जर्मन कंपनी लिथुआनिया के साथ बने संबंध तोड़ दें, इसके लिए चीन ने दबाव बढ़ाया

व्हिल्निअस/बर्लिन/बीजिंग – ताइवान का दूतावास शुरू करनेवाले लिथुआनिया की घेराबंदी करने के लिए चीन ने अन्य देशों को लक्ष्य करने की शुरुआत की है। जर्मनी की बहुराष्ट्रीय कंपनी ‘कॉन्टिनेंटल’, लिथुआनिया में तैयार हुए पुर्जों का इस्तेमाल ना करें, इसके लिए इस कंपनी पर दबाव डाला जा रहा होने की खबर सामने आई है। उसी समय, लिथुआनिया और चीन में व्यापारिक स्तर पर शुरू हुए विवाद पर जागतिक व्यापार संगठन में अपील करने के संकेत युरोपीय महासंघ ने दिए हैं।

पिछले महीने में लिथुआनिया में ताइवान के राजनीतिक कार्यालय का उद्घाटन किया गया था। ‘द ताइवानीज़् रिप्रेझेंटेटिव्ह ऑफिस इन लिथुआनिया’ ऐसा उसका नाम होकर, यह कार्यालय ताइवान के दूतावास के रूप में काम करेगा, ऐसी जानकारी सूत्रों ने दी थी। लिथुआनिया को दी धमकियों के बावजूद भी ताइवान का दूतावास शुरू होने के कारण बेचैन हुए चीन ने, लिथुआनिया के साथ होनेवाले अपने राजनीतिक संबंधों का दर्जा कम करने का फैसला किया। उसके अनुसार, लिथुआनिया में नियुक्त चीन के राजदूत को वापस बुलाया गया होकर, कनिष्ठ राजनीतिक अधिकारी के पास दूतावास की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।

लेकिन इतने पर ही ना रुकते हुए चीन ने, लिथुआनिया की व्यापारिक स्तर पर घेराबंदी करने की शुरुआत की है। कुछ दिन पहले, चीन में निर्यात की अनुमति होनेवाले देशों की लिस्ट से लिथुआनिया को हटाया गया होने की बात सामने आई थी। इस कारण लिथुआनिया से भेजा गया माल समुद्र में ही फँसा पड़ा है। चीन ने इस मामले में अधिकृत भूमिका घोषित करना टाला था।

उसके बाद अब अन्य युरोपीय देश और कंपनियों के माध्यम से लिथुआनिया की घेराबंदी करने की कोशिशें शुरू हुईं दिख रही हैं। जर्मनी की अग्रसर कंपनी होनेवाली ‘कॉन्टिनेंटल’ के, लिथुआनिया में भी कारखाने हैं। इन कारखानों में गाड़ियों के लिए आवश्यक पुर्ज़े तैयार किए जाते हैं। लेकिन यह जर्मन कंपनी, लिथुआनिया में तैयार हुए उत्पादों का इस्तेमाल ना करें, इसलिए उसपर दबाव डाला जा रहा होने की जानकारी एक अग्रसर न्यूज़ एजेंसी ने दी है। लिथुआनिया के सरकारी सूत्रों ने, इस प्रकार की कोशिशें जारी होने की बात की पुष्टि की है।

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