अफ़गानिस्तान में भारत के निवेश का स्वागत होगा – तालिबानी हुकूमत का बयान

नई दिल्ली – आधे अधूरे प्रकल्पों का काम भारत पूरा करे। अफ़गानिस्तान में भारत के निवेश का स्वागत होगा। अफ़गानिस्तान के विकास के लिए भारत के निवेश की सुरक्षा की जाएगी, ऐसा तालिबानी हुकूमत ने कहा है। पिछले कुछ दिनों से तालिबान लगातार भारत को इस तरह के संदेश भेज रहा है। इस पर भारत भी रिस्पान्स दे रहा है। पाकिस्तान और तालिबान के संबंधों में तनाव बढ़ रहा है और ऐसे में तालिबानी हुकूमत ने भारत से किए इस आवाहन को बड़ी रणनीतिक अहमियत प्राप्त हो रही है।

तालिबानी हुकूमत के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने भारतीय माध्यमों को दिए साक्षात्कार के दौरान भारत संबंधी भूमिका स्पष्ट की। अफ़गानिस्तान में आधे में छूटी हुए नागरी परियोजनाओं का काम भारत पूरा करे, यह आवाहन शाहीन ने किया है। इसके साथ ही ‘न्यू काबुल’ शहर का निर्माण करने के लिए भारत निवेश करे, यह कहकर इस निवेश की सुरक्षा करने की गारंटी हमारी हुकूमत देगी, ऐसा शाहीन ने कहा है। सुहैल शाहीन यह आवाहन कर रहा था तभी तालिबान के ‘अर्बन डेवलपमेंट ऐण्ड हाऊसिंग’ विभाग के मंत्री हमदुल्लाह नोमानी ने अफ़गानिस्तान में भारतीय दल के प्रमुख भारत कुमार से मुलाकात करने का वृत्त है। पिछले दो दशकों के दौरान तकरीबन तीन अरब डॉलर्स निवेश किया था।

अफ़गान जनता के लिए बुनियादी सुविधाओं से संसद की वास्तु उभारने तक भारत ने इस देश में जनहित के प्रकल्प शुरू किए थे। अफ़गानिस्तान के ३४ प्रांतों में जनता के विकास के लिए भारत ताकरीबन ४३३ प्रकल्पों पर काम कर रहा था। लेकिन, पिछले साल तालिबान ने इस देश पर कब्ज़ा करने के बाद सुरक्षा के कारणों से भारत को इन प्रकल्पों का काम आधा छोड़ना पड़ा था। इन प्रकल्पों का काम भारत पूरा करे, यह आवाहन तालिबान ने तब भी किया था। लेकिन, भारत ने इस पर जवाब नहीं दिया था।

लेकिन, पिछले कुछ हफ्तों से तालिबान भारत से यह प्रकल्प पूरे करने के लिए लगातार गुहार लगा रहा है। साथ ही भारत के निवेश का हम स्वागत करेंगे, यह संदेश भी तालिबान दे रहा है। इसके लिए तालिबानी हुकूमत ने भारत को अफ़गान जनता के हित का दाखिला दिया। शुरूआती दौर में तालिबान को आशंका की नज़र से देखने वाली भारत सरकार ने अब इस पर जवाब देने की गतिविधियां शुरू की हैं। कोरोना का संक्रमण फैला हुआ था तब भारत ने अफ़गान नागरिकों के लिए कोरोना टीका और दवाईयों की आपूर्ति की थी। इसके साथ ही अनाज की बड़ी किल्लत का सामना कर रही अफ़गान जनता को भारत ने तकरीबन ५० हज़ार मेट्रिक टन गेहूँ प्रदान करने का निर्णय किया था।

भारत ने किए इस बड़े योगदान का तालिबान की हुकूमत ने स्वागत किया था। साथ ही पाकिस्तान के इशारों पर तालिबान भारत से बैर नहीं करेगी, अफ़गान भूमि का भारत एवं अन्य देशों के खिलाफ आतंकी गतिविधियां करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, ऐसी गवाही भी तालिबानी हुकूमत ने दी थी। अफ़गानिस्तान के हिंदू और सिख समुदाय की सुरक्षा की गारंटी भी तालिबान दे रही है।

तालिबान की हुकूमत अफ़गानिस्तान में भारत विरोधी आतंकी संगठनों को पनाह ना दे और अल्पसंख्यांकों की सुरक्षा निर्धारित करे, यह भारत चाहता है। महिलाओं को शिक्षा और काम करने का अधिकार एवं समाज के सभी गुटों को सत्ता का हिस्सा बनाकर तालिबान सर्वसमावेशक सरकार गठित करे, यह भारत कह रहा है। यह सभी मांगें तालिबान ने स्वाकीरी नहीं हैं, फिर भी हमें आधुनिक अफ़गानिस्तान की उम्मीद होने का बयान तालिबान कर रही है। इसकी वजह से भारत ने तालिबानी हुकमत के प्रति अपनाई पहले की भूमिका कुछ हद तक सौम्य की हुई दिख रही है।

भारत और तालिबनी हुकूमत में स्थापित हो रहे इस सहयोग को पाकिस्तान आशंका से देख रहा है। तालिबान ने ड्युरंड लाईन यानी अफ़गानिस्तान से जुड़ी अपनी सीमा पर तैनात सेना पर हमले शुरू किए हैं, यह शिकायत करके, इसमें भारत का हाथ होने का दावा पाकिस्तानी माध्यमों ने किया है। तालिबान की हुकूमत अब पाकिस्तान समर्थक नहीं रही बल्किम, इस हुकूमत को भारत अधिक प्रभावित कर रहा है, यह आरोप भी पाकिस्तानी विश्लेषक लगा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर तालिबानी हुकूमत ने भारत से किए आवाहन को बड़ी रणनीति अहमियत प्राप्त हुई है।

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