मनी की तरह अमरिकी गुप्तचर यंत्रणा और सेना में चीन के डबल एजंट मौजूद होने की बात स्पष्ट हुई थी। चीन की गुप्तचर यंत्रणा के लिए जासूसी कर रहे ब्रिटेन के माध्यमों का हिस्सा रहे तीन पत्रकारों को ब्रिटीश गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआय ५’ ने धीरे से अलग किया था। भारत में भी चीन के लिए जासूसी कर रहे पत्रकार को हिरासत में लेने की घटना सामने आयी है।

इसके अलावा अमरीका, ब्रिटीश और ऑस्ट्रेलियन युनिवर्सिटीस्‌ में शिक्षा पानेवाले छात्रों में चीनी सेना के जासूस होने के आरोप लगे थे। इसमें चीनी नेता और लष्करी अफसरों के बच्चों का समावेश होने की खबरें प्राप्त हुई थीं। चीन की अन्य देशों में जारी हरकतें और हस्तक्षेप की घटनाएं एक के बाद एक सामने आने से विश्‍वभर में चीन को संदेहजनक नज़रों से देखा जाने लगा है।

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