‘एससीओ’ की बैठक के दौरान किरगिज़स्तान-ताजिकिस्तान के संघर्ष में २४ की मौत

बिश्केक – किरगिज़स्तान और ताजिकिस्तान इन दो सोवियत देशों की सीमा पर शुरू हुए संघर्ष के दौरान २४ लोग मारे गए और ८७ घायल हुए हैं। इस संघर्ष से नुकसान हुए लोगों में भारी मात्रा में आम नागरिकों का समावेश होने से चिंता जताई जा रही है। इसके लिए दोनों देशों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं। रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की मौजूदगी में उजबेकिस्तान के समरकंद में ‘एससीओ’ की बैठक हो रही थी तभी इन पूर्व सोवियत का हिस्सा रहे देशों के बीच संघर्ष छिड़ गया। पिछले कुछ दिनों से पूर्व सोवियत देशों के बीच यकायक संघर्ष शुरू होने से इस क्षेत्र में अस्थिरता निर्माण हुई है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

दो दिन पहले किरगिज़स्तान और ताजिकिस्तान की सीमा पर संघर्ष हुआ था। इस दौरान एक सैनिक मारा गया था। इसके बाद दोनों देशों ने युद्धविराम घोषित किया था। लेकिन, शुक्रवार को इस युद्धविराम को तोड़कर दोनों देशों की सेनाओं के बीच और भी बड़ा संघर्ष छिड़ गया। ताजिकिस्तान की सेना ने किरगिज़अस्तान के बातकेन क्षेत्र में किए हमलों में २४ लोगों के मारे जाने की खबर है। इस संघर्ष में लड़ाकू विमान, रॉकेट लौन्चर्स, तोपों का इस्तेमाल किया गया।

इससे बातकेन क्षेत्र में कई घर और बुनियादी सुविधाओं का बड़ा नुकसान होने की जानकारी किरकिज़स्तान की सेना ने प्रदान की। साथ ही दोनों देशों की सीमा पर चौकियाँ नष्ट की गईं, यह दावा भी किया जा रहा है। नागरिकों की मौत का कारण बने इस संघर्ष के लिए दोनों देश एक-दूसरे पर आरोप-प्रतिआरोप लगा रहे हैं। इस संघर्ष के बाद दोनों देशों ने सरहदी क्षेत्र के गांव खाली कराके स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया है।

पिछले साल भी किरगिज़स्तान और ताजिकिस्तान की सीमा पर इसी तरह संघर्ष छिड़ा था। इस दौरान ५० लोग मारे गए थे। लेकिन, इस बार का संघर्ष यहीं पर खत्म नहीं होगा, बल्कि अधिक तीव्र होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है। दोनों सोवियत देशों के बीच जल बंटवारे का मुद्दा अभी भी झुलस रहा है और यही बात दो दिनों के संघर्ष से सामने आयी है। इस मसले का हल निकाले बिना किरगिज़स्तान-ताजिकिस्तान का यह संघर्ष खत्म ना होने के आसार दिख रहे हैं।

तीस साल पहले सोवियत रशिया का हिस्सा रहें किरगिज़स्तान और ताजिकिस्तान के राष्ट्रप्रमुख ‘एससीओ’ की बैठक के लिए उजबेकिस्तान में होने के दौरान यह संघर्ष छिड़ा था। उजबेकिस्तान के समरकंद में ‘शांघाई को-परेशन ऑर्गनाइजेशन’ (एससीओ) की बैठक का आयोजन हुआ। शुक्रवार को किरगिज़स्तान के राष्ट्राध्यक्ष सादीर जापारोव और ताजिकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष इमोमली राहमोन की मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों नेताओं ने सीमा विवाद, जल बंटवारे के मुद्दे पर चर्चा की, ऐसा किरगिझ्ािस्तान के राष्ट्राध्यक्ष की वेबसाईट पर स्पष्ट किया गया।

इसी बीच, पिछले कुछ दिनों से पूर्व सोवियत देशों के बीच संघर्ष छिड़ा हैं। समरकंद की बैठक की शुरूआत होने से पहले आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच युद्ध छिड़ा था। रशिया ने मध्यस्थता करके इस संघर्ष को रोक दिया था, तभी किरगिझ्ािस्तान और ताजिकिस्तान का संघर्ष शुरू हुआ। आर्मेनिया के साथ रशिया का सैन्य सहयोग जारी है। वहीं, किरगिज़स्तान और ताजिकिस्तान में रशिया के सैन्य अड्डे हैं। यूक्रेन में संघर्ष से रशिया पीछे हट रही है और तभी मध्य एशियाई देशों के बीच छिड़े इस संघर्ष और इससे निर्माण हुई अस्थिरता रशिया की सीमा के लिए चुनौती साबित हो सकती है, ऐसा दावा अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक कर रहे हैं।

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