चीन ने भारत के एनएसजी सदस्यता रोकी फिर भी भारत के साथ सहयोग में अमरिका बाधा नहीं आने देगा – अमरिका के विदेश मंत्रालय की घोषणा

वाशिंग्टन – परमाणु ईंधन प्रदाय गट के एनएसजी सदस्यता के लिए आवश्यक होने वाले सभी शर्तों की पूर्ति भारत ने की है। फिर भी चीन नकाराधिकार का उपयोग करके भारत की सदस्यता रोक रहा है। पर अमरिका भारत के एनएसजी सदस्यता के लिए संपूर्ण प्रयत्न करेगा तथा यह सदस्यता भारत को नहीं मिली फिर भी भारत के साथ सहयोग में किसी भी प्रकार की बाधा अमरिका नहीं आने देगा, ऐसी गवाही अमरिका के विदेश मंत्रालय के मध्य एवं दक्षिण आशिया विभाग के उप मंत्री एलिस जी वेल्स ने दी है।

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हालही में भारत एवं अमरिका के विदेश मंत्री एवं रक्षा मंत्रियों में टू प्लस टू चर्चा हुई है। उसमें भारत के एनएसजी समावेश पर चर्चा होने का वृत्त है। इस पृष्ठभूमि पर भारत के एनएसजी सदस्यता पर अमरिका ने अपनी भूमिका स्पष्ट की है। दुनिया में ४८ परमाणु ईंधन प्रदाय देशों का गट होनेवाले एनएसजी की सदस्यता भारत को मिले इसके लिए अमरिका का भारत को पूर्ण समर्थन है। अमरिका के साथ इस गट में अधिकतम देशों का भारत की सदस्यता को समर्थन है। पर भारत ने परमाणु अस्त्र प्रसार बंदी करार (एनपीटी) पर हस्ताक्षर ना करने का मुद्दा उपस्थित करके चीन भारत को इस गट में प्रवेश के लिए विरोध कर रहा है। चीन के नकाराधिकार की वजह से भारत के एनएसजी का प्रवेश रोका जा रहा है, ऐसा वेल्स ने स्पष्ट किया है।

चीन विरोध कर रहा है, फिर भी भारत और अमरिका में सहयोग किसी भी स्तर पर नहीं फसेंगे। भारत को स्ट्रैटेजिक ट्रेड ओथोरायझेशन-वन दर्जा देकर भारत के साथ सहयोग अधिक सक्षम करने की बात वेल्स ने ध्यान में लायी है। यह बात घोषित करके वेल्स ने चीन को सीधे शब्दों में चेतावनी देने की बात दिखाई दे रही है। चीन ने भारत की एनएसजी सदस्यता को रोका है फिर भी अमरिका सभी स्तर पर भारत के साथ सहयोग बढ़ाएगा और इसकी वजह से चीन के विरोध को महत्व नहीं रहेगा, ऐसा वेल्स ने दूसरे शब्दों में कहा है।

पिछले डेढ़ वर्षों में भारत का मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर), वासेनार अरेंजमेंट एवं ऑस्ट्रेलिया ग्रुप जैसे प्रमुख गटो में समावेश हुआ है। इन गट की सदस्यता अबतक चीन को नहीं मिली है। एनएसजी में शामिल होनेवाले अधिकतम देश इन तीनों गटों के सदस्य हैं। इसकी वजह से चीन को भारत के एनएसजी का प्रवेश अधिक समय तक रोकना संभव नहीं है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है। पिछले महीने में अमरिका ने भारत को एसटीए-१ का दर्जा दिया है। एनपीटी पर हस्ताक्षर किये बिना अमरिका से यह विशेष दर्जा प्राप्त करने वाला भारत यह पहला देश ठहरा है।

यह बात अमरिका के विदेश धारणा में भारत का महत्व रेखांकित कर रही है। तथा हालही में संपन्न हुए टू प्लस टू चर्चा में अमरिका ने भारत को कनिष्ठ साझेदार नहीं बल्कि बराबरी के जनतंत्रवादी देश के तौर पर स्थान देने की बात दुनियाभर के विशेषज्ञों ने दर्ज की है। चीन के मुसद्दी एवं विश्लेषक इसी वजह से अस्वस्थ हुए हैं तथा पाकिस्तान के भूतपूर्व राजनैतिक अधिकारियों ने तो भारत एवं अमरिकाने मिलकर यह युद्ध की घोषणा की है, ऐसा दावा किया था।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अमरिका के भेंट पर

भारत एवं अमरिका के विदेश मंत्री एवं रक्षा मंत्रियों की टू प्लस टू चर्चा संपन्न होकर हफ्ता ही हो रहा है के, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल अमरिका को भेंट दे रहे हैं। अमरिका के विदेश मंत्री माइक पौम्पिओ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन डाल्टन इनके साथ अमरिका के वरिष्ठ अधिकारियों की भी डोवल भेट लेने वाले है, यह बात कही जा रही है। इस भेंट की अधिक जानकारी उजागर नहीं हुई है, फिर भी अमरिका के विदेश मंत्रालय से भारत यह अमरिका का निकटतम मित्र देश होने की बात कहकर आने वाले समय में इस स्वरूप की भेंट होती रहेंगी, ऐसे संकेत दिए जा रहे है।

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कुछ दिनों पहले अमरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोल्टन ने आतंकवादियों पर कार्यवाही को लेकर पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी थी। विदेश मंत्री पौम्पिओ ने अपने पाकिस्तान भेंट में आतंकवादियों पर निर्णायक कार्रवाई करने की मांग की थी, ऐसा बोल्टन ने घोषित किया है। अफगानिस्तान में फिलहाल तालिबान ने आक्रामक हमले शुरू किए हैं और इसकी वजह से अफगानी लष्कर और सरकार की पीछेहाट शुरू हुई है। तालिबान के इस आक्रामकता के पीछे पाकिस्तान होने का आरोप अफगानी यंत्रणा कर रही हैं।

इस पृष्ठभूमि पर डोवल इनका यह अमरिका दौरा एवं अमरिका के विदेश मंत्री तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ चर्चा करना महत्वपूर्ण है। डोवल के इस दौरे की अमरिकन विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीदर न्यूअर्ट ने अधिक जानकारी उजागर नहीं की है, पर डोवल इनका यह अमरिका दौरा मतलब राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प इनके भारत दौरे की तैयारी हो सकता है, ऐसा दावा किया जा रहा है।

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