दूसरों की जमीन हथियाने के लिए भारत को महाशक्ति नहीं बनना – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चीन को फटकार

नई दिल्ली – गलवान और तवांग में भारतीय सैनिकों ने दिखाई की वीरता बयान करने के लिए शब्दों की कमी होगी, ऐसा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा। भारत को दूसरे देशों की एक इंच जमीन भी हथियाने में रुचि नहीं है। लेकिन, हमारी ओर कोई बुरी नज़र से देखता है तो उसे जवाब देने के लिए भारत हमेशा तैयार होगा, यह रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया। दूसरे देश की जमीन हथियाने के लिए नहीं, बल्कि विश्व की समृद्धी और कल्याण के लिए भारत को महाशक्ति बनना हैं, यह कहकर रक्षा मंत्री ने चीन को फटकार लगाई।

‘फेडरेशन ऑफ इंडियन चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स ॲण्ड इंडस्ट्री’ (फिक्की) की ९५ वें सालाना सम्मेलन में संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यह बयान किया। साल २०२० में गलवान घाटी एवं हाल ही के दिनों में तवांग के एलएसी पर स्थित यांगत्से क्षेत्र में हुए संघर्ष के दौरान भारतीय सैनिकों ने दिखाई वीरता की रक्षा मंत्री ने खुले मन से सराहना की। इन दोनों संघर्ष के समय भारतीय सेना ने दिखाई वीरता बयान करने के लिए शब्दों की कमी होगी, ऐसा रक्षा मंत्री ने कहा। ९ दिसंबर को तवांग में हुए संघर्ष की पृष्ठभूमि पर रक्षा मंत्री ने भारतीय सैनिकों की ऐसे सराहना करना काफी अहम है।

चीन के ३०० सैनिकों ने ९ दिसंबर को भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश की और इसके बाद शुरू हुए संघर्ष में कुछ भारतीय सैनिक घायल हुए। लेकिन, इससे कई ज्यादा संख्या में चीन के सैनिक इस संघर्ष में घायल हुए हैं। चीन ने इसकी जानकारी साझा नहीं की हैं। लेकिन, भारत अपने सैनिकों को काबू करे, ऐसी मांग चीन की ‘पिपल्स लिबरेशन आर्मी’ (पीएलए) के वरिष्ठ अधिकारी ने रखी है। ऐसे में चीन के विदेश मंत्रालय ने ‘एलएसी’ पर स्थिति स्थिर होने का दावा करके इस मामले की अधिक जानकारी देना टाल दिया। पिछले कुछ दिनों से चीन इस मुद्दे पर बयान करना भी टाल रहा हैं, यह ध्यान आकर्षित कर रहा है।

चीन के सोशल मीडिया पर तवांग के संघर्ष की अधिक जानकारी सार्वजनिक करने की मांग रखी जा रहा हैं। जैसे भारत की सरकार ने और माध्यमों ने तवांग के ‘एलएसी’ पर हुए इस संघर्ष की पुरी जानकारी सार्वजनिक की है, वैसा चीन की हुकूमत क्यो नहीं करता, यह सवाल चीनी नेटकर करते दिख रहे हैं। इस आलोचना को नजरअंदाज़ करके चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने इसकी जानकारी साझा करना टाला है। भारतीय सेना ने घुसपैठ की कोशिश नाकाम करने की वजह से अपनी सेना का मज़ाक बना हैं, यह बात चीन को बड़ी चुभी है। इसी के साथ तवांग के एलएसी पर हुए इस संघर्ष पर भारत में सामने आ रहे बयान चीन को अपनी गतिविधियों पर फिर से सोचने के लिए विवश करते दिख रहे हैं।

चीन ने इस तरह से एलएसी पर घसपैठ की कोशिश जारी रखी तो आनेवाले समय में भारत संयम नहीं दिखा सकेगा, ऐसा इशारा पूर्व सेना अधिकारी और सामरिक विश्लेषक चीन को दे रहे हैं। इसके अलावा चीन की ऐसी उकसाने वाली हरकतों की वजह से भारत के रणनीतिकार चीन को शत्रु देश के तौर पर देखने लगे हैं, यह दावा पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने किया। इसका दबाव चीन पर बनता दिख रहा हैं। इसी बीच धर्मशाला में स्थित तिब्बती शरणार्थियों की सरकार के प्रमुख पेनपा त्सेरिंग ने चीन की घुसपैठ के पीछे इस देश की असुरक्षितता होने का दावा किया। अंदरुनि समस्याओं की वजह से असुरक्षित बना चीन यह समस्या अनदेखी रहे, इसके लिए भारत को उकसा रहा हैं, यह दावा त्सेरिंग ने किया। साथ ही चीन के साथ हुए इस संघर्ष में तिब्बती जनता भारत के पक्ष में ड़टकर खड़ी हैं, यह भी त्सेरिंग ने स्पष्ट किया। साल १९६० के दशक के भारत और आज के भारत में काफी बदलाव हुआ हैं। मौजूदा भारत ताकतवर हैं, यह चेतावनी त्सेरिंग ने चीन को दी।

तवांग के एलएसी पर हुए संघर्ष के कुछ ही दिन भारत भारत के न्याय मंत्री किरेन रिजीजू ने तवांग का दौरा किया। उनके इस दौरे के माध्यम से भारत चीन को समझ देता दिख रहा हैं। साथ ही भारत ने अग्नी-५ मिसाइल का परीक्षण करके चीन को अपने ताकत का अहसास कराया हैं। क्यों कि, करीबन पांच हज़ार किलोमीटर तक हमला करने मे काबिल इस मिसाइल के दायरे में चीन का अधिकांश क्षेत्र आता है। लेकिन, यह मिसाइल सीर्फ पांच हज़ार नहीं, बल्कि उससे कई अधिक दूरी तक हमला करने की क्षमता रखता हैं, यह चिंता चीन व्यक्त कर रहा हैं। इसी वजह से ‘अग्नी-५’ के परीक्षण पर चीन की नज़रे लगी थी, यह दावा भारत के पूर्व सेना अधिकारियों ने किया हैं। इसके अलावा कुछ पूर्व अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि, भारत को अग्नी-५ का परीक्षण करने से रोकने के लिए ही चीन ने तवांग के एलएसी पर घुसपैठ की कोशिश की है।

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