अमरीका को भारत की विलक्षण आर्थिक प्रगति का भागीदार बनना है – बायडेन प्रशासन का दावा

वॉशिंग्टन – चीन की भारत के साथ सीमा विवाद का हल बातचीत के ज़रिए निकालने में ज्यादा रूचि नहीं है। ऐसी स्थिति में अमरीका ने अपनी भूमिका बिल्कुल स्पष्ट तौर पर रखी है। अमरीका भारत को सिर्फ जानकारी प्रदान करने के लिए ही नहीं बल्कि, रक्षा सामान प्रदान करने के लिए भी तैयार है। भारत की विलक्षण आर्थिक प्रगति में अमरीका को भी भागीदार बनना है। समृद्ध भारत की वजह से मौसम में बदलाव का संकट और आनेवाले समय में महामारी का मुकाबला करना भी आसान होगा, ऐसा बयान अमरिकी विदेश मंत्रालय के मध्य और दक्षिण एशिया विभाग के उप मंत्री डोनाल्ड ल्यू ने किया है।

वर्ष २०२२-२३ में अमरीका चीन से आगे बढकर भारत का सबसे बड़ा भागीदार बनने की बात स्पष्ट हुई। इसके बाद बायडेन प्रशासन भारत की तारीफ कर रहा है। हमारा देश भारत के साथ हर स्तर पर संबंध विकसित करने के लिए उत्सुक है, यह बयान अमरिकी नेता, वरिष्ठ अधिकारी एवं कूटनीतिज्ञ लगातार कर रहे हैं। ऐसे में डोनाल्ड ल्यू ने ‘पीटीआई’ से बातचीत करते समय भारत संबंधित बायडेन प्रशासन की प्राथमिकता स्पष्ट की। भारत और चीन के सीमा विवाद का हल समझदारी से निकले, यही अमरीका की भूमिका है। लेकिन, चीन की इसमें रूचि नहीं है, यह कहकर ल्यू ने भारत को चीन की घुसपैठ और हमले का खतरा होने के संकेत दिए हैं। ल्यू ने वर्ष २०१९ के गलवान संघर्ष की याद भी दिलाई।

भारत चीन को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है और ऐसे में अमरीका ने भारत को गोपनीय जानकारी प्रदान करने के अलावा रक्षा सामान एवं हथियारों की आपूर्ति करने की तैयारी दर्शायी है, इस पर भी डोनाल्ड ल्यू ने ध्यान आकर्षित किया। इसके साथ ही भारत को अंतरराष्ट्रीय दर्जे के हथियारों का विकास करने के लिए और उनके निर्यात के लिए अमरीका सहायता करेगी, यह वादा ल्यू ने किया। भारत और अमरीका की रक्षा संबंधित भागीदारी शुरू हुए २० वर्ष बीत चुके हैं। इस दौरान दोनों देशों का रक्षा व्यापार २० अरब डॉलर्स तक जा पहुंचा है और आगे इसमें अधिक बढ़ोतरी होगी, यह दावा डोनाल्ड ल्यू ने किया।

चीन के साथ संघर्ष की संभावना बढ़ने की स्थिति में भारत के लिए अमरीका के हथियार उपलब्ध हैं, यह प्रस्ताव ल्यू ने स्पष्ट तौर पर रखा है। साथ ही भारत की विलक्षण प्रगति में अमरीका को भी भागीदार बनना है, यह दावा ल्यू ने किया।

वैश्विक स्तर पर काफी बड़ी उथलपुथल होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार तीन सालों से सबसे अधिक विकास दर से प्रगति कर रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने तीन ट्रिलियन डॉलर्स की सीमा पार करके अब १० ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारतीय अर्थव्यवस्था का सफर शुरू हुआ है। वर्ष २०४७ तक विकसित देश बनने का ध्येय भारत ने अपने सामने रखा है। ऐसे में अमरीका को भारत की विलक्षण आर्थिक प्रगति का भागीदार बनना है। समृद्ध भारत विश्व के लिए अधिक उपकारक साबित होगा। इससे मौसम में बदलाव का संकट एवं अगले समय के कोरोना जैसी महामारियों को खत्म करना आसन होगा, ऐसा दावा डोनाल्ड ल्यू ने किया।

लगभग दो लाख भारतीय छात्र अमरिकी युनिवर्सिटीज़ में पढ रहे हैं। भारत और अमरीका के द्विपक्षीय व्यापार में पिछले वर्ष की तुलना में ७ प्रतिशत बढ़ोतरी होने के आंकड़े भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने हाल ही में सार्वजनिक किए थे। इसका दाखिला भी डोनाल्ड ल्यू ने दिया। साथ ही अमरीका अब भारत के साथ अंतरिक्ष, आर्टिफिशल इंटेलिजन्स, क्वांटम कम्प्युटिंग जैसी अति प्रगत और संवेदनशील प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग कर रही है, ऐसा ल्यू ने स्पष्ट किया।

इसी बीच, बायडेन प्रशासन बार-बार भारत के साथ अपने सहयोग की अहमियत काफी बड़ी होने के दावे करता रहा है। जिस क्षेत्र में भारत अमरीका का ग्राहक है, उस क्षेत्र में बायडेन प्रशासन को भारत के सहयोग की उम्मीद है, इसे नाकारा नहीं जा सकता। लेकिन, इन व्यापारी हितों के अलावा अन्य मामलों में बायडेन प्रशासन भारत के प्रति काफी अलग भूमिका अपनाता है, यह कई बार स्पष्ट हुआ था। लोकतंत्र और विदेश नीति के मुद्दे पर बायडेन प्रशासन ने भारत के खिलाफ भड़काने वाले बयान किए थे। इसके अलावा बायडेन प्रशासन ने भारत के रक्षा संबंधित हित को झटका देने की पूरी कोशिश भी की थी। ‘क्वाड’ संगठन स्थापित करके चीन की वर्चस्ववादी हरकतों को प्रत्युत्तर देने के दावे बायडेन प्रशासन ने किए थे। लेकिन, क्वाड से अधिक ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बनाई अपनी ‘ऑकस’ संगठन को बायडेन प्रशासन अधिक अहमियत दे रहा है।

ऐसे में हमारा प्रशासन भारत के सहयोग को सबसे अधिक अहमियत देता है, इसके दाखिले भी बायडेन प्रशासन दे रहा है। लेकिन, पहले के तजुर्बे के मद्देनज़र भारत सरकार बायडेन प्रशासन से संबंधित निर्णय काफी सावधानी से ले रही है।

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