इटली की प्रधानमंत्री भारत दौरे पर

नई दिल्ली – इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिआ मेलोनी भारत दौरे पर दाखिल हुई हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से द्विपक्षीय चर्चा की। इसके बाद आयोजित संयुक्त वार्ता परिषद में दोनों नेताओं ने भारत-इटली का सहयोग व्यापक करने का ऐलान किया। भारत और इटली की रणनीतिक एवं रक्षा संबंधित भागीदारी का नया पर्व शुरू होने का ऐलान प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री जॉर्जिआ मेलोनी ने किया।

‘जी २०’ परिषद और मंगलवार से शुरू हुए ‘रायसेना डायलॉग’ की पृष्ठभूमि पर इटली की प्रधानमंत्री भारत पहुंची हैं। भारत और इटली के द्विपक्षीय संबंधों के ७५ साल पूरे हो रहे हैं और इसे अवसर बनाकर दोनों देशों ने अपना सहयोग और रणनीतिक भागीदार विकसित करने का निर्णय किया है। साथ ही दोनों देशों ने आतंकवाद और अलगाववाद के विरोध में एकजूट करने का भी निर्धार किया है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा। साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए इटली सक्रिय शामिल होने की बात कहकर इसके लिए भारत के प्रधानमंत्री ने इटली की सराहना की।

भारत और इटली साथ आकर काफी कुछ कर सकते हैं। अक्षय ऊर्जा, ग्रीन हायड्रोजन, आयटी, सेमीकंडक्टर, टेलिकॉम और अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत और इटली का सहयोग अहम होगा, यह विश्वास इटली की प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया। साथ ही भारत के प्रधानमंत्री मोदी दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय होने का बयान भी प्रधानमंत्री मेलोनी ने किया। इसी बीच, रायसेना डायलॉग में बोलते हुए इटली की प्रधानमंत्री ने हर देश दीपस्तंभ का काम कर सकता हैं, ऐसा दावा किया।

अपने देश की विशेषता से भरी विरासत और पहचान का विस्मरण हो, इस सोच में अन्य देश होने के बावजूद हमे अपना मुल को भूलना नहीं चलेगा। अपनी पहचान इस तरह से मिटा नहीं सकते, ऐसा प्रधानमंत्री मेलोनी ने रायसेना डायलॉग के अपने भाषण में कहा। प्रखर राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे रही आक्रामक नेता के तौर पर जॉर्जिआ मेलोनी की पहचान है और इसी वजह से यूरोप के उदारवादी नेता और संगठन उनका विरोध कर रही हैं। लेकिन, अपने देश के हितसंबंधों को सबसे ज्यादा अहमियत देंगे, यह कहकर मेलोनी ने उन्होंने उनपर हो रही आलोचना पर मुंहतोड़ प्रत्युत्तर दिया था।

रायसेना डायलॉग में बोलते समय भी उन्होंने किसी देश के संसाधनों का इस्तेमाल सबसे पहले उस देश की समृद्धी के लिए ही होना चाहिये, ऐसा ड़टकर कहा।

स्पष्ट ज़िक्र किया ना हो, फिर भी अन्य देशों से यूरोप के विकसित देशों में पहुंच रहे शरणार्थियों के झुंड़ों के विरोध में जॉर्जिआ मेलोनी यह बयान करती दिखाई दे रही हैं। कुछ यूरोपिय देशों ने शरणार्थियों के लिए अपने द्वार खोलकर उनके लिए अपने संसाधनों का इस्तेमाल करने का निर्णय किया है। लेकिन, देश के संसाधानों पर सबसे पहले उस देश के नागरिकों का अधिकार हैं, यह कहकर मेलोनी अपनी भूमिका स्पष्ट तौर पर पेश करती दिखाई दे रही है।

मराठी

Leave a Reply

Your email address will not be published.