चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक से पहले हुए राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग विरोधी प्रदर्शन

बीजिंग – ‘स्कूलों में हड़ताल करें, कारखानों के कर्मचारी हड़ताल का नारा दें। राष्ट्रद्रोही, तानाशाह जिनपिंग को सत्ता से हटाएँ’, ऐसा लिखा हुआ बड़ा बैनर राजधानी बीजिंग में लगाया गया है। चीन में राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के खिलाफ प्रदर्शन हुए और अब हम कम्युनिस्ट हुकूमत का निर्णय नहीं स्वीकारेंगे, ऐसी चेतावनी प्रदर्शनकारियों ने दी है। इस रविवार चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी की अहम बैठक होगी। इससे पहले राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग विरोधी प्रदर्शन ध्यान आकर्षित करते हैं।

अपने देश की जनता पर पूरा नियंत्रणा रखनेवाला, उनके अधिकार पैरों तले कुचलने वाला देश ही चीन की पूरे विश्व में पहचान बनी है। सिर्फ सामाजिक ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी चीनी नागरिकों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने में चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत और जिनपिंग आगे हैं। शासक कम्युनिट हुकूमत के खिलाफ सोचनेवालों के अलावा इसे सुननेवालों पर भी चीन में अपराधिक मामले दर्ज़ होते हैं। चीनी जनता पर ऐसी स्ख्ती करनेवाली चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत और राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के खिलाफ हुए प्रदर्शनों ने पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया है।

राजधानी बीजिंग के बड़े अहम ‘सिताँग फ्लाइओवर’ पर यह प्रदर्शन आयोजित किए गए थे। वहां पर प्रदर्शनकारियों ने दो बड़े बैनर लगाए थे। साथ ही इस फ्लाइओवर के करीब से सफर करनेवाले हरएक का ध्यान आकर्षित करने के लिए वहां पर थोड़ी आगजनी भी की गई। इनमें से एक बैनर पर ‘पीसीआर टेस्ट नहीं, बल्कि अन्न चाहिये’, ‘लॉकडाऊन नहीं, आज़ादी चाहिये’, ‘झूठ नहीं प्रतिष्ठा चाहिये’, ‘सियासी क्रांति नहीं, बदलाव की उम्मीद है’, ’तानाशाही नहीं बल्कि जनमत से चुनी गई लोकतांत्रिक सरकार चाहिये’, ’हमें गुलाम बनकर नहीं, बल्कि आम नागरिक बनकर जीना है’, ऐसे तीखे शब्दों में जिनपिंग की हुकूमत पर धावा बोला गया।

इसके अलावा अन्य बैनर पर प्रदर्शनकारियों ने चीन के हर क्षेत्र के नागरिकों को कम्युनिस्ट हुकूमत के खिलाफ, राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के खिलाफ हड़ताल करने का आवाहन किया गया है। इसी बैनर पर राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग को राष्ट्रद्रोही और तानाशाह कहने की जानकारी सामने आ रही है। सिताँग फ्लाइओवर के करीब से गुजरनेवाले हरएक चीनी नागरिक ने इन बैनर्स के फोटो और वीडियो लिए हैं और सोशल मीडिया पर वायरल भी किए हैं। इसके बाद चौकन्ना हुई कम्युनिस्ट पार्टी ने सुरक्षा यंत्रणा को आदेश देकर दोनों बैनर हटवाए, सोशल मीडिया पर अपलोड़ हुए फोटो और वीडियोज्‌‍ डिलीट करने की कोशिश की गई। वहां पर ऐसा कुछ हुआ ही नहीं, ऐसा ढकोसला कम्युनिस्ट पार्टी ने किया। लेकिन, जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रदर्शनकारियों द्वारा लगाई गई आग के सबूत वहां पर मिल रहे थे, ऐसा अन्य फोटो से सामने आया है।

चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने दो दिन पहले शांघाई, ज़िंजियांग और युआन क्षेत्र के लिए ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ का ऐलान किया। इन तीनों हिस्सों में जबरन लॉकडाऊन के आदेश दिए थे। इनमें से ज़िजियांग और युनान के हवाई अड्डों पर राइफल्स से सज्जित चीनी सैनिकों की तैनाती होने के वीडियो सामने आए थे। ज़िजियांग के कुछ यात्रियों ने ‘अब सिर्फ हमें मारना ही शेष है’, इन शब्दों में अपनी नाराज़गी व्यक्त करने की बात इस वीडियो से स्पष्ट हुई थी। इस वजह से जिनपिंग की ज़ीरो कोविड पॉलिसी से गुस्साए चीनी जनता ने यह प्रदर्शन किए, ऐसा कुछ विश्लेषकों का कहना है। लेकिन, कम्युनिस्ट पार्टी की अहम बैठक मात्र दो दिनों पर है और इसी दौरान बीजिंग में यह प्रदर्शन होने की बात पर अन्य विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

चार दिन पहले चीन में लोकतंत्र की माँग कर रहे ‘न्यू फेडरल स्टेट ऑफ चायना’ दल ने कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। कम्युनिस्ट पार्टी के गठबंधनवाले २० नेताओं के पास लगभग ५३४ अरब डॉलर्स की संपत्ति होने का आरोप न्यू फेडरल स्टेट ऑफ चायना ने लगाया था। चीनी वंशियों ने मिलकर न्यू फेडरल स्टेट ऑफ चायना पार्टी का गठन किया है और कम्युनिस्ट पार्टी को तबाह करना ही हमारा उद्देश्य है, ऐसा इस दल का कहना है।

इसी बीच राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के खिलाफ पार्टी में एवं सेना में नाराज़गी बढ़ रही है, ऐसी खबरें पहले भी प्राप्त हुई थीं। और अब चीनी जनता भी जान की परवाह किए बिना कम्युनिस्ट पार्टी और जिनपिंग के खिलाफ सीधे सड़कों पर प्रदर्शन करके कम्युनिस्ट पार्टी और जिनपिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरने की बात सामने आयी है। यह दोनों गतिविधियाँ जिनपिंग और कम्युनिस्ट हुकूमत के लिए चुनौती निर्माण कर रही हैं।

कुछ हफ्ते पहले जिनपिंग को बीजिंग में नज़रकैद करने की चर्चा पूरे विश्व में हुई थी। लेकिन, जिनपिंग ने चीन पर अपनी पकड़ अभी कायम है, यह बात कुछ ही दिनों में दर्शाई थी। लेकिन, बीजिंग में हो रहे प्रदर्शन जिनपिंग के दावे पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

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