यूक्रेन युद्ध में परमाणु हथियारों का प्रयोग ना हो – चीन के राष्ट्राध्यक्ष का रशिया को इशारा

बीजिंग – यूक्रेन युद्ध में रशिया ने परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं करना चाहिये, ऐसा इशारा चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने दिया है। जर्मनी के चान्सलर ओलाफ शोल्झ् के साथ हुई मुलाकात के दौरान चीनी राष्ट्राध्यक्ष ने रशिया के लिए दिया यह इशारा पश्चिमी देशों को काफी खुश करने वाला है। यूक्रेन युद्ध में रशिया की भूमिका के समर्थन में खड़े चीन की की भूमिका में बदलाव होने के संकेत इससे प्राप्त हो रहे हैं। चीन का प्रभाव होने वाला उत्तर कोरिया लगातार दक्षिण कोरिया और अमरीका पर परमाणु हमला करने की धमकियां दे रहा हैं। लेकिन, पड़ोसी देश उत्तर कोरिया के खिलाफ चीन इस तरह का संदेश जारी करने के लिए तैयार नहीं हैं। इस पृष्ठभूमि पर रशिया जैसा ज़िम्मेदार देश दे रही चेतावनी पर चीन का यह बयान आना ध्यान आकर्षित करता है।

जर्मनी के चान्सलर ओलाफ शोल्झ चीन के दौर पर थे। उन्होंने चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केकियांग से मुलाकात की। यूरोपिय देशों के चीन संबंधों में तनाव होने की स्थिति में चान्सलर शोल्झ के इस दौरे को यूरोपिय देश भी आशंका से देख रहे हैं। फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने इसपर नाराज़गी जताकर इसके साथ ही जर्मनी यूरोप में अलग-थलग हो जाएगा, ऐसी चेतावनी दी है। लेकिन, चान्सलर शोल्झ के इस दौरे मे चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपींग ने रशिया के मुद्दे पर किए बयान सबका ध्यान आकर्षित करते हैं। यूक्रेन युद्ध में रशिया ने परमाणु अस्त्रों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये, ऐसा चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने कहा।

राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग और शोल्ज ने परमाणु अस्त्रों के इस्तेमाल के खिलाफ दोनों देशों की सहमति होने का ऐलान कर दिया। साथ ही परमाणु युद्ध शुरू ही नहीं होना चाहिए, वह किसी को भी बर्दाश्त नहीं होगा, ऐसी चेतावनी दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से दी। यूक्रेन युद्ध में रशिया के पक्ष में खड़े रहकर पश्चिमी देशों को इशारें दे रहें चीन की भूमिका में हुआ यह बदलाव ध्यान आकर्षित करता है। रशिया को परमाणु युद्ध के खिलाफ इशारें दे रहें चीन ने अपने पड़ोसी उत्तर कोरिया को परमाणु युद्ध के विरोध में तीखें शब्दों में फटकार नहीं लगाई हैं। उल्टा उत्तर कोरिया की परमाणु धमकियों के पीछे चीन का हाथ होने के दावे किए जा रहे हैं। इस वजह से रशिया ने दी हुई परमाणु युद्ध की चेतावनी के खिलाफ चीन ने अपनायी यह भूमिका दोगली होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इसके लिए राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने जर्मनी के चान्सलर की चीन यात्रा को अवसर बनाना भी अहम बात बनती है।

रशिया ने यूक्रेन पर हमला करने के बाद चीन ने रशिया के पक्ष में भूमिका अपनाई थी। इसके लिए पश्चिमी देशों का खतरा भी चीन ने उठाया था। लेकिन, अगले समय में चीन की कुछ कंपनियाँ और बैंकों ने अमरीका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के ड़र से रशिया के कारोबार से पीछे हटने का निर्णय कने की बात स्पष्ट हुई थी। इसके बाद अब परमाणु युद्ध के विषय में रशिया को चीन से प्राप्त हो रहा यह इशारा चीन-रशिया संबंध सामान्य ना होने की बात दर्शाता हैं। साथ ही चीन का दौरा कर रहे जर्मनी के चान्सलर शोल्झ् का भी यूरोप में विरोध किया जा रहा हैं।

चीन के दौरे पर जाने से पहले  शोल्झ्   ने हैम्बर्ग पोर्ट के लिए चीनी निवेश को मंजूरी देने पर भी अमरीका ने चिंता जता कर इसपर सावधानी की चेतावनी दी थी। इसी बीच  शोल्झ्  का दौरा चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के एकतरफा और मानव अधिकार विरोधी नीति को ताकत प्रदान करता हैं, ऐसे संकेत देनेवाला साबित होगा, ऐसा इशारा जर्मनी के शासक गठबंधन के सदस्य दलों ने दिया है। जर्मनी में सरकारी समाचा चैनल ‘डॉईश वेल’ ने भी शोल्झ की चीन यात्रा विवाद के भंवर में फंसने का वृत्त प्रसिद्ध किया था।

फिर भी चान्सरल ओलाफ शोल्झ प्रमुख उद्यमियों के समावेश होनेवाले ६० सदस्यों के शिष्टमंडल के साथ चीन दौरे पर दाखिल हुए। खास बात यह है कि, ताइवान के विरोध में चीन ने आक्रामक रणनीति का इस्तेमाल शुरू करने के बाद जर्मनी ने ताइवान के शिष्टमंड़ल भेजकर चीन को चुनौती दी थी। लेकिन, यह चान्सलर शोल्झ की यह चीन दौरे की पूर्व तैयारी होने के संकेत इससे प्राप्त होने लगे हैं। इस वजह से जर्मनी को यूरोप से हो रहा विरोध बढ़ सकता हैं। फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रोन ने दी हुई यह बत रेखांकित करती है।

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