ईरान मे छाबर बंदरगाह के पहले स्तर का उद्घाटन – भारत के विदेश मंत्री की ईरान भेंट

नई दिल्ली / तेहरान: पाकिस्तान को छोड़कर अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देश एवं यूरोप तक व्यापारी मार्ग भारत के लिए खुला करने वाले छाबर बंदरगाह के पहले स्तर का उद्घाटन हुआ है। इससे पहले रशिया के ‘सोची’ में मातृभूमि लौटने वाले भारत के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ईरान को भेंट दी है। ईरान के विदेश मंत्री जावेद झरिफ ने उनसे चर्चा की है और उनकी मुलाकात मे अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों का समावेश होने की बात कही जा रही है।

छाबर बंदरगाह, उद्घाटन, सुषमा स्वराज, भारत विदेश मंत्री, त्रिस्तरीय बैठक, ईरान, अफगानिस्तान

महीने पहले भारतने छाबर बंदरगाह मार्ग से अफगानिस्तान को १ लाख ३० हजार टन गेहूं निर्यात किए थे। इस बंदरगाह का औपचारिक उद्घाटन रविवार को संपन्न हुआ है। यह बंदरगाह भारत ने विकसित किया है और व्यापारी तथा व्यूहरचनात्मक रूप से भारत के लिए ईरान का यह बंदरगाह अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस बंदरगाह का शहीद बेहशती बंदरगाह और शहीद कालांतरी बंदरगाह ऐसे २ भाग हैं। उसमें से शहीद बेहशती बंदरगाह का काम पहले स्तर में पूर्ण हुआ है। इस बंदरगाह की वजह से इस क्षेत्र के देशों में सहयोग और एकता बढ़ेगी, ऐसा विश्वास उस समय राष्ट्राध्यक्ष रोहानी ने व्यक्त किया है। साथ ही छाबर बंदरगाह रेल मार्गने मध्य आशियाई पूर्व और उत्तर यूरोप को रशिया मार्ग से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना ईरान के राष्ट्राध्यक्ष ने घोषित की है।

उस समय भारत अफगानिस्तान के साथ मध्य आशिया के अन्य देशों के प्रतिनिधी उपस्थित थे। भारत के नौवहन राज्यमंत्री पी. राधाकृष्णन इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान भारत, ईरान और अफगानिस्तान के प्रतिनिधि में त्रिस्तरीय बैठक संपन्न होने का वृत्त है। मुख्य तौर पर छाबर बंदरगाह का औपचारिक उद्घाटन होने से पहले भारत के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ईरान को दिए अघोषित भेंट चर्चा का विषय बना है। रशिया की सोची शहर में ‘एससीओ’ के परिषद का आयोजन किया गया था। इस परिषद में शामिल हुए विदेश मंत्री स्वराज मातृभूमि लौटने से पहले ईरान की राजधानी तेहरान पहुंची थी।

छाबर बंदरगाह, उद्घाटन, सुषमा स्वराज, भारत विदेश मंत्री, त्रिस्तरीय बैठक, ईरान, अफगानिस्तान

ईरान के विदेश मंत्री जावेद झरिफ इनकी विदेशमंत्री स्वराज ने मुलाकात की और दोनों देशों में द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा होने का वृत्त है। उसकी अधिक जानकारी उजागर नहीं हुई है, फिर भी छाबर बंदरगाह के बारे में सहयोग अधिक व्यापक करने पर दोनों नेताओं का एकमत होने की जानकारी ईरान के माध्यमों ने दी है। भारत ईरान में छाबर बंदरगाह प्रकल्प से यह सहयोग इस क्षेत्र में व्यापार और परिवहन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पर इस महत्वपूर्ण परियोजना की वजह से चीन एवं पाकिस्तान विकसित कर रहे इकनोमिक कॉरिडोर प्रकल्प के सामने बहुत बड़ा आवाहन निर्माण होने का दावा किया जा रहा है। छाबर बंदरगाह की वजह से आने वाले समय में अफगानिस्तान को जीवनावश्यक वस्तू प्राप्त करने के लिए पाकिस्तान पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होगी। इसका बहुत बड़ा राजनीतिक लाभ अफगानिस्तान के साथ भारत को भी मिलेगा, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.