लद्दाख की एलएसी पर तनाव कम करने के लिए चीन ने दिया प्रस्ताव भारत ने ठुकराया

नई दिल्ली – लद्दाख की एलएसी पर तनाव कम करने के लिए चीन ने दिया प्रस्ताव भारत ने ठुकराया है। इस मामले में ख़बरें प्रकाशित हुईं होकर, इससे यही सामने आ रहा है कि भारत चीन पर पुन: विश्‍वास रखने के लिए तैयार नहीं है। लद्दाख की एलएसी पर के ‘फिंगर १’ से ‘फिंगर ८’ तक दोनों देश सेना वापस ले लें, ऐसा चीन ने सूचित किया था। लेकिन एलएसी पर मार्च महीने से पहले की स्थिति स्थापित हों, ऐसी भारत की ठोंस माँग है। वैसा हुए बग़ैर तनाव कम नहीं होगा, ऐसा भारत ने चीन को जताया है।

लद्दाख के पँगॉंग सरोवर के क्षेत्र के उत्तरी भाग में चीन के लष्कर ने घुसपैंठ की कोशिश की थी। इतना ही नहीं, बल्कि गलवान वैली में चीन के जवानों ने भारतीय सैनिकों पर हमला करके कर्नल संतोष बाबू समेत २० लोगों को शहीद बनाया था। इस हमले के बाद भी चीन ने एलएसी पर घुसपैंठ की कोशिशें जारी रखे। इतना ही नहीं, बल्कि भारतीय सैनिकों ने नियंत्रण प्राप्त किये रेचिन ला तथा अन्य पहाड़ियों पर कब्ज़ा करने की असफल कोशिश चीन के लष्कर ने आज़मायी थी। इस झटके के बाद भारत सेना को वापस ले लें, ऐसी उम्मीद चीन ज़ाहिर कर रहा है। लेकिन एक बार यदि इस क्षेत्र से भारतीय सैनिक वापस लौटें, तो चीन इन पहाड़ियों पर कब्ज़ा करेगा, ऐसी चेतावनी पूर्व लष्करी अधिकारी दे रहे हैं।

फिलहाल लद्दाख की कड़ाक़े की ठंड़ में चीन के जवान परेशान हो रहे हैं; वहीं, यहाँ के वातावरण की आदत होनेवाले भारतीय सैनिक सहजता से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। ऐसी स्थिति में, चीन की माँग के अनुसार यहाँ से सेना हटाकर चीन को अपनी इज़्ज़त सँवारने का मौक़ा नहीं दिया जाना चाहिए, ऐसा पूर्व लष्करी अधिकारी तथा सामरिक विश्‍लेषक भारत सरकार को जता रहे हैं। एलएसी से भारतीय सेना पीछे हटने के बाद चीन तुरंत इस जगह पर तैनाती करके भारत का विश्‍वासघात कर सकता है, यह बात कभी भी नज़रअन्दाज़ नहीं करनी चाहिए। इसी कारण, अपनी माँगें पूर्ण रूप से पूरीं हुए बग़ैर भारत इस क्षेत्र से सेना पीछे ना हटायें, ऐसा पूर्व लष्करी अधिकारी बता रहे हैं।

लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने एक ही दिन पहले लद्दाख की एलएसी की भेंट करके यहाँ की सुरक्षा का जायज़ा लिया था। साथ ही, लष्कर के वरिष्ठ अधिकारी भी, नज़दीकी समय में यहाँ का तनाव कम नहीं होगा, इसका यक़ीन दिला रहे हैं। इस कारण, फिलहाल तो चीन के शब्दों पर भरोसा करने के लिए भारत तैयार नहीं है, यह बात सामने आयी है। वहीं, दूसरीं ओर, चीन अपनी प्रतिष्ठा सँवारने की जानतोड़ कोशिशें करता दिख रहा है। कुछ दिन पहले यहाँ की एलएसी के लिए चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने नये लष्करी अधिकारी की नियुक्ति की है। इससे यही संकेत मिल रहे हैं कि चीन इस क्षेत्र में नये दाँवपेंच शुरू करनेवाला है। भारत ने भी यहाँ की एलएसी पर अतिरिक्त तैनाती बढ़ायी है। उसी समय पँगॉंग सरोवर क्षेत्र में गश्ती करने के लिए तेज़ बोटें भारत तैनात कर रहा है। यह सरोवर पूर्णत: चीन का होने का चीन का दावा है। वहीं, इस सरोवर का काफ़ी सारा हिस्सा अपनी सीमा में आता है, ऐसा भारत का कहना है।

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