सौदी को ‘ब्रिक्स’ में शामिल होना है – दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष का दावा

वॉशिंग्टन – ‘भारत, रशिया, चीन, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका के ‘ब्रिक्स’ गुट में शामिल होने के लिए सौदी अरेबिया उत्सुक है। सौदी के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान ने स्वयं ही यह इच्छा जतायी है’, ऐसा दावा दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष सिरिल राम्फोसा ने किया है। अमरीका का बायडेन प्रशासन सौदी पर दबाव बढ़ाने की तैयारी में है, पर हमें इसकी फिक्र नहीं है, यह संदेश प्रिन्स मोहम्मद ने ब्रिक्स में शामिल होने की उत्सुकता दर्शाकर दिया है, ऐसा अमरीका के पूर्व राजनीतिक अधिकारी कह रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय संस्था, अर्थकारण एवं राजनीति पर महासत्ता अमरीका के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए रशिया, चीन, ब्राज़ील और भारत ने मिलकर सन २००९ में ‘ब्रिक’ का गठन किया। इसके एक साल बाद इस संगठन में दक्षिण अफ्रीका शामिल हुई और इस संगठन को ‘ब्रिक्स’ नाम से प्रसिद्धी मिली। अमरीका और अमरीका के करीबी सहयोगी देश ब्रिक्स को उन्हें चुनौती देनेवाले संगठन के रूप में देखने की बात कई बार स्पष्ट की थी। ऐसे संगठन में शामिल होने की इच्छा जताकर सौदी के प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान अब बायडेन प्रशासन को काफी बड़ा झटका देते दिख रहे हैं।

सौदी के दौरे पर होते समय १६ अक्तुबर को प्रिन्स मोहम्मद ने यह इच्छा जताई, ऐसा दावा दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष ने किया। राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने अमरीका की बागड़ोर संभालने के साथ सौदी अरब और अन्य अरब देशों के साथ अमरीका के संबंध बिगड़े हैं। और यही इसकी वजह होने की बात अमरीका के कुछ विश्लेषक कह रहे हैं। ‘ओपेक प्लस’ ने ईंधन उत्पादन प्रति दिन २० लाख बैरल्स घटाने का घोषित किया हुआ निर्णय अमरीका और सौदी के संबंध बिगड़ने के लिए सहायक साबित हुआ, ऐसा इन विश्लेषकों का कहना है।

बायडेन प्रशासन ने ओपेक प्लस के इस निर्णय के लिए सौदी को ज़िम्मेदार ठहराकर गंभीर परिणामों की चेतावनी दी। साथ ही सौदी में मौजूद अमरीका की सेना तैनाती और हवाई सुरक्षा हटाने की धमकी भी बायडेन की शासक डेमोक्रैट पार्टी के वरिष्ठ सिनेटर्स ने दी। यह निर्णय ‘ओपेक प्लस’ के सदस्य देशों ने सहमति से लिया, ऐसा कहकर सौदी ने संयम बरता था। लेकिन, ब्रिक्स में शामिल होने की इच्छा जताकर प्रिन्स मोहम्मद ने बायडेन प्रशासन की कार्रवाई की फिक्र ना होने की बात दर्शायी है, ऐसा दावा ऐरॉन डविड मिलर नामक अमरिकी विश्लेषक ने किया।

इसी बीच, रशिया, चीन, भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका का ‘ब्रिक्स’ संगठन डॉलर के कारोबार का विकल्प तलाश रहा है। एक-दूसरे के सहयोग से अमरिकी डॉलर हटाने के लिए ब्रिक्स देशों की कोशिश जारी है, ऐसा पश्चिमी माध्यमों का कहना है। ऐसी स्थिति में सौदी का ब्रिक्स में समावेश होना पिछले कई सालों के अमरीका के ‘पेट्रोडॉलर’ को नुकसान पहुँचानेवाला साबित होगा, इसका अहसास भी अमरिकी माध्यम दिला रहे हैं।

सौदी की तरह अन्य कुछ देश भी ब्रिक्स का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक हैं, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष राम्फोसा ने कहा। अगले साल दक्षिण अफ्रीका में होनेवाली ब्रिक्स की बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा, ऐसा कहकर राष्ट्राध्यक्ष राम्फोसा ने अन्य देशों के नाम सार्वजनिक करना टाल दिया। इनमें यूएई, ईरान, इजिप्ट, तुर्की का समावेश होने का दावा किया जा रहा है। ऐसा हुआ तो ‘ब्रिक्स’ ही अमरीका और यूरोपिय देशों के लिए चुनौती बनेगा, ऐसी चेतावनी अमरिकी विश्लेषक दे रहे हैं।

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