भारत स्वतंत्र रूप से शांति के पक्ष में खड़ा है – अमरीका और रशिया को भारत का संदेश

वॉशिंग्टन/मास्को/संयुक्त राष्ट्रसंघ – भारत को प्राप्त ‘जी २०’ की अध्यक्षता की अमरीका को बड़ी उम्मीदें हैं, ऐसा बयान अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने किया है। साथ ही भारत अमरीका का मज़बूत भागीदार देश होने की बात भी राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने स्पष्ट की। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष से भारत को यह संदेश मिल रहा था तभी रशियन विदेश मंत्री ने भारत को सावधान रहने की चेतावनी दी। नाटो रशिया एवं चीन के विरोधी गुट में भारत को घसीटने की कोशिश कर रहा है, ऐसा इशारा रशियन विदेश मंत्री सर्जेई लैवरोव ने दिया। इस पर संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत के राजदूत ने बयान किया है। भारत अपने बलबूते पर ड़टकर खड़ा रहनेवाला एवं विश्व से नज़रे मिलाकर बात करने वाला देश है और भारत की विदेश नीति शांति के पक्ष में है, यह बयान राजदूत रुचिरा कंबोज ने किया।

१ दिसंबर से भारत को ‘जी २०’ की अध्यक्षता मिली। इसका स्वीकार करते हुए भारत ने अपनी नीति स्पष्ट की थी। युद्ध से नहीं बल्कि राजनीतिक बातचीत से ही यूक्रेन समस्या का हल निकालेंगे, ऐसा इशारा भारत ने रशिया और यूक्रेन को भी दिया है। भारत के इन बयानों को रशिया विरोधी पश्चिमी माध्यम अलग ही रंग दे रहे हैं। भारत ने यूक्रेन युद्ध शुरू करने वाली रशिया के खिलाफ बयान किया, यह दावा पश्चिमी माध्यम कर रहे हैं। अमरीका भी यह स्वर आलाप रही है। ऐसे में भारत को प्राप्त हुई ‘जी २०’ की अध्यक्षता का दाखिला देते हुए अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष बायडे ने दावा किया कि, वे उम्मीद के नज़रिये से देख रहे हैं। साथ ही भारत अमरीका का मज़बूत भागीदार देश होने का दावा भी बायडेन ने किया है। ऐसे में रशिया के विदेश मंत्री ने भारत को सावधानी बरतने का इशारा दिया।

सीधे अमरीका पर आरोप लगाए बिना रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैवरोव ने कहा कि, नाटो भारत को रशिया और चीन विरोधी गुट में घसीटने की कोशिश कर रही है। नाटो ने जैसे यूक्रेन में युद्ध छेडा उसी तरह से साउथ चायना सी क्षेत्र में चीन विरोधी असंतोष फैलाकर युद्ध छेडने की कोशिश कर रही है, यह दावा रशियन विदेश मंत्री ने किया। चीन के समुद्री क्षेत्र के युद्ध का परिणाम रशिया के तट तक पहुँचेंगे। इसी वजह से रशिया चीन के साथ अपना सैन्य सहयोग अधिक मात्रा में बढ़ा रही है।

चीन को कमज़ोर बनाके रशिया को चुनौती देने की साज़िश नाटो ने की है, ऐसा रशियन विदेशमंत्री ने कहा। रशियन विदेश मंत्री ने पहले भी अमरीका और नाटो पर इस तरह के आरोप लगाए थे। लेकिन, नाटो रशिया और चीन विरोधी सैन्य गठबंधन में भारत को घसीटने की कोशिश कर रही है, यह दावा करके विदेशमंत्री लैवरोव ने सबका ध्यान आकर्षित किया। यूक्रेन युद्ध में भारत ने अमरीका का दबाव ठुकराकर तटस्थ भूमिका अपनाई थी। लेकिन, भारत की यह तटस्थता रशिया का साथे देना है, ऐसी आलोचना पश्चिमी देशों ने की थी। साथ ही भारत रशिया से खरीद रहे ईंधन का मुद्दा भी अमरीका और यूरोपिय देशों ने उठाया था। इस पर ध्यान दिए बिना भारत ने रशिया से सहयोग जारी रखकर रशियन ईंधन की खरीदारी बढ़ाई। साथ ही रशिया ने यूक्रेन पर किए हमले का सीधा समर्थन किए बिना इस समस्या का हल बातचीत से निकालने की सलाह भारत ने दी थी।

संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत के राजदूत रुचिरा कंबोज ने इसकी याद दिलाकर यूक्रेन युद्ध पर भारत की भूमिका कायम होने का अहसास कराया। यूक्रेन युद्ध में भारत शांति के पक्ष में है और यह भी एक पक्ष ही है, इन शब्दों में भारत के आलोचकों को जवाब दिया। साथ ही रशिया के विदेशमंत्री लैवरोव ने भारत के प्रति किए गए बयान पर भी राजदूत रुचिरा कंबोज ने सटीक शब्दों में अपने देश की भूमिका रखी। भारत अपने बलबूते पर ड़टकर और नज़रे मिलाकर विश्व से बात करने वाला देश है। भारत की विदेश नीति पर अन्य देशों के दबाव का असर नहीं होता, इसका अहसास राजदूत कंबोज ने कराया।

भारत के रशिया से काफी घनिष्ठ संबंध हैं और भारत का अमरीका के साथ रणनीतिक संबंध है। पहले से अधिक भारत-अमरीका सहयोग बढ़ रहा है, यह कहकर राजदूत कंबोज ने दोनों देशों के साथ भारत के संबंध स्वतंत्र होने का इशारा दिया।

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