‘नॉन कॉन्टैक्ट वॉरफेअर’ तकनीक पर सेना ने किया गौर

नवी दिल्ली – ‘नॉन कॉन्टैक्ट वॉरफेअर’ यानी के सीधे संपर्क में ना रहकर युद्ध करने की तकनीक में काफी बढोतरी हुई है और कुछ देशों ने इस क्षेत्र में काफी बढत भी बनाई है| इस वजह से आधुनिक दौर के युद्ध का चेहरा भी बदल चुका है| भारत भी इस क्षेत्र में पीछे नही रह सकता, यह संकेत देकर सोमवार से इस विषय पर सेना ने बातचीत का सत्र शुरू करने का तय किया है| सेनाप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने आयोजित किए इस सत्र में देश के अगले सेनाप्रमुख लेफ्टनंट जनरल मनोज नरवणे के साथ लष्करी विशेषज्ञस रक्षा संबंधित उद्योग विश्‍व से जुडे नामांकित एवं सामरिक विश्‍लेषक भी शामिल होंगे|

शत्रु देश में सीधे सेना भेज कर हमला करने के बजाए शत्रु की सेना को उन्हीं की जमीन में परास्त करने की तकनीक विकसित हुई है और इसे ‘नॉन कॉन्टैक्ट वॉरफेअर’ कहा जा रहा है| इस युद्ध तकनीक के जरिए शत्रु देश की सेना का बडा नुकसान करना संभव होता है और साथ ही उस देश की रक्षा एवं सियासी व्यवस्था भी तबाह की जा सकती है| सीधे युद्ध करने में उठाया जा रहा खतरा ‘नॉन कॉन्टैक्ट वॉरफेअर’ के प्रयोग से उठाने की जरूरत नही रहती| युद्ध से होनेवाला नुकसान और विनाश भी इससे बच सकता है| साथ ही शत्रु देशो को इससे जोरदार झटका लगता है, इशी वजह से इस तरह की युद्ध तकनीक का विकास दुनिया भर के प्रमुख देशों ने किया है| इस युद्ध तकनीक में इन देशों ने बढत बनाई है| ऐसे में अब भारत को भी इस तरह की युद्ध तकनीक का अभ्यास और विकास करना आवश्यक बना है|

इसी वजह से सोमवार से जनरल बिपीन रावत के नेतृत्व में ‘नॉन कॉन्टैक्ट वॉरफेअर’ पर विचार करने के लिए एक परिषद का आयोजन हो रहा है| अगले कुछ दिनों में भारत के सेनापमुख पद की जिम्मेदारी लेनेवाले लेफ्टनंट जनरल मनोज नरवणे भी इस परिषद में शामिल हो रहे है| साथ ही रक्षा क्षेत्र से जुडे विशेषज्ञ एवं विश्‍लेषक भी इस परिषद का हिस्सा होंगे| 

इस युद्ध तकनीक में देश की कमांड कंट्रोल, कम्युनिकेशन्स, कॉम्प्युटर, इंटेलिजन्स, सर्व्हिलन्स एवं शत्रु की गतिविधियों के विरोध में प्रतिबंधात्मक उपाय करने की पद्धती का भी आधुनिक तकनीक से विकास करना जरूरी है और अपनी क्षमता बढाने के भी आवश्यकता रहती है, यह लष्करी अफसरों का कहना है|

पाकिस्तान और चीन जैसे षडयंत्र करनेवाले देश पडोस में होनेवाले भारत को इस तरह की युद्ध तकनीक का विकास करने की काफी बडी जरूरत होने की बात पहले भी कई बार स्पष्ट हुई थी?और विश्‍लेषक यह सलाह भी दे रहे थे|

चीन की गुप्तचर यंत्रणा ने अपने देश की व्यवस्था में काफी गहराई तक घुसपैठ की है और इससे अपनी देश की सुरक्षा को बडा खतरा बनता है, यह इशारा अमरिका ने भी दिया था| ऑस्ट्रेलिया ने भी अपने देश में मौजूद चीन के हस्तकों के विरोध में मोर्चा खोला है| यह सभी प्रकार चीन के ‘नॉन कॉन्टैक्ट वॉरफेअर’ या ऐसी ही युद्ध तकनीक का हिस्सा होने के संकेत प्राप्त हो रहे है|

 

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