‘डिफेन्स एक्स्पो २०२२’ में डेढ़ लाख करोड़ रुपयों से अधिक राशि के समझौते

गांधीनगर – सन २०२० में लखनऊ में आयोजित डिफेन्स एक्स्पो में तकरीबन २०० समझौते किए गए थे। लेकिन, बुधवार से गुजरात के गांधीनगर में आयोजित ‘डिफेन्स एक्स्पो २०२२’ में अब तक ४५१ समझौते हुए हैं। इसकी कुल राशि १.५३ लाख करोड़ रुपयों तक पहुँची है, ऐसा कहकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संतोष व्यक्त किया। देश के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का उदय होने के स्पष्ट संकेत इससे प्राप्त हो रहे हैं और यह एक्स्पो भारत रक्षा सामान के निर्माण का वैश्विक केंद्र होता जा रहा है, यह विश्वास रक्षामंत्री सिंह ने व्यक्त किया।

देश में आयोजित किया गया यह १२ वां डिफेन्स एक्स्पो है और आज तक के सभी रेकॉर्ड तोड़नेवाले समझौते इस एक्स्पो में हुए हैं, ऐसी जानकारी रक्षा सचिव अजय कुमार ने प्रदान की। इसी बीच रक्षामंत्री राजनाथी सिंह ने भारत अब रक्षाक्षेत्र के उत्पादन का केंद्र बन रहा है, यह कहकर इस क्षेत्र की विदेशी कंपनियाँ भारत में निवेष करें, ऐसा आवाहन भी राजनाथ सिंह ने इस दौरान किया। इन निवेषकों को कुछ समस्या महसूस होती है तो वे सीधे हमसे संपर्क करें, या रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत करें, ऐसा राजनाथ सिंह ने कहा।

पिछले आठ सालों में भारत सरकार के सुधारों का असर दिखने लगा है और इसकी वजह से रक्षा क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल माहौल बना है। पारदर्शी व्यवहार, निश्चितता और उद्योग के लिए आवश्यक पोषक माहौल का निर्माण हुआ है और इससे काफी बड़ा लाभ रक्षाक्षेत्र को प्राप्त हो रहा है, यह दावा राजनाथ सिंह ने किया। साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के साथ ही रक्षा सामान के निर्माण एवं अनुसंधान में निजी क्षेत्र का भी काफी बड़ा योगदान है, यह कहकर इस क्षेत्र के यह दो पहिये हैं। आत्मनिर्भर भारत के लिए यह दोनों पहिये एक ही समय पर गतिमान रहना आवश्यक है, ऐसा राजनाथ सिंह ने कहा।

इसी बीच देश के रक्षाबलों की ज़रूरतें पूरी करना इस डिफेन्स एक्स्पो का मुख्य हेतु है। साथ ही भारत विश्व को रक्षा सामान की आपूर्ति करनेवाली मज़बूत चेन खड़ी करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए भारत को रक्षा क्षेत्र में शीर्ष अमरीका के भागीदारों के सहयोग की आवश्यकता है। भारत में मौजूद बड़े अवसर का लाभ अमरिकी कंपनियाँ उठाएँ और भारत में रक्षा सामान निर्माण करके इसका निर्यात भी करें, ऐसा विचार रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस दौरान रखा। भारत में अतिप्रगत रक्षा सामान का निर्माण करने के लिए आवश्यक नींव रखने के लिए अमरिकी कंपनियाँ सहयोग कर सकती हैं, इस पर भी रक्षामंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

अमरिकी कंपनियों का यह सहयोग सिर्फ भारत में रोज़गार निर्माण को गति प्रदान करने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि रणनीतिक स्तर पर इससे कई लाभ प्राप्त होंगे, ऐसा विश्वास राजनाथ सिंह ने व्यक्त किया। साथ ही सन २०२५ तक भारत का रक्षा निर्यात पांच अरब डॉलर्स तक बढ़ाने के अलावा रक्षा क्षेत्र का कुल कारोबार बढ़ाकर २२ अरब डॉलर्स तक पहुंचाने का ध्येय सरकार ने तय किया है, यह जानकारी भी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने प्रदान की।

इसी बीच, इस डिफ्न्स एक्स्पो में देश की कंपनियों ने एक-दूसरे से किए समझौते घरेलु कंपनियों ने राज्य सरकारों से किए समझौते और इन कंपनियों ने केंद्र सरकार के साथ किए गए समझौतों का दाखिला देकर इससे रक्षा सामान के घरेलु निर्माण को अधिक गति प्रदान होगी, ऐसा रक्षा सचिव अजय कुमार ने कहा है।

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