एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ से पाकिस्तान की रिहाई

नई दिल्ली – ‘फायनान्शियल ऐक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान के निकलने की खबर है। आतंकियों को आर्थिक सहायता देनेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से बचनेवाला पाकिस्तान पूरे चार साल इस ‘ग्रे लिस्ट’ में रहा। लेकिन, इससे निकलने के लिए आवश्यक सभी निकष पाकिस्तान ने पूरे किए, ऐसा कहकर ‘एफएटीएफ’ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से निकाला है। लेकिन, यह निकष पूरे करने में पाकिस्तान को प्राप्त हुई सफलता से अधिक अमरीका की सहायता ही अहम साबित हुई, ऐसे स्पष्ट संकेत प्राप्त हो रहे हैं। कुछ विश्लेषकों ने अमरीका की मेहरबानी की वजह से ही पाकिस्तान जल्द ‘एफएटीएफ’ की ग्रे लिस्ट से बाहर होगा, ऐसा पहले ही कहा था।

एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ से पाकिस्तान की रिहाईअल कायदा का प्रमुख आयमन अल जवाहिरी को खत्म करने के लिए पाकिस्तान ने अमरीका की सहायता की थी। साथ ही यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने अमरीका की चेतावनी को अनदेखा करके रशिया से सहयोग जारी रखा। इसके बाद भारत को सबक सिखाने के लिए अमरीका को पाकिस्तान का इस्तेमाल करना है। इस वजह से अमरीका ने पाकिस्तान की वायुसेना के ‘एफ-१६’ विमानों के लिए कुल ४५ करोड़ डॉलर्स का पैकेज घोषित किया। साथ ही पाकिस्तान के सेनाप्रमुख का आठ दिन अमरीका दौरा भी इसी दौरान हुआ। इसके पीछे भी बायडेन प्रशासन की पाकिस्तान के साथ बढ़ती नज़दिकीयाँ होने की बात स्पष्ट हुई थी।

पाकिस्तान को एफएटीएफ से निकलने के लिए यह सभी मुद्दे उपयोगी साबित हुए। बायडेन प्रशासन पाकिस्तान को ज्यादा समय तक ‘एफएटीएफ’ में नहीं रहने देगा, यह इशारा भारतीय विश्लेषकों ने पहले ही दिया था। शुक्रवार को लिया गया निर्णय इसकी पुष्टि करता है। अगले दिनों में अमरीका पाकिस्तान को अधिकाधिक सहायता करती रहेगी, ऐसे स्पष्ट संकेत प्राप्त हुए हैं। एक ओर परमाणु हथियारों पर नियंत्रण ना होनेवाला पाकिस्तान विश्व का सबसे घातक देश है और इस देश के परमाणु हथियार गलत हाथों में जा सकते हैं, ऐसा ऐलान अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने हाल ही में किया था। ऐसे घातक देश को ‘एफएटीएफ’ की ग्रे लिस्ट से निकालकर ‘ब्लैक लिस्ट’ करना ही उचित होता। लेकिन, इस घातक देश को अमरीका ने ‘ग्रे लिस्ट’ से निकालकर पुरस्कृत करने का चित्र दिख रहा है।

एफएटीएफ की कार्रवाई से हमारा संबंध नहीं है, ऐसा खुलासा बायडेन प्रशासन अगले दिनों में कर सकता है। लेकिन, यहां तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर अमरीका की मर्जी के बिना किसी पर कार्रवाई करना या कार्रवाई टालना मुमकिन नहीं है। इस वजह से पाकिस्तान की इस रिहाई के पीछे बायडेन प्रशासन की भारतविरोधी राजनीति होने की बात स्पष्ट दिखती है।

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