‘क्रिप्टोकरन्सीज्‌’ की गिरावट के दौरान केंद्र सरकार और रिज़र्व बैंक की सावधानी से नुकसान टला

नई दिल्ली – अमरीका में क्रिप्टोकरन्सी का ‘एफटीएस’ नामक एक्सचेंज दिवालिया होने के बाद इसके सह-संस्थापक रहे सैम बैंकमन-फ्राईड का १६ अरब डॉलर्स का साम्राज्य तबाह हुआ हैं। इस वजह से पूरे विश्व में क्रिप्टोकरन्सी के मूल्य की प्रचंड़ गिरावट हुई है। साल २०२१ में तीन ट्रिलियन डॉलर्स (तीन लाख करोड़ डॉलर्स) रहा क्रिप्टो करन्सी का मुल्य अब एक ट्रिलियन डॉलर्स से भी कम हुआ है। पूरे विश्व को इससे झटके महसूस हो रहे हैं और इसका भारत पर ही विशेष असर नहीं हो सका। क्यों कि, भारत सरकार और रिज़र्व बैंक ने बिल्कुल शुरू से ही क्रिप्टोकरन्सी में निवेष करने के विरोध में अपनी जनता को आगाह किया था। इसमे निवेष करना सुरक्षित नहीं, इसका अहसास सरकार और रिज़र्व बैंक ने बारबार कराया था और इस वजह से ही भारतीय नागरिकों का इसमे किया निवेष काफी सीमित रहा। इसी वजह से आज भारतीय निवेषक क्रिप्टोकरन्सी की फिसलन से सुरक्षित दिखाई दे रहे है।

‘एफटीएक्स’ क्रिप्टोकरन्सी एक्सचेंज का साम्राज्य धाराशायी होने के बाद कुल १६ अरब डॉलर्स हवां हुए हैं। मानवी इतिहास में इतनी बड़ी मात्रा की संपत्ति का नुकसान होने का यह पहला अवसर होने का दावा किया जा रहा है। क्रिप्टोकरन्सी के निवेशकों ने अपना निवेश वापस निकालने के लिए जोरदार गतिविधियां शुरू की हैं। इसका असर बिटकॉईन, इथर जैसी क्रिप्टोकरन्सीज्‌ पर हुआ और उनके मूल्य की गिरावट हुई। विश्वासार्हता और मंजूरी पाने की कोशिश में जुटी क्रिप्टोकरन्सीज्‌ को आनेवाले दौर में इसके गंभीर परिणाम भुगतने  होंगे।

केंद्र सरकार एवं रिज़र्व बैंक ने भारतीय नागरिकों को समय समय पर क्रिप्टोकरन्सीज्‌ में निवेष करना सुरक्षित ना होने का अहसास कराया था। इसके अलावा क्रिप्टोकरन्सी में निवेश करने से भारतीय लोगों को रोकने के लिए इसके निवेष से प्राप्त राशि पर ३० प्रतिशत कर वसुलने का निर्णय केंद्र सरकार ने किया था। लेकिन, यह कर वसुली करने का मतलब सरकार ने क्रिप्टोकरन्सी को स्वीकृति देना नहीं होता, यह इशारा भी सरकार एवं रिज़र्व बैंक ने दिया था। इस वह से भारतीय नागरिकों का क्रिप्टोकरन्सीज्‌ में किया निवेष मात्र तीन प्रतिशत तक सीमित रहा, ऐसें दावे किए जा रहे हैं।

केंद्र सरकार और रिज़र्व बैंक ने ऐसी सूचना करके आगाह नहीं किया होता तो क्या हुआ होता, इसपर सोचे, इन शब्दों में निवेषक और वित्तीय क्षेत्र के नामांकित भारत ने क्रिप्टोकरन्सीज्‌ पर किए निर्णय का स्वागत कर रहे हैं। क्रिप्टोकरन्सी नियंत्रित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजूट ज़रूरी होने का आवाहन भारत ने किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टोकरन्सी के घातक परिणाम और गलत इस्तेमाल का अहसास पूरे विश्व को कराया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने संसद में क्रिप्टोकरन्सी से दूर रहना आवश्यक होने का इशारा दिया था। इस सावध नीति के कारण ही क्रिप्टोकरन्सी की गिरावट जारी होने के दौरान भारतीय निवेशक इससे सुरक्षित रह सके, ऐसा आर्थिक विशेषज्ञ कह रहे हैं।

इसी बीच, क्रिप्टोकरन्सी की ब्लॉकचेन तकनीक को भारत का विरोध नहीं हैं। यह भविष्य की मुद्रा की तकनीक साबित हो सकती है। लेकिन, इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे क्रिप्टोकरन्सीज्‌ पर किसी का भी नियंत्रण नहीं और इसका उत्तरदायित्व भी किसी पर नहीं होता। इस वजह से इसमें किया निवेष कभी भी सुरक्षित नहीं रह सकता, यही भारत की भूमिका होने का बयान वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने किया था। साथ ही आतंकवाद और नशिले पदार्थों के व्यापार के लिए क्रिप्टोकरन्सीज्‌ का इस्तेमाल हो रहा हैं और इस वजह से जनतांत्रिक देशों की युवा पिढ़ी बरबाद हो सकती हैं, इसका अहसास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के सिडनी डायलॉग में किए अपने व्याख्यान से कराया था।

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