रशिया से जारी सहयोग पर भारत को अमरीका की नई चेतावनी

वॉशिंग्टन –  रशिया बिल्कुल भी ऊर्जा और सुरक्षा का लिए विश्वासार्ह स्रोत नहीं हैं। कुछ देशों ने इसका अनुभव किया है। रशिया से दूर होने की प्रक्रिया भारत शुरू करें। इसके लिए भारत को हर तरह की सहायता करने के लिए अमरीका तैयार हैं। यह बात यकायक नहीं हो सकती। लेकिन, अगले दो सालों में भारत को रशिया से दूर करना असंभव होगा, ऐसा बयान अमरिकी विदेश मंत्रालय ने किया है। इस वजह से अमरीका अपनी रशिया विरोधी नीति भारत पर थोपने की तैयारी जुटाती दिख रही है। विदेश मंत्री एस.जयशंकर की रशिया यात्रा के बाद अमरीका ने भारत को यह चेतावनी देकर फिर से अपने शीत युद्ध के दौर की भारत विरोधी भूमिका की याद दिलायी।

सहयोगअमरीका ने शीत युद्ध के दौर में पाकिस्तान की तानाशाही हुकूमत को हथियार प्रदान किए और भारत को हथियार देने से इन्कार किया था। इस वजह से भारत को रशिया से हथियार खरीद ने पड़े, इसपर विदेश मंत्री जयशंकर ने हाल ही में ध्यान आकर्षित किया था। इसपर बोलते हुए अमरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राईस ने अपने देश की भूमिका रखी। शीतयुद्ध के दौर में भारत से रक्षा और सुरक्षा संबंधित भागीदारी विकसित करना मुमकिन नहीं था। लेकिन, शीत युद्ध के खत्म होने के बाद पिछले २५ सालों में अमरीका-भारत के संबंधों में काफी बड़ा बदलाव हुआ है। अमरीका अब भारत के साथ सभी क्षेत्र में सहयोग करने के लिए उत्सुक हैं, ऐसा नेड प्राईस ने कहा।

भारत को लेकर अमरीका की यह भूमिका बिल्कुल ही स्पष्ट है। ऐसी स्थिति में भारत अब रशिया से दूर होने की तैयारी करें। रशिया ऊर्जा और सुरक्षा के लिए विश्वासार्ह स्रोत साबित नहीं होगा, इसका अनुभव कुछ देशों ने प्राप्त किया है। भारत यकायक रशिया से दूर नहीं जा सकता। लेकिन, अगले दो सालों में भारत को रशिया से अलग होने के लिए अमरीका हर तरह की सहायता करने के लिए तैयार हैं, ऐसा सूचक बयान प्राईस ने किया। इस वजह से अमरीका ने रशिया से सहयोग तोड़ने के लिए भारत को दो सालों का अवसर प्रदान किया दिख रहा है। इससे पहले भारत ने अमरीका की ऐसी फिजूल मांगों को पूरी तरह से अनदेखा करके रशिया के अपने संबंधों को ज्यादा अहमियत दी थी। ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा की रशिया से खरीद करने के साथ यूक्रेन युद्ध के बाद भी रशिया से ईंधन खरीद बढ़ाकर भारत ने अमरीका के दबाव पर जवाब दिया था। इसके अलावा विदेश मंत्री जयशंकर ने रशिया दौरे में दोनों देशों का व्यापार बढ़ाकर ३० अरब डॉलर्स करने का ऐलान किया था।

लेकिन, भारत की विदेश नीति की यह स्वतंत्रता अमरीका को मंजूर नहीं, यह बात इस अवसर पर फिर से रेखांकित हुई हैं। भारत को रशिया से तोड़कर दोनों देशों को कमज़ोर करने की मंशा अमरीका ने रखी हैं। इसके लिए दबाव बनाने के साथ प्रतिबंध लगाने जैसें सभी दांव इस्तेमाल करने के इशारें अमरीका दे रही हैं। लेकिन, रशिया पर अविश्वास का आरोप लगा रही अमरीका ने अपने ही सहयोगी देशों को ज्यादा असुरक्षित करने की नीति अपनाई है। इनमें इस्रायल, सौदी अरब और अन्य खाड़ी देशों के साथ जापान और ताइवान का भी समावेश किया जा सकता हैं। ऐसी स्थिति में अमरीका अब भारत से रशिया के संबंध तोड़ने की उम्मीद रख रही हैं। भारत यह मांग स्वीकार करना संभव ही नहीं । उल्टा अमरीका ने भारत पर बनाए दबाव का उल्टा असर भारत-अमरीका संबंधों पर हो सकता हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.