ईंधन क्षेत्र पर लगाए प्रतिबंध और निवेश की हुई कमी के कारण किल्लत होगी – सौदी अरब के ईंधन मंत्री की चेतावनी

रियाध – ईंधन क्षेत्र पर लगाए जा रहे प्रतिबंध एवं उसमें हो रहे अपर्याप्त निवेश की वजह से आनेवाले दिनों में ऊर्जा क्षेत्र में किल्लत का संकट अधिक गंभीर हो सकता है, ऐसी चेतावनी सौदी अरब के ईंधन मंत्री प्रिन्स अब्दुलअझिझ बिन सलमान अल सौद ने दी। सौदी की राजधानी रियाध में आयोजित परिषद में यह चेतावनी देते हुए उन्होंने रशिया पर लगाए प्रतिबंध ‘बूमरैन्ग’ हो सकते हैं, यह इशारा भी दिया। रविवार पांच फ़रवरी से पश्चिमी देशों ने रशिया के ईंधन निर्यात पर लगाए प्रतिबंध लागू हो रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर सौदी के ईंधन मंत्री ने यह चेतावनी देना ध्यान आकर्षित कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछले साल से ही ईंधन और बिजली के दरों का बड़ा उछाल हुआ है। इस वजह से महंगाई भी चरम स्तर पर पहुंची है और पश्चिमी देशों के साथ कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को इससे नुकसान पहुंचा है। साथ ही पूरे विश्व की करोड़ो लोगों को ‘कॉस्ट ऑफ लीविंग क्राइसिस’ के संकट का मुकाबला करना पड़ रहा है। इस सबके कुल असर से वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी होगी, ऐसे अनुमान व्यक्त किए जा रहे हैं। इसके लिए रशिया-यूक्रेन युद्ध ज़िम्मेदार होने के दावे पश्चिमी विश्लेषक एवं अभ्यास गुट कर रहे हैं।

लेकिन, ईंधन क्षेत्र के प्रमुख देश सौदी ने इन दावों को बार बार ठुकराया है। ईंधन कीमतों की बढ़ोतरी, ऊर्जा संकट और महंगाई के उछाल के लिए पश्चिमी देशों की नीति की ज़िम्मेदार होने का बयान सौदी कर रहा है। बीते साल विश्व की प्रमुख ईंधन कंपनी बनी सौदी की ‘अराम्को’ कंपनी के प्रमुख ने भी इस मुद्दे पर बयान किया था। फिलहाल उभरे वैश्विक ऊर्जा संकट के लिए यूक्रेन में शुरू संघर्ष ज़िम्मेदार नहीं हैं, बल्कि ईंधन क्षेत्र में कम हुआ निवेश एवं अपर्याप्त विकल्प एवं बैकअप प्लैन ना होना ही इसके प्रमुख कारण है, ऐसा आरोप अराम्को के प्रमुख अमिन नासेर ने लगाया था।

इसके बाद अब सौदी के ईंधन मंत्री ने भी इसका समर्थन किया है। प्रतिबंध एवं अन्य तरह की कार्रवाईयों के कारण ईंधन की सबसे अइधक ज़रूरत होने की स्थिति में किल्लत महसूस हो सकती है, इस पर ईंधन मंत्री प्रिन्स अब्दुलअझिझ बिन सलमान अल सौद ने ध्यान आकर्षित किया है।

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