पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद रशियन ईंधन निर्यात में वृद्धी – ‘ब्लूमबर्ग’ का दावा

वॉशिंग्टन/मास्को – रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रशियन अर्थव्यवस्था का आधार बने ईंधन क्षेत्र को कमज़ोर करने की डींगें अमरीका और यूरोपिय देशों के गुट ने हांकी थीं। लेकिन, रशियन ईंधन कंपनियां एवं बैंकों पर लगाए गए प्रतिबंध एवं रशियन ईंधन खरीदने वाले देशों पर डाले गए दबावों के बावजूद रशियन ईंधन की मांग कम ना होने की बात स्पष्ट हुई है। रशिया ने पिछले हफ्ते हर दिन औसतन ३६ लाख बैरल्स कच्चे तेल का निर्यात किया, यह जानकारी ‘ब्लूमबर्ग’ नामक अमरिकी वेबसाइट ने साझा की है।

रशिया विरोधि गुट का हिस्से वाले ‘जी-७’ गुट के साथ कुछ मित्र देशों ने रशियन ईंधन की कीमतों पर अंकुश लगाने का प्रस्ताव पारित किया है। इसका कार्यान्वयन दिसंबर में शुरू होगा, ऐसा कहा जा रहा है। इसके तहत रशियन ईंधन कंपनियां, बिमा एवं अन्य सेवा प्रदाती विदेशी कंपनियों से जुर्माना भी वसूला जाएगा। इस पृष्ठभूमि पर कई कंपनियों ने बडे पैमाने पर रशियन तेल की खरीद शुरू की है।

४ नवंबर को खत्म हुए सप्ताह में रशिया के ५० लाख बैरल्स कच्चे तेल से भरे ३४ टैंकर विदेश भेजे जाने की बात सामने आयी है। इससे पहले के सप्ताह की तुलना में रशियन तेल का निर्यात ३२ लाख बैरल्स अधिक होने की बात समाचार में कही गई है। सबसे अधिक टैंकर्स रशिया के आर्क्टिक क्षेत्र के टर्मिनल से रवाना होने की जानकारी इस समाचार में है। कुछ दिन पहले रशिया से हो रहा ईंधन वायु निर्यात विक्रमी स्तर की ओर बढ़ने की बात स्पष्ट हुई थी। एक के बाद एक प्राप्त हुई इस जानकारी से ईंधन क्षेत्र में रशिया का वर्चस्व खत्म करने में पश्चिमी गठबंधन की असफलता की बात स्पष्ट हो रही है।

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