भू-राजनीतिक चुनौतियों की वजह से आगे महंगाई उछल सकती हैं – वित्त मंत्रालय की रपट का इशारा

नई दिल्ली – पूरे विश्व में भू-राजनीतिक तनावों की पृष्ठभूमि पर विश्व के प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट आ रही है। इसकी तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बड़ा आश्वासक होने का अनुमान वित्त मंत्रालय की रपट में दर्ज़ है। अन्य देशों की तुलना में महंगाई पर काबू पाने में भी भारत को बडे पैमाने पर सफलता मिली है। लेकिन, भू-राजनीतिक उथल-पुथल से प्रभावित सप्लाई चेन के कारण आनेवाले समय में महंगाई कम होने के बजाय अधिक बढ़ेगी, ऐसी चेतावनी भी इस रपट में दी गई है।

इस वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में वैश्विक स्तर पर रिटेल महंगाई का दर ८ प्रतिशत था। इसी बीच भारत में यह ७.२ प्रतिशत रहा। इस दौरान भारत का रुपया डॉलर की तुलना में तकरीबन ५.४ प्रतिशत फिसला। और विश्व के छह प्रमुख देशों की मुद्राएं डॉलर की तुलना में ८.९ प्रतिशत फिसली हैं। साथ ही वैश्विक स्तर के आर्थिक कारोबार की तुलना में भारत का आर्थिक कारोबार अधिक होने की बात भी वित्तमंत्री की रपट में दर्ज़ की गई है।

इसे पर ध्यान दें तो शेष विश्व की तुलना में भारत ने इस भू-राजनीतिक तनाव की स्थिति में भी तुलनात्मक नज़रिये से अधिक बेहतर आर्थिक प्रदर्शन किया हुआ दिख रहा है। वित्त मंत्रालय की रपट में यह बात दर्ज़ है। केंद्र सरकार ने समय-समय पर लिए उचित निर्णयों की वजह से महंगाई नियंत्रण में रहने से देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर इस भू-राजनीतिक तनाव का दुष्प्रभाव नहीं पडा, यह दावा भी इस रपट में किया गया है। लेकिन, आनेवाले समय में विकास की प्रक्रिया और महंगाई के मोर्चे पर अधिक बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है, इसका अहसास भी इस रपट में कराया गया है।

सीधे ज़िक्र किए बिना यूक्रेन युद्ध और अन्य क्षेत्रों के भू-राजनीतिक स्तर के तनावों की वजह से निर्माण हुई समस्याओं का असर भारतीय अर्थव्यवस्था को भी सहने पडेंगे, ऐसा इशारा इस रपट में दिया गया है। यूक्रेन युद्ध और इससे सप्लाई चेन पर पडे दबाव के मद्देनज़र आनेवाले समय में सप्लाई का संकट निर्माण होगा। इसका असर उत्पादन पर पडेगा और महंगाई पर काबू पाना कठिन हो सकता है, यह दावा इस रपट में किया गया है।

ईंधन उत्पादक देशों के संगठन ओपेक प्लस ने एकजुट होकर ईंधन उत्पादन कम करने का निर्णय लिया है। इसकी वजह से आनेवाले दिनों में ईंधन की कीमतें बढेंगीं, इसकी कड़ी संभावना भी जताई जा रही है। माँग की तुलना में ८५ प्रतिशत से अधिक मात्रा में ईंधन का आयात कर रहे भारत पर इस निर्णय का असर पडेगा और इससे आर्थिक विकास की प्रक्रिया को नुकसान पहुँच सकता है। साथ ही यूक्रेन युद्ध अधिक तीव्र होता है तो भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँच सकता है। अब तक भारत की अर्थव्यवस्था ने इस मोर्चे की चुनौतियों का अन्य देशों की तुलना में अधिक बेहतरी से सामना किया है। लेकिन, यह स्थिति अधिक बिगड़ती है तो भारतीय अर्थव्यवस्था को भी इसके झटके महसूस हो सकते हैं, इसका अहसास वित्तीय मंत्रालय की रपट द्वारा दिलाया गया है।

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