रशियन ईंधन पर ‘प्राईस कैप’ लगाने के मुद्दे पर यूरोप में मतभेद कायम – जर्मनी के निर्णय पर फ्रान्स की नाराज़गी

ब्रुसेल्स –  रशिया पर लगाए प्रतिबंध और रशिया ने ईंधन की कटौती करने की पृष्ठभूमि पर आयोजित की गई ‘एनर्जी क्राइसिस समिट’ में यूरोपिय देशों के मतभेद फिर से सामने आते दिखाई दिए। इस बैठक में रशियन ईंधन की कीमत पर मर्यादा लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्राप्त नहीं हो सकी। यूरोपिय महासंघ के कुछ देशों ने इस प्रस्ताव को अपना विरोध कायम रखा। साथ ही दूसरी ओर ऊर्जा संकट को परस्त करने के लिए जर्मनी ने किए एकतरफा निर्णयों पर फ्रान्स ने तीव्र नाराज़गी जताई। फ्रान्स ने जर्मनी के साथ होनवाली ऊर्जा परिषद रद की, यह जानकारी भी फ्रेंच सूत्र ने प्रदान की।

‘प्राईस कैप’रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर यूरोपिय महासंघ ने रशिया के खिलाफ भारी मात्रा में प्रतिबंध लगाए हैं। इनमें ईंधन क्षेत्र पर लगाए प्रतिबंधों का भी समावेश हैं, फिर भी रशियन ईंधन की आयात पुरी तरह से बंद करने में यूरोपिय देशों को सफलता नहीं मिल सकी। उल्टा रशियन ईंधन पर निर्भर देश लगातार समझौता करने के लिए दबाव बनाते दिख रहे हैं। इनमें महासंघ के शीर्ष देश जर्मनी और ऑस्ट्रिया के साथ हंगरी का भी समावेश है।

‘प्राईस कैप’गुरुवार को ब्रुसेल्स में आयोजित की गई बैठक से पहले भी सदस्य देशों के मतभेद स्पष्ट तौर पर सामने आते दिखाई दिए। हंगरी ने ईंधन की कीमत पर मर्यादा लगाने के प्रस्ताव का तीव्र विरोध किया। इसी बीच महासंघ के प्रमुख देश जर्मनी ने अपनी भूमिका रखते हुए यह कहा कि, वर्णित प्रस्ताव बाज़ार के अनुकूल और व्यवहार्य नहीं था। फ्रान्स ने ईंधन की कीमत पर मर्यादा लगाने के प्रस्ताव का जोरदार समर्थन किया। लेकिन, जर्मनी जैसें देश का इन्कार महासंघ की एकजूट पर पानी ड़ालता दिख रहा है।

दूसरी ओर जर्मनी ने ऊर्जा संकट दूर करने के लिए किए एकतरफा निर्णय भी यूरोपिय देशों के लिए मुश्किल साबित हो रहे हैं। कुछ दिन पहले ही जर्मनी ने ईंधन और ऊर्जा क्षेत्र की अपनी कंपनियों के लिए अरबों युरो की आर्थिक सहायता घोषित की थी। यूरोपिय महासंघ ईंधन और ऊर्जा संकट का मुकाबला करने के लिए साथ मिलकर नीति तय कर रहे हैं और ऐसे में जर्मनी ने आर्थिक सहायता घोषित करना महासंघ के मुल्यों के विरोधी हैं, ऐसी आपत्ति फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैनुएल मैक्रॉन ने जतायी। यह आपत्ति जर्मन चान्सलर ओलाफ शोल्ड तक पहुँचाई गई है और फ्रान्स ने जर्मनी के साथ होने वाली द्विपक्षीय चर्चा भी रद्द कर दी है।

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