भारत के संयम की चीन उपेक्षा ना करें – पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले

नई दिल्ली – एलएसी पर अपनी घुसपैठ की हरकतों पर भारत हमेशा से संयमी प्रतिक्रिया देगा, ऐसा विचार चीन ने दृढ़ किया है। लेकिन, चीन को अब अपने इस विचार पर फिर से सोचना होगा, ऐसी चेतावनी भारत के पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने दी। ‘कार्नेजी इंडिया’ नामक अभ्यास गुट ने हाल ही में जारी किए ‘चायना इंडियोज्‌‍ पॉलिसी ः लेसन फॉर इंडिया-चायना रिलेशन्स’ नामक रपट में पूर्व विदेश सचिव ने यह दावा किया। साल २०२० में गलवान में हुए संघर्ष के बाद भारत की चीन संबंधित नीति में स्पष्टता देखी गई हैं और चीन अपना भागीदार नहीं, बल्कि बैरी देश होने की बात भारत के रणनीतिकार समझने लगे हैं, इस बड़े अहम मुद्दे पर विजय गोखले ने ध्यान आकर्षित किया।

भारत के रणनीतिक विश्लेषक भी भारत के काफी आक्रामक प्रत्युत्तर के बिना चीन एलएसी पर हरकते करना बंद नहीं करेगा, ऐसे इशारे बार बार दे रहे हैं। खास तौर पर तवांग के ‘एलएसी’ पर ९ दिसंबर को चीन के सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की और इसके बाद भारत के सामरिक विश्लेषक एवं पूर्व सेना अधिकारियों ने अपनी यह मांग अधिक तीव्र की थी। पहले के समय में चीन के साथ हुए सीमा समझौते के अनुसार एलएसी पर दोनों देशों की सेना गोलीबारी नहीं कर सकती। इसका लाभ उठाकर चीन एलएसी पर लगातार स्थिति में बदलाव करने की कोशिश कर रहा हैं। इसे रोकना हैं तो भारत सरकार ने यह समझौते खत्म करके घुसपैठ कर रही चीनी सेना पर गोलीबारी करने की अनुमति भारतीय सेना को दे, ऐसा पूर्व सेना अधिकारी एवं सामरिक विश्लेषक कह रहे हैं।

इसके लिए भारत सरकार पर दबाव बढ़ रहा हैं और तभी ‘चायना इंडियाज्‌‍ पॉलिसी ः लेसन फॉर इ्‌ं‍डिया-चायना रिलेशन्स’ नामक रपट जारी हुई हैं। इसमें पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने भारत के संयम की चीन उपेक्षा ना करें, यह चेतावनी दी है। अबतक चीन एलएसी पर करते रहे हरकतें, भारत हमेशा अपनी घुसपैठ पर संयमी प्रत्युत्तर देगा, इसी समझ से हुई थी। लेकिन, भारत इस मोर्चे पर लगातार संयम ही दिखाता रहेगा, यहां की स्थिति बिगड़ने नहीं देगा, इस विचार पर चीन ने दोबारा सोचने की ज़रूरत हैं, इस बात पर विजय गोखले ने ध्यान आकर्षित किया हैं।

साथ ही हम कई मोर्चों पर भारत के बेहरतर हैं, इसी विचार में चीन हैं और यह बात भी भारत के एलएसी पर चीन की हरकतों को बढ़ावा देनेवाली साबित हो रही हैं, ऐसा गोखले ने स्पष्ट किया। इसी वजह से भारत ने अपनी आर्थिक एवं राजनीतिक और अन्य मोर्चों पर प्राप्त क्षमता अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है, ऐसी सलाह भी पूर्व विदेश सचिव ने दी हैं। गलवान संघर्ष के बाद चीन अब भारत का भागीदार देश है या शत्रु, इसका संभ्रम पुरी तरह से दूर हुआ हैं। भारत के रणनीतिकार अब चीन को स्पर्धक के तौर पर नहीं, बल्कि शत्रु के तौर पर देखने लगे हैं।

भारत की रनणीति में यह स्पष्टता देखी जाने लगी हैं और ऐसे में भारत हमेशा ही अपनी घुसपैठ की हरकतों पर संयम से जवाब देता रहेगा, यह उम्मीद चीन नहीं रख सकेगा, यह गोखले ने इस रपट मे स्पष्ट किया हैं। इसी बीच चीन ने एलएसी पर गोलीबारी ना करने के साथ बड़े हथियारों का इस्तेमान ना करने के समझौते करके भारत का प्रतिकार सीमित किया और बाद में एलएसी पर घुसपैठ करना शुरू किया। एलएसी पर चीन कर रहे दावे इन समझौतों के बाद के समय में ही अधिक तीव्रता से सामने आए थे, इसका अहसास सामरिक विश्लेषकों ने कराया हैं।

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