डेन्मार्क की सेना युद्ध के लिए तैयार नहीं है – वरिष्ठ सेना अधिकारी का दावा

कोपनहेगन – नाटो के सदस्य देश और यूरोप के प्रमुख देशों में से एक डेन्मार्क की सेना युद्ध के लिए तैयार न होने का दावा वरिष्ठ सेना अधिकारी ने किया है। यूरोप के फिनलैण्ड और स्वीडन जैसे देश नाटो की सदस्यता स्वीकारने की तैयारी में हैं और ऐसे में नाटो सदस्य देश के सेना अधिकारी का यह बयान ध्यान आकर्षित कर रहा है।

‘डेन्मार्क की सेना को युद्ध के लिए तैयार होने के लिए कई वर्ष लगेंगे। सेना में सैनिकों की काफी कमी है। स्थिति काफी कठिन है। हम पिछले चार दशकों से सेना में कार्यरत हैं। लेकिन, मौजूदा स्थिति इतनी खरबा पहले कभी नहीं थी’, ऐसा इशारा डेन्मार्क की सेना के ब्रिगेडियर जनरल हेन्रिक लिहन्‌ ने दिया।

डेन्मार्क की सेना में ३० से ३५ स्थान फिलहाल रिक्त हैं। अब बड़ा निवेश किया जाए तब भी इसका असर दिखाई देने में कई वर्ष लगेंगे, ऐसा दावा भी ब्रिगेडियर जनरल हेन्रिक ने किया। डेन्मार्क की सेना के प्रमुख दलों में सैनिकों की सताने वाली बडी समस्या पर उन्होंने ध्यान आकर्षित किया है।

रशिया के यूक्रेन पर हमलों की पृष्ठभूमि पर नाटो ने यूरोप की सैन्य तैनाती और रक्षा क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया है। लेकिन, इसी बीच यूरोपिय देशों ने यूक्रेन को लगातार भारी मात्रा में हथियारों की आपूर्ति जारी रखी है। इसकी वजह से यूरोपिय देश मुश्किल में घिरे हैं और ब्रिटेन, जर्मनी के साथ कई प्रमुख देशों से अपने रक्षा बल पूरी तरह से तैयार न होने की बात सामने लायी है।

नाटो देशों की तैयारी नहीं है और ऐसे में फिनलैण्ड और स्वीडन जैसे देश नाटो की सदस्यता पाने गतिविधि कर रहे हैं और आनेवाले कुछ महीनों में उन्हें सदस्यता प्राप्त होगी, ऐसा दावा नाटो अधिकारियों ने किया है।

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