१२२ एमएम कैलिबर और पिनाका रॉकेट की प्रगत आवृत्ति का परीक्षण

चांदिपूर – कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने के बाद ‘डीआरडीओ’ ने हथियारों का परीक्षण बंद किया था। अब यह परीक्षण दोबारा शुरू किया गया है। गुरूवार के दिन ‘डीआरडीओ’ ने सबसोनिक क्रूज़ निर्भय मिसाइल का परीक्षण किया था। इसके बाद अब ‘१२२ एमएम कैलिबर रॉकेट’ समेत पिनाका रॉकेट की प्रगत आवृत्ति का परीक्षण किया है। ‘मल्टी बैरल रॉकेट लौन्चर’ (एमबीआरएल) की सहायता से किया गया यह परीक्षण सफल हुआ है। प्रगत ‘पिनाका’ के दो दिनों के दौरान कुल २५ परीक्षण करने की जानकारी रक्षा मंत्रालय ने साझा की है। १२२ एमएम कैलिबर एवं पिनाका रॉकेट की प्रगत आवृत्तियां का सफल परीक्षण करने पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वैज्ञानिकों की सराहना की। 

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओड़िशा स्थित चांदिपूर रेंज से यह परीक्षण किया। पिनाका रॉकेट का यह परीक्षण गुरूवार २४ जून और शुक्रवार २५ जून लगातार दो दिन किया गया। पिनाका रॉकेट की ‘मार्क-१’ आवृत्ति बीते २१ वर्षों से भारतीय सेना के बेड़े में शामिल है। कारगिल युद्ध में भी स्वदेशी निर्माण के यह रॉकेट काफी उपयोगी साबित हुए थे। लेकिन, अब इस रॉकेट की मारक क्षमता बढ़ाई जा रही है। ७५ किलोमीटर दूरी तक हमला करने की क्षमता वाले पिनाका की ‘मार्क-२’ आवृत्ति फिलहाल विकसित की जा रही है। इसके साथ ही पिनाका मार्क-१ की मारक क्षमता भी बढ़ाई गई है। बीते दो दिनों में किए गए यह परीक्षण ‘मार्क-१’ आवृत्ति के थे। लेकिन, इस रॉकेट की मारक क्षमता अब ४० किलोमीटर की बजाय ४५ किलोमीटर हुई है।

पिनाका रॉकेट चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर बड़ी मात्रा में तैनात किए गए हैं। बीते वर्ष चीन ने लद्दाख में की हुई घुसपैठ और जून में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद ‘एलएसी’ पर भारी संख्या में इस रॉकेट की तैनाती की गई है। साथ ही इस रॉकेट का बड़ी संख्या में निर्माण करने का निर्णय भी किया गया था। इसके अलावा, पिनाका रॉकेट लौन्चर के साथ छह रेजिमेंट का उत्पादन करने के लिए तीन कंपनियों के साथ समझौता भी किया गया था। चीन के साथ तनाव की पृष्ठभूमि पर यह रणनीतिक निर्णय किए गए थे। इस वजह से अधिक मारक क्षमता के पिनाका रॉकेट के किए गए यह परीक्षण अहमियत रखते हैं।

इसी के साथ शुक्रवार के दिन १२२ एमएम कैलिबर के रॉकेट की प्रगत आवृत्ति का भी परीक्षण किया गया। भारतीय सेना के लिए निर्माण किए गए इन रॉकेटस्‌ की मारक क्षमता ४० किलोमीटर है। इस परीक्षण के दौरान मल्टी बैरल रॉकेट लौन्चर की सहायता से कुल चार रॉकेट दागी गईं और इन रॉकेटस्‌ ने निर्धारित लक्ष्य को सटीक निशाना बनाया। टेलिमेट्री, राड़ार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम की सहायता से इन परीक्षणों पर बारीकी से नज़र रखी गई। जिस उद्देश्‍य से यह परीक्षण किए गए थे इसके प्राप्त परिणामों पर यह परीक्षण सफल होने का बयान रक्षा मंत्रालय ने किया है।

१२२ एमएम कैलिबर रॉकेट सिस्टम डीआरडीओ के पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च ऐण्ड डेवलपमेंट एस्टाब्लिशमेंट (एआरडीई) और हाय एनर्जी मटिरीअल रिसर्च लैबोरेटरी (एचईएमआरएल) ने संयुक्त कोशिश से विकसित की है। भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किए गए मौजूदा १२२ एमएम ग्रैड़ रॉकेटस्‌ के स्थान पर इन नए १२२ एमएम कैलिबर के रॉकेटस्‌ की तैनाती होगी। इस वजह से १२२ एमएम कैलिबर रॉकेटस्‌ के परीक्षण को प्राप्त हुई कामयाबी अहम है।

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