अगले पांच साल वैश्विक अर्थव्यवस्था का विकास दर तीन प्रतिशत के करीब रहेगा – अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख की चेतावनी

वॉशिंग्टन – ब्याजदरों की बढ़ोतरी, अमरीका और यूरोप के बैंकिंग क्षेत्र पर टूटा संकट एवं भूराजनीतिक स्तर पर बने मतभेदों की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता को नुकसान पहुंचा हैं। इसका असर अर्थव्यवस्था के विकास पर हो रहा हैं और अगले पांच सालों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का विकास दर तीन प्रतिशत के करीब ही रहेगा, ऐसी चेतावनी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख ख्रिस्तालिना जॉर्जिवा ने दी। पिछले महीने में ही ‘वर्ल्ड बैंक’ ने यह चेतावनी दी थी कि, आर्थिक मंदी का साया एवं बैंकिंग क्षेत्र के संकट की पृष्ठभूमि पर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ‘लॉस्ट डिकेड’ का संकट टूट सकता हैं।

अमरीका में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मुद्रा कोष की प्रमुख ने वैश्विक अर्थव्यवस्था से संबंधित अपनी भूमिका रखी। ‘आर्थिक विकास का पैया धीमा हो रहा हैं और यह अवधि अधिक बढ़ने का ड़र हैं। इस वर्ष आर्थिक विकास दर तीन प्रतिशत से भी कम रहेगा। इसके बाद अगले पांच सालों तक विकास दर तीन प्रतिशत के करीब ही रहेगा। वर्ष १९९० के बाद यह सबसे निचले स्तर का विकास दर होगा। पिछले दो दशकों से वैश्विक अर्थव्यवस्था का औसतन विकास दर ३.८ प्रतिशत रहा हैं’, इन शब्दों में जॉर्जिवा ने संभावित आर्थिक संकट पर ध्यान आकर्षित किया।

इस फिसलते विकास दर का सबसे बड़ा नुकसान कम आय के देशों को पहुंचेगा। कोरोना की महामारी के बाद दुनिया भर में गरीबी और भूखमरी तेज़ीसे बढ़ रही हैं। विकासदर की गिरावट के कारण यह स्थिति बनी रहेगी, ऐसा ड़र मुद्राकोश के प्रमुख ने व्यक्त किया। ‘आर्थिक विकास दर फिर से सामान्य स्तर पर आने की राह काफी कठिन और अस्पष्ट हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था के देशों को एक-दूसरे से जोड़नेवाले बंध पहले की तुलना में कमज़ोर हुए हैं’, इसका अहसास जॉर्जिवा ने इस दौरान कराया।

पिछले महीने वर्ल्ड बैंक ने ‘फॉलिंग लाँग टर्म ग्रोथ प्रॉस्पेक्टस्‌‍’ नामक रपट जारी की थी। इसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति कम होने का अनुमान बताया था। ‘इस सदी के पहले दशक में वैश्विक अर्थव्यवस्था का औसतन विकास दर छह प्रतिशत था। लेकिन, २०२२-३० के दौरन यह दर महज़ एक तिहाई रहेगा। ऐसें में वैश्विक अर्थव्यवस्था का विकास औसतन २.२ प्रतिशत दर से होने के आसार दिख रहे हैं’, इन शब्दों में वर्ल्ड बैंक ने ‘लॉस्ट डिकेड’ के संकट पर चिंता जताई थी।

विश्व के प्रमुख आर्थिक विशेषज्ञ एवं विश्लेषक भी लगातार वैश्विक मंदी का अनुमान जता रहे हैं और इस दौरान की मंदी लंबे समय तक असर करेगी, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर ‘वर्ल्ड बैंक’ और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष इन दो शीर्ष संगठनों ने लंबी गिरावट को लेकर किए बयान ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

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